लो क सं घ र्ष !: एक बार एक जज साहब बोले

न्यायिक कार्य से छुट्टी पाने के बाद कुछ देर के लिए जज साहब का हमारे साथ बैठना हुआ। बातचीत के दौरान जज साहब बोले, ‘‘ मेरा एक मुसलमान दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है।’’
मेरा संबंध उस लोकसभा क्षेत्र है जहां से किसी जमाने में सुभद्रा जोशी और अटल बिहारी बाजपेयी चुनाव लड़ा करते थे। सुभद्रा जोशी ने उस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित बहुत सारे साहित्य अपने क्षेत्र में वितरित किये और तत्समय का यह किशोर रूचिपूर्वक उस साहित्य को पढ़ता रहा। किसान इंटर कालेज, महोली, जिला सीतापुर में मैंने इंटरमीडिएट में जुलाई 1963 में दाखिला लिया, वहां मेरा एक दोस्त एक दिन खेलकूद और व्यायाम के लिए मुझे अपने साथ ले गया तब मुझे पता लगा कि वह व्यायाम और खेलकूद के लिए संघ शाखा लगाती है। दूसरे दिन मेरे मना करने से पहले मेरे दोस्त ने मुझे खुद शाखा में जाने से यह कहकर मना कर दिया कि शाखा संचालक को मेरे वहां जाने पर आपत्ति थी। आगे शिक्षा ग्रहण के दौरान मैंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में सुनकर और पढ़कर बहुत कुछ जाना समझा।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।

फिर भी सब कुछ जानने के बावजूद जज साहब बोले थे कि उनका एक दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है और यह जानकारी उनको कैसे होती अगर वह खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता न होते।

सोचिए और सोच कर बताइए!

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

loksangharsha.blogspot.com

लो क सं घ र्ष !: एक बार एक जज साहब बोले

न्यायिक कार्य से छुट्टी पाने के बाद कुछ देर के लिए जज साहब का हमारे साथ बैठना हुआ। बातचीत के दौरान जज साहब बोले, ‘‘ मेरा एक मुसलमान दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है।’’
मेरा संबंध उस लोकसभा क्षेत्र है जहां से किसी जमाने में सुभद्रा जोशी और अटल बिहारी बाजपेयी चुनाव लड़ा करते थे। सुभद्रा जोशी ने उस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबंधित बहुत सारे साहित्य अपने क्षेत्र में वितरित किये और तत्समय का यