गणतंत्र होने का मतलब !!!

कल हमारे देश का ६०वाँ गणतंत्र दिवस था, राष्ट्रीयता से ओत प्रोत कुछ भी हो तो अच्छा ही लगता है सो हम भी भारतीय गणतंत्र में गण के तंत्र का पता लगाने सड़क पर निकल आये।

कुछ तस्वीरों से गणतंत्र को आपके सामने रखने का प्रयास कर रहा हूँ, सोचनीय हूँ कि "REPUBLIC DAY" के बजाय हमारे देश में "PUBLIC DAY" कब मनेगा, या फिर हमारे देश के मजदूर किसान के रक्त से सींचे और ज़मा किये देश को खोखला तंत्र इस पर्व के बहाने खाली करता रहेगा।

जरा कूड़े के ढेर को देखिये, गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व यहाँ पर एक शानदार सैलून हुआ करता था मगर बलि चढ़ गया किसके ?

क्या ये गणतंत्र है जिसमें आम लोगों से रोजी रोटी कुछ यूँ छीनी जाती है।


या फिर गणतंत्र का एक रूप ये है जिसमें धार्मिक आस्था को सड़क पर कुछ यूँ बेचा जाता है।


आटे की चक्की पर वृद्ध का गणतंत्र, कर्मण्ये वाधिका रस्ते !!!


सडक पर मोची का गणतंत्र, कर्मण्ये वाधिका रस्ते !!


नौनिहालों का गणतंत्र, पुत्र होने की जिम्मेदारी को निभाते हुए। आज छुट्टी है सो पिता के चाय कि दूकान में थोडा सा हाथ बंटा दें।


या फिर विदेशी मेहमानों के आगे नक्कारखानों की तूती !

क्या हमारे देश में "PUBLIC DAY" कभी मनाया जाएगा।