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लो क सं घ र्ष !: एक बार एक जज साहब बोले
मेरा संबंध उस लोकसभा क्षेत्र है जहां से किसी जमाने में सुभद्रा जोशी और अटल बिहारी बाजपेयी चुनाव लड़ा करते थे। सुभद्रा जोशी ने उस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित बहुत सारे साहित्य अपने क्षेत्र में वितरित किये और तत्समय का यह किशोर रूचिपूर्वक उस साहित्य को पढ़ता रहा। किसान इंटर कालेज, महोली, जिला सीतापुर में मैंने इंटरमीडिएट में जुलाई 1963 में दाखिला लिया, वहां मेरा एक दोस्त एक दिन खेलकूद और व्यायाम के लिए मुझे अपने साथ ले गया तब मुझे पता लगा कि वह व्यायाम और खेलकूद के लिए संघ शाखा लगाती है। दूसरे दिन मेरे मना करने से पहले मेरे दोस्त ने मुझे खुद शाखा में जाने से यह कहकर मना कर दिया कि शाखा संचालक को मेरे वहां जाने पर आपत्ति थी। आगे शिक्षा ग्रहण के दौरान मैंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में सुनकर और पढ़कर बहुत कुछ जाना समझा।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।
फिर भी सब कुछ जानने के बावजूद जज साहब बोले थे कि उनका एक दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है और यह जानकारी उनको कैसे होती अगर वह खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता न होते।
सोचिए और सोच कर बताइए!
मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
loksangharsha.blogspot.com
लो क सं घ र्ष !: एक बार एक जज साहब बोले
मेरा संबंध उस लोकसभा क्षेत्र है जहां से किसी जमाने में सुभद्रा जोशी और अटल बिहारी बाजपेयी चुनाव लड़ा करते थे। सुभद्रा जोशी ने उस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित बहुत सारे साहित्य अपने क्षेत्र में वितरित किये और तत्समय का यह किशोर रूचिपूर्वक उस साहित्य को पढ़ता रहा। किसान इंटर कालेज, महोली, जिला सीतापुर में मैंने इंटरमीडिएट में जुलाई 1963 में दाखिला लिया, वहां मेरा एक दोस्त एक दिन खेलकूद और व्यायाम के लिए मुझे अपने साथ ले गया तब मुझे पता लगा कि वह व्यायाम और खेलकूद के लिए संघ शाखा लगाती है। दूसरे दिन मेरे मना करने से पहले मेरे दोस्त ने मुझे खुद शाखा में जाने से यह कहकर मना कर दिया कि शाखा संचालक को मेरे वहां जाने पर आपत्ति थी। आगे शिक्षा ग्रहण के दौरान मैंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में सुनकर और पढ़कर बहुत कुछ जाना समझा।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।
फिर भी सब कुछ जानने के बावजूद जज साहब बोले थे कि उनका एक दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है और यह जानकारी उनको कैसे होती अगर वह खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता न होते।
सोचिए और सोच कर बताइए!
मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
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बेरोजगारी की मंदी से उबरा भारत, नोकरियों की बहार !
इस वर्ष अप्रैल में रोजगार छह प्रतिशत से बढकर 1019 पर पहुंच गया। जुलाई 2008 के बाद से इसका सबसे ऊपर स्तर पहुंचा है। मार्च में यह सूचकांक 962 पर था। प्रमोटर कंपनी इन्फो एज के राष्ट्रीय प्रमुख (मार्केटिंग व कम्युनिकेशंस) सुमीत सिंह ने कहा कि इस साल की पहली तिमाही की शुरूआत अच्छी रही है। अलग-अलग शहरों और उद्योगों में नियुक्ति संबंधी धारणा में सुधार हुआ है। बेंगलूर, हैदराबाद और पूर्ण में नियुक्तियों में इस वर्ष मार्च के मुकाबले अप्रैल में 18,17 एवं 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
डेविड कैमरन इंग्लैण्ड के नए प्रधानमंत्री !!
मुझे उम्मीद है कि हम एक मजबूत और स्थायी सरकार देंगे। देश को इसकी जरूरत है।"" कैमरन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। सबसे पहले बधाई देने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कल रहें। ओबामा ने कैमरन को फोन कर उन्हें जुलाई में अमेरिका आने का न्यौता दिया, जबकि मार्कल ने भी उन्हें जल्द से जल्द बर्लिन का दौरा करने का निमंत्रण दिया। नई सरकार में विलियम हेग विदेश मंत्री होंगे, यह लगभग तय हो गया है। रक्षा मंत्रालय का जिम्मा कंजरवेटिव नेता लियाम फॉक्स को मिल सकता है। उपप्रधानमंत्री क्लेग ने कहा, ""यह नए प्रकार की सरकार होगी। यद्यपि हम हम अलग-अलग राजनीतिक दल हैं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि देश हित में हम अपने मतभेदों को दूर करेंगे और अच्छा प्रशासन देंगे।"" इससे पहले, गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशें विफल होने के बाद ब्राउन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस अवसर पर भावुक ब्राउन ने कहा, ""मैंने ब्रिटेन के नागरिकों के हित में हमेशा देश की सेवा की है।"" उनसठ वर्षीय ब्राउन 2007 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। ब्राउन ने लेबर पार्टी के नेता का पद भी तत्काल प्रभाव से छो़ड दिया। उन्होंने कहा, ""अब मैं बीवी-बच्चाों के साथ समय बिताऊंगा।"" उन्होंने बकिंघम पैलेस जाकर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को इस्तीफा सौंपा। ब्रिटेन की 650 सीटों वाली संसद में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 326 सीटों की जरूरत होती है। इस बार के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी 306 सीटों के साथ सबसे ब़डी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बहुमत के जादुई आंक़डे से वह 20 सीट दूर रह गई थी। ऎसे में कंजरवेटिव पार्टी ने 57 सीटें जीतकर आई लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बुधवार को कैमरन को फोन पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि वह भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को और मजबूती प्रदान करेंगे। ब्रिटिश उच्चयोग की ओर से नई दिल्ली में जारी एक बयान में कहा गया है, ""प्रधानमंत्री सिंह ने बहुत गर्मजोशी व मित्रता के भाव से कैमरन को बधाई दी।"" बयान में कहा गया है, ""10 मिनट की बातचीत में दोनों नेताओं ने कई सारे द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों के बीच विश्व अर्थव्यवस्था पर खासतौर से चर्चा हुई।"" सिंह ने कैमरन को एक बधाई पत्र भेजा है। इस पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा यहां जारी किया गया। मनमोहन सिंह ने त्रिशंकु ब्रिटिश संसद में कंजरवेटिव पार्टी के शीर्ष नेता को भारत यात्रा का निमंत्रण भी दिया। पत्र में मनमोहन सिंह ने कहा है, ""ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें। ब्रिटेन के चुनाव और कंजरवेटिव पार्टी के आपके नेतृत्व से संसदीय लोकतंत्र की सबसे बेहतर परंपराएं प्रदर्शित होती हैं।"" मनमोहन ने कहा कि नई दिल्ली में सितंबर 2006 में कैमरन से मुलाकात में उनको बहुत खुशी हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा, ""वर्षो से हमारे द्विपक्षीय संबंध करीब-करीब सभी क्षेत्रों में विविध, जीवंत और बहुपक्षीय तथा रणनीतिक साझेदारी के रहे हैं। आज हम न केवल दोनों देशों की जनता की भलाई की स्थिति में हैं वरन एक साथ मिलकर दुनिया के सामने पेश चुनौतियों का सामना करने और मानवता की भलाई के लिए राष्ट्रों के बीच बढ़ती अंतर-सरकारी निर्भरता को संवार सकते हैं।"" प्रधानमंत्री ने कहा, ""मित्रता के संबंध को और अधिक मजबूत बनाने के लिए मैं आपके साथ काम करने का इच्छुक हूं, भारत इसे सबसे अधिक महत्व देता है।"" कैमरन वैसे भी भारत के प्रशंसक है। उनका मानना है कि भारत के साथ संबंधों में और गहराई आनी चाहिए।
दरअसल, कैमरन के प्रभाव में उस समय जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जब उनकी प्रतिभा को देखकर चांसलर नॉर्मन लैमोंट ने उन्हें अपना विशेष सलाहकार बनाया था। सितंबर 2006 में अपनी भारत यात्रा से पहले कैमरन ने "द गार्जियन" समाचार पत्र में एक लेख लिखकर भारतीय लोकतंत्र को सलाम किया था। उन्होंने कहा था, ""भारत दुनिया का सबसे ब़डा लोकतंत्र और तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है। व्यापारिक भागीदारी के लिए भारत में मजबूत क्षमता है। वह बहुलवाद की मजबूत संस्कृति के साथ विभिन्नता वाला समाज है। साथ ही विश्व के अशांत क्षेत्रों में स्थिरता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ताकत है। इसलिए यह वक्त भारत का है।""
लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010
आज दिनांक 12.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत तेरहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-
.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में इसका अर्थ है 'प्यार' : रश्मि प्रभा
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_11.html अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी : अमरजीत कौर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.htmlलोग आरती उतारते हैं मैंने इक नज़्म उतारी है :अनिल 'मासूम
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7002.html
पारुल पुखराज की तीन नज्में http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_308.html
'भगवान् ने एक इमरोज़ बनाकर सांचा ही तोड़ दिया : सरस्वती प्रसाद http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html
शिखा वार्ष्णेय का संस्मरण : वेनिस की एक शाम http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6286.html
काश एक इमरोज मेरी भी ज़िन्दगी में होता......रानी मिश्रा
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5159.html विनय प्रजापति 'नज़र' की नज्में http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5220.html इमरोज़ - मोहब्बत औ जहाँ मोहब्बत वहाँ खुदा : प्रिया चित्रांशी
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_9004.html डा. श्याम गुप्त के गीत : प्रीति का एक दीपक जलाओ.... http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3513.htmlऐसा एहसास ऐसी तपिश हर रोज हमारे घर आए :नवीन कुमार
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2271.html निर्मला कपिला की कहानी :बेटियों की माँ http://utsav.parikalpnaa.com/2010/03/blog-post_30.htmlइमरोज़ ...प्यार का स्तम्भ ...मुहब्बत का मसीहा : वाणी शर्मा
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4304.htmlललित शर्मा की पेंटिंग गैलरी http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3233.html हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर http://shabd.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html
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अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।
-सुमन
loksangharsha.blogspot.com
लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010
सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,
आज दिनांक 12.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत तेरहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-
.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में इसका अर्थ है 'प्यार' : रश्मि प्रभा
http://www.parikalpnaa.com/
अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी : अमरजीत कौर http://utsav.parikalpnaa.com/
लोग आरती उतारते हैं मैंने इक नज़्म उतारी है :अनिल 'मासूम
http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7002.html
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'भगवान् ने एक इमरोज़ बनाकर सांचा ही तोड़ दिया : सरस्वती प्रसाद http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html
शिखा वार्ष्णेय का संस्मरण : वेनिस की एक शाम
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काश एक इमरोज मेरी भी ज़िन्दगी में होता......रानी मिश्रा
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इमरोज़ - मोहब्बत औ जहाँ मोहब्बत वहाँ खुदा : प्रिया चित्रांशी
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डा. श्याम गुप्त के गीत : प्रीति का एक दीपक जलाओ....
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ऐसा एहसास ऐसी तपिश हर रोज हमारे घर आए :नवीन कुमार
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निर्मला कपिला की कहानी :बेटियों की माँ
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इमरोज़ ...प्यार का स्तम्भ ...मुहब्बत का मसीहा : वाणी शर्मा
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हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर
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-सुमन
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कान फिल्म समारोह शुरू !!
लो क सं घ र्ष !: कौन है यह डेविड कोलमैन हेडली
कहीं ऐसा तो नहीं यह डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों को संगठित करता रहा हो और भारत में अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसी संस्थाओं को भी संगठित करने में लगा रहा हो क्योंकि अमेरिका की नीयत दुनिया के किसी देश के लिए साफ नहीं है और खास करके भारत, पाकिस्तान और चीन के लिए। बहुत जरूरी हो गया है भारत को अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करना और उसी के साथ अभिनव भारत और सनातन संस्था की साध्वी प्रज्ञा सिंह, चन्द्रपाल सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेन्ट कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित, सुधाकर उदयबान धर द्विवेदी, राकेश दत्तात्रेय धावड़े, समीर शदर कुलकर्णी, सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, शिव नरायण गोपाल सिंह कालसांगरा, श्याम बावरलाल साहू, रमेश शिवजी उपाध्याय, अजय राजा एकनाथ रहिरकार, जगदीश चिन्तामन मात्रे तथा जतिन चटर्जी उर्फ असीमानन्द से भी इस सम्बन्ध में पूछताछ जरूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो फिर दूसरा डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका की साजिश को पूरा करने के लिए भारत और पाकिस्तान में काम करेगा।
मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
लो क सं घ र्ष !: कौन है यह डेविड कोलमैन हेडली
कहीं ऐसा तो नहीं यह डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों को संगठित करता रहा हो और भारत में अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसी संस्थाओं को भी संगठित करने में लगा रहा हो क्योंकि अमेरिका की नीयत दुनिया के किसी देश के लिए साफ नहीं है और खास करके भारत, पाकिस्तान और चीन के लिए। बहुत जरूरी हो गया है भारत को अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करना और उसी के साथ अभिनव भारत और सनातन संस्था की साध्वी प्रज्ञा सिंह, चन्द्रपाल सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेन्ट कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित, सुधाकर उदयबान धर द्विवेदी, राकेश दत्तात्रेय धावड़े, समीर शदर कुलकर्णी, सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, शिव नरायण गोपाल सिंह कालसांगरा, श्याम बावरलाल साहू, रमेश शिवजी उपाध्याय, अजय राजा एकनाथ रहिरकार, जगदीश चिन्तामन मात्रे तथा जतिन चटर्जी उर्फ असीमानन्द से भी इस सम्बन्ध में पूछताछ जरूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो फिर दूसरा डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका की साजिश को पूरा करने के लिए भारत और पाकिस्तान में काम करेगा।
मोहम्मद शुऐब एडवोकेट
दोहे और उक्तियाँ !!
भार झोंक के भाड़ में, रहीम उतरै पार।
पे डूबे मंझधार में, जिनके सिर भार॥
(रहीम)
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बिल गेट्स बिहार के एक पिछड़े गाँव को गोद लेंगे !!
गेट्स खगड़िया के अत्यंत पिछड़े गांव गुलेरिया मुसहरी जाएंगे, जिसे 'बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन' गोद लेने जा रही है। गेट्स के साथ पांच सदस्यीय दल भी इन क्षेत्रों का दौरा कर रहा है। खगड़िया के बाद गेट्स बांका जिला के तेतरिया गांव जाएंगे और वहां की चिकित्सा व्यवस्था से रूबरू होंगे।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव सीके मिश्रा ने बताया कि गेट्स मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, कालाजार, यक्ष्मा जैसी बीमारियों से लड़ने में राज्य को मदद करेंगे। गेट्स शाम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी करेंगे तथा तकनीकी सहायता देने के मुद्दे पर उनके फाउंडेशन तथा राज्य सरकार के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होंगे।
क्या पी टी आई बलात्कारी का ठिकाना बना रहेगा, या पत्रकारिता का आदर्श प्रस्तुत करेगा ?
निरुपमा की मौत के बाद के तथ्यों से साफ़ प्रतीत होता है कि प्रियभांशु की इसमें सक्रीय भागीदारी रही है, निरुपमा की मौत के बाद के सिलसिलेवार हवालों पर नजर डालें तो पत्रकारिता के भगोड़ों ने इस मुद्दे को उछाल कर नीरू के शव को बेचने के लिए उसके लाश तक को नहीं छोड़ा है और इस शव के विक्रेता का प्रियभांशु ने साथ दिया और लिया है।
बीते दिनों देश का अग्रिणी मीडिया समूह दैनिक भास्कर ने अपने ही एक समाचार पत्र डी बी स्टार के सम्पादक को इसलिए निकाल बाहर किया क्यूंकि उक्त सम्पादक ने स्थानीय विश्वविद्यालय में छात्रा के साथ बलात्कार करने की कोशिश कर पत्रकारिता के साथ साथ संस्थान को भी धूमिल किया।
क्या पी टी आई पत्रकारिता के मानदंड की सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए प्रियभान्शु को अपनी छत्रछाया प्रदान करता रहेगा या पत्रकारिता के लिए उदाहरण बनेगा।
अनकही अपने प्रश्नों के साथ फिर से हाजिर होगी।
आनंद फिर बने विश्व विजेता !!
विश्वनाथ आनंद ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वह ही शतरांज के विश्व विजेता हैं।
आनंद ने सोफिया में हुए विश्व शतरंज प्रतियोगिता जीतकर यह खिताब अपने पास बरकरार रखा है। आखिरी मैच के 12वें एवं अंतिम खेल में उन्होंने रूस से वेसेलिन टोपालोव को 57 चालों में हराया।
40 वर्षीय आनंद इससे पहले 2000, 2007 और 2008 में यह प्रतियोगिता जीत चुके हैं।
प्रतियोगिता के आयोजन स्थल तक आनंद 40 घंटे की सड़क से यात्रा करने के बाद पहुंचे थे। क्योंकि आइसलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट के चलते यूरोप में हवाई यातायात स्थगित हो गया था। वह अपना पहला खेल हार गए थे लेकिन जोरदार वापसी करते हुए उन्होंने दूसरा और तीसरा खेल जीत लिय़ा ।
श्री आनंद ने कहा कुछ कर गुजरने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है आत्मविश्वास। यह आत्मविश्वास मुझे चेस खेलने से ही आता है। मैं ही नहीं बल्कि बहुत से भारतीय लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं, बेहतर परिणाम देने के लिए। हम एनआईआईटी माइंड चेस एकेडमी के माध्यम से स्कूलों में चेस ले आए। देश के पूर्वी भाग के स्कूलों में परंपरागत रूप से शतरंज नहीं खेली जाती। वहां के बच्चों ने भी इस एकेडमी द्वारा तैयार विशेष किट की मदद से अपने आप चेस खेलना सीखा। और उन्होंने ने एनआईआईटी चेस मास्टर 2009 कप भी जीता।
पढ़ाई और खेल एक-दूसरे के पूरक हैं। खासकर इसलिए कि खेलों में भी दिमाग का खूब उपयोग होता है। यकीनन शतरंज ऐसा खेल है जो दिमाग को विकसित करने का काम करता है। एनआईआईटी माइंड चैंपियंस एकेडमी के दौरान हमने 8000 बच्चों पर एक सर्वे भी किया था। उसमें सभी बच्चों का कहना था कि चेस के कारण उनमें ज्यादा आत्मविश्वास और धैर्य है। परीक्षा में विशेषकर साइंस और मैथ्स में बेहतर अंक लाने में मदद भी मिली है।
हमें वल्र्ड लीडर बनाने में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। वैसे भी, परिवार और देश की प्रगति में महिला की अहम् भूमिका है। उन परिवारों में जहां महिलाओं को मूलभूत शिक्षा और हेल्थकेयर दी जाती है, उनके बच्चे स्वाभाविक रूप से ही शिक्षित और स्वस्थ होते हैं। साफ-सफाई के प्रति उनका लगाव भी ज्यादा होता है। शिक्षित महिला पारिवारिक फैसले को प्रभावित करने में सक्षम होती है।
हम सभी दिशाओं और क्षेत्रों में बेहतर काम कर रहे हैं, इसके बावजूद हमें अभी भी गरीबों के रहन-सहन के स्तर में सुधार करना है। पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उन तक पहुंचानी हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर को महत्व दिया गया है, लेकिन उसमें काफी काम होना है। मुझे लगता है कि अगले कुछ ही सालों में हमारे शहरों की स्थिति एक निश्चित सुधरे हुए स्तर तक पहुंच जाएगी। हम ‘संपेरों और साधुओं के देश’ की पहचान वाले दौर से बहुत आगे निकल आए हैं। अब भारतीय कंपनियां ग्लोबल ब्रांड बन चुकी हैं। भारत का जिक्र अक्सर नए एवं महत्वपूर्ण विचारों के संदर्भ में होता है। हमारा समाज बहुत बुद्धिमानों का है। और हममें दुनिया की नॉलेज कैपिटल बनने की भरपूर संभावना है।
भारत ने आस्ट्रेलिया को हराया तालिका में सर्वोच्च स्थान पर !
अज़लान शाह हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम का शानदार प्रदर्शन जारी. राजपाल सिंह के लड़ाकों ने सोमवार को वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई.
मज़बूत मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया टीम को भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने मैच शुरू होते ही छकाना शुरू किया. भारतीय खिलाड़ियों ने हाफ टाइम तक 3 गोल दाग दिए. इसके बाद भी भारतीय खिलाड़ियों बेहतरीन तालमेल बरकरार रहा. टीम ने एक ओर और मारा और चैंपियनों को 4-0 से पीछे छोड़ दिया.
भारत की तरफ़ से तुषार खांडेकर ने दो गोल किए जबकि एक एक गोल कप्तान राजपाल सिंह ने दागा. इंटरवल के बाद ऑस्ट्रेलिया ने कुछ हद तक वापसी की. ट्रेंट मिल्टन और क्रिस्टोफर सिरिएलो ने एक एक गोल किया. जवाब में शिवेंद्र सिंह ने भी अपनी स्टिक का जादू दिखाते हुए भारत के लिए चौथा गोल दागा
2003 के बाद यह पहला मौक़ा है जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है. मैच के आख़िरी पलों में मार्क पैटरसन के गोल की मदद से वर्ल्ड चैंपियन टीम शर्मनाक हार को टालने में सफल रही और स्कोर रहा, 4-3
पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को लगातार रौंदने के बाद भारतीय टीम अब 10 अंकों के साथ अंकतालिका में सबसे ऊपर आ गई है. ऑस्ट्रेलिया के छह अंक हैं. बुधवार को भारत का सामना मलेशिया से होना है. अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि भारतीय टीम में पुरानी जान लौट आई है, लेकिन पूर्व खिलाड़ी कहते हैं कि हॉकी के मैदान से शुभ संकेत आने लगे हैं
झामुमो ने सत्ता में साझीदारी की मांग की !!
तीन घंटे तक चली पार्टी विधायक दल बैठक की अध्यक्षता करने के बाद सोमवार रात मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी गठबंधन सहयोगियों के बीच सत्ता साझीदारी के मुद्दे पर भाजपा के जवाब का इंतजार करेगी और 12 मई को इस पर फिर से चर्चा करेगी।
झामुमो विधायक दल के नेता हेमंत ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बैठक के दौरान हमने 28-28 महीने के लिए सत्ता साझीदारी का प्रस्ताव रखा था। लेकिन अब हमें पता चला है कि भाजपा पूरे कार्यकाल के लिए राज्य का शासन करने की इच्छा व्यक्त कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिरता और विकास के लिए हमने मुख्यमंत्री पद भाजपा को दिया। और अब 50-50 फार्मूले के आधार पर सत्ता साझीदारी के मुद्दे पर विचार करना उसके ऊपर निर्भर करता है। यह पूछे जाने पर कि मुख्यमंत्री शिबू सोरेन कब इस्तीफा देंगे, हेमंत ने कहा कि पहले भाजपा को मुख्यमंत्री पद का अपना उम्मीदवार चुनने दीजिए और 50-50 फॉर्मूले पर रुख स्पष्ट करने दीजिए। सोमवार रात हुई बैठक में पार्टी के 18 में से 14 विधायक शामिल हुए।
हेमंत ने बताया कि झामुमो विधायक दल की बैठक में यह भी महसूस किया गया कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद के लिए किसी आदिवासी नेता को चुनना चाहिए। अब राज्य के हित में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना भाजपा पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को राज्य में 28 महीने तक सरकार का नेतृत्व करना चाहिए और उसके बाद झामुमो को शासन देने के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। सोरेन ने यह भी कहा कि झामुमो ने पांच मंत्री पद दिए जाने का प्रस्ताव पेश किया है।
भाजपा ने केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और अनंत कुमार नियुक्त किए हैं जो मंगलवार को नया मुख्यमंत्री चुनने में विधायकों की मदद करने के लिए रांची जाएंगे।
झामुमो के वरिष्ठ नेता और विधायक सिमोन मरांडी ने कहा कि बैठक के दौरान दो मत उभरकर आए। एक समूह फिर से भाजपा के साथ जाने का विरोधी था, जबकि दूसरे ने इसका समर्थन किया।
गब्बर के साम्भा ने दुनिया को अलविदा कहा.
भारतीय फ़िल्म के सुप्रसिद्ध चरित्र अभिनेता मैक मोहन का सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. उन्हें कैंसर था.
मैक मोहन को हिंदी सिनेमा की सुपर हिट फ़िल्म शोले के सांभा के नाम से ज़्यादा ख्याति मिली और लोग उन्हें उसी नाम से पुराकरने लगे थे.
मैक मोहन ने फ़िल्म हक़ीक़त से अपने फ़िल्मी जीवन की शुरूआत की.
यह फ़िल्म 1964 में आई थी और यह 1962 के भारत-चीन युद्ध पर आधारित थी.
मैक मोहन ने इसमें राम स्वरूप के सबसे छोटे भाई का पात्र निभाया था. मैकमोहन ने ज़्यादातर नकारात्मक किरदार निभाया है.
हालांकि फ़िल्म शोले में सांभा का किरदार बस नाम मात्र था लेकिन वह उन्हें सबसे प्रिय था.
मैक मोहन ने लगभग 200 फ़िल्मों में चरित्र अभिनय किया.
उनकी मश्हूर फ़िल्मों में शोले के अलावा, ज़ंजीर, मजबूर, मेम साहब, सुहाना सफ़र, कसौटी, सलाख़ें. प्रेम रोग, डॉन, ख़ून पसीना, हेरा फेरी, जानी दुश्मन, काला पत्थर, क़र्ज़, टक्कर, क़ुर्बानी, अलीबाबा और 40 चोर, लक बाई चांस शामिल हैं
दोहे और उक्तियाँ !!
तुलसी इस संसार में. भांति भांति के लोग।
सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥
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अलग राज्यक माँग कतेक सार्थक !!
ह्रदय रोग में कोलेस्ट्रोल के अलावा अन्य चर्बी की भूमिका की संभावना !!
जेल से नीरू के लिए माँ की सौगात !!!
निरुपमा के मामले में सिविल सर्जन जो तर्क दे रहे हैं कि गले की हडडी नही टुटी हुई नही हैं दम घुटने के कारण इसकी मौंत हुई हैं जो हत्या का लक्षण हैं।ब्लांक पर दिये गये हेगिंग से जुड़े फोटो संख्या चार को देखे जिसमें फांसी लगाने वाला व्यक्ति फांसी लगाकर सिर्फ अपना सिर नीचे कर लिया हैं।इस स्थिति में फांसी लगाने पर व्यक्ति की मौंत दम घुटने से होती हैं और गले की हडडी नही टुटती हैं।पुलिस को जो अभी तक साक्ष्य मिला हैं उसमें निरपमा पहले पखे से अपनी आढनी बांधी हैं औऱ फिर ओढनी को अपने गर्दन में बांध कर पलग पर बैंठ गयी और सिर झुका दी जिसके कारण उसकी माँ आसानी से फंदा भी खोल ली और मौंत का कारण पोस्टमार्टम में दम घुटना आया हैं।ये जो कहा जा रहा हैं कि उस रुम में न तो कोई स्टुल मिला हैं जिसके सहारे निरुपमा खड़ी होती यह सही हैं लेकिन डाक्टर के सामने जो चीजे पोस्टमार्टम के दौरान सामने आया उसकी विस्तृत विवरण के बाद मौंत के कारणो पर विशलेशन करती तो ये बाते सामने आ जाती हैं।डाँ0जिस फर्मूला के आधार पर निरुपमा की मौंत को हत्या बता रहा हैं वह बेहद सिम्पल थ्यूरी हैं प्रैकटिस में पूरे बिहार ही नही पूरे देश में खासकर जिला अस्पताल में यही थ्योरी चलती हैं।जिसके कारण यह विवाद पैंदा लिया हैं।इस विवाद से सीखने की जरुरत हैं यह नही की जिस थ्योरी को लेकर अपनी बात रख दिया हैं उस पर अंतिम तक कायम रहे।मीडिया के बंधुओ से तो विशेष कर विनती हैं की इस तरह के मामले में ओपेनियन देने से पहले विशेषज्ञो से पूरी बहस कर ले और हो सके तो इससे सपोर्टिंग किताब का अक्सर अध्यण करते रहे खासकर जो क्रायम रिपोर्टिग करते हैं।
यह वाकिया मुझे इसलिए याद हैं कि चार वर्ष पहले इसी तरह अपहरण के दो कैंदी की मौंत थाने के हाजत में समस्तीपुर में हो गयी थी।पुलिस हाजत मैं सीधे सीधे थानेदार सहित थाने के सभी पुलिस हत्या के अभियुक्त हो गये उस वक्त जमकर हंगामा हुआ था नीतीश कुमार की सरकार बनी थी और अतिपिछड़े वर्ग के दो लोगो की मौंत भी हुई थी।मीडिया ने जमकर हंगामा किया था।एक रात करीब 11बजे उस वक्त में दरभंगा में पोस्टेड था उसी आरोपी थानेदार का फोन आया औऱ कहां मैं आपके मकान के नीचे हैं जरा मिलना चाहते हैं।मैंने उपर बुलाया उसने मुझे फोरेन्सिंक विभाग से जुड़े कई किताबो का जिरोक्स दिया जिसमें हेंगिग को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी थी।साथ ही कहा कि पुलिस हाजत में जिन दो कैंदी की मौंत हुई हैं वह दोनो से अपनी लुंगी को फारकर गले में बांधा और हाजत के लोहा में बांधकर बैंठ गया जिसके कारण उसकी मौंत हो गयी हैं हमलोगो ने उसकी हत्या नही की हैं जबकि वह खुद आत्महत्या किया हैं।मैने कहा इसके लिए भी तो आपही लोग दोषी हैं।खेर दूसरे दिन पूरे कागजात को लेकर दरभंगा मेडिकल कांलेज के फोरेन्सिक डिपार्टमेंन्ट के हेड एस0के0पी0सिंह से मिला उन्होने कहा कि इस तरह के साक्ष्य में हत्या लिखना पूरी तौर पर सही नही होता हैं।और इस मामले में पुलिस द्वारा संकलित साक्ष्य और पंचनामा को ज्यादा महत्व दी जानी चाहिए।क्यो कि इस तरह के सिम्टम में दोनो बाते हो सकती हैं।मैंने उनकी बाईट लेकर खबर बनायी कि ताजपुर थाने में कैंदी की हुई मौंत हत्या नही आत्महत्या भी हो सकती हैं।खबर को लेकर विवाद भी हुआ लेकिन इस मामले में गठित जांच टीम ने इस मसले को भी अपनी जांच में शामिल किया हलाकि यह मामला आज भी चल ही रहा हैं।वही इस मामले में ताजा खबर यह हैं कि प्रियभांशु के वे सभी मित्र जो इसकी वकालत कर रहे थे दिल्ली से फरार हो गये हैं।मेरे सुत्र की माने तो इस मामले में कांलेज के शिक्षक प्रधान से भी पुछताछ होनी चाहिए जिन्होने इस मामले को लेकर बड़ी हाई तौबा मचायी हैं इनकी भूमिका के बारे में इसी कांलेज के छात्रो ने कई तरह की बाते बतायी हैं।
निरुपमा की मौंत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।
निरुपमा मामले में आप सबो की मुहिम रंग लाने लगा हैं।प्रियभाशु पर सिंकजा कसने लगा हैं औऱ कोडरमा एसपी इस मामले में नये सिरे से अनुसंधान प्रारम्भ कर दिया हैं।निरुपमा मामले में जारी खोज के तहत कल निरुपमा के घर के आस पास के लोगो से बात करने का प्रयास किया, जहां नये लोगो को देखते ही मुहल्ले वाले अपने घर के खिड़की और दरवाजे बंद करने लगते हैं। निरुपमा के घर जाने वाली गली का नामाकरण हत्यारिण माँ गली कर दी गयी हैं। लेकिन जैसे जैसे मुहल्ले वाले खुलते गये लगा यह मामला तो पूरी तौर पर ओपेन हैं। और इसको लेकर इतने कयास क्यो लगाये जा रहे हैं। मुहल्ले वासी को दुख हैं तो मीडिया की भूमिका को लेकर जिन्होने निरुपमा के परिवार को दोहरी मार दी हैं।बातचीत शुरु हुई तो सबसे पहले निरुपमा के सबसे नजदीक के पड़ोसी 75वर्षीय काली महतो अपनी बात रखने लगे इन्होने बताया हैं कि निरुपमा से उनकी भेट 29तारीख के सुबह 8बजे हुई थी। मैने अपने बगान से खीरा तोड़ कर निरुपमा को दिया था। उस वक्त निरुपमा थोड़ी उदास जरुर दिखी मैंने पुछा भी सब कुछ ठिक ठाक हैं न।थोड़ी देर बाद उसकी माँ के चिल्लाने की आवाज आई मेरे घर से और आसपास के घर से लोग दौंड़ कर गये तो लोग देख रहे हैं कि निरुपमा पंखे से लटकी हैं और उसकी माँ उसे उतारने का प्रयास कर रही हैं।वही उसकी माँ चिल्ला चिल्ला कर केरंट लगने की बात कर रही थी। तो हल्ला सुनकर मुहल्ले के कई नवयुवक भी पहुंच गये ।और आनन फानन में पड़ोसी के गांड़ी से पास ही स्थित पार्वति निर्सिग होम में ले जाया गया जहां डां0ने देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।फिर वही लोगो जो निरुपमा को निर्सिग होम ले गये थे उसकी लाश लेकर वापस मुहल्ले में आ गये।उसके बाद निरुपमा की माँ के मोबाईल से उसके एक दूर के रिश्तेदार जो कोडरमा में ही रहते हैं उनको फोन किया गया उनके आने के बाद वे निरुपमा के पिता,भाई मामा और चाचा को फोन किये।कुछ ही मिनटो में यह खबर आसपास के मुहल्लो में भी फैल गयी और लोगो के आने जाने का सिलसिल जारी हो गया।
इसी दौरान पुलिस भी आयी और लाश देखकर चली गयी, यह कहते हुए की निरुपमा के पापा लोग आये तो पुलिस को सूचना दे देगे।लेकिन दोपहर होते होते दिल्ली से जो खेल शुरु हुआ उसके सोर में यह सच कही गुम हो गयी और देखते देखते पूरा माजरा ही बदल गया।जन्मदायी मां हत्यारिन माँ हो गयी।पूरी घटना के बारे में निरुपमा के पड़ोसी प्रवीण सिन्हा उनकी पत्नी,नरायण सिंह और कामेश्वर यादव ने यहा तक कहा कि पुलिस घटना स्थल पर आये तब न सच क्या हैं लोग बतायेगे।
इस पूरे प्रकरण की सूचना एसपी को दी गयी, और दोपहर बाद एसपी खुद मामले की जांच करने निरुपमा के घर पहुंचे।इस सच से रुबरु होने के बाद लगता हैं एसपी के विचार में भी बदलाव आया हैं।वही दूसरी और कोडरमा पुलिस को निरुपमा के मोबाईल का प्रिन्टआउट मिल गया हैं।सबसे चौकाने वाली बात यह हैं कि निरुपमा की 22अप्रैल से 28अप्रैल के बीच प्रियभाशु से एक बार भी बात नही हुई हैं। जबकि इस दौरान निरुपमा दिल्ली के अपने कई मित्रो से बात की हैं।28तारीख को शाम चार बजे निरुपमा और प्रियभाशु के बीच लगभग 15 मिनट बात हुई और उसके बात निरुपमा का मोबाईल स्वीच आंफ हो गया हैं।
ऐसा इसलिए लगता हैं कि उसके बाद कोई कांल निरुपमा के मोबाईल पर नही आया हैं और ना ही किया गया हैं।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर कौन सी बजह थी जो निरुपमा और उसके तथाकथित प्रेमी के बीच एक सप्ताह तक बातचीत नही हुई और जब बातचीत होती हैं तो उसके बाद उसका मोबाईल स्वीच आंफ हो जाता हैं और सुबह उसके हत्या होने की बात सामने आती हैं।
प्रियभाशु भले ही मीडिया के सामने यह कह रहा हैं कि न्याय के लिए कही भी जाने को तैयार हैं लेकिन एक सप्ताह तक दोनो के बीच बातचीत नही होने को लेकर पुछे गये सवालो का वे जबाव नही दे पा रहा हैं।
हलाकि पुलिस को निरुपमा के हत्या के मुकदमो को आत्महत्या में बदलने को लेकर कई कानूनी अरचने हैं।वही इस मामले में दोषी को सजा दिलना तो और भी मुश्किल हैं।लेकिन मामले के पूरी तौर पर सामने आने से हत्यारिन माँ की कंलक झेल रही निरुपमा की माँ को थोड़ी राहत जरुर मिल सकती हैं।
लेकिन इस स्थिति के लिए उन्हे माफ नही किया जा सकता क्यो कि निरुपमा के इस स्थिति से उबारने में एक माँ के रुप में वे विफल रही हैं।खैर इस मामले को औऱ इमोशनल बनाने की जरुरत नही हैं।लेकिन देर से ही सही अब मीडिया का रुख भी बदलने लगा हैं।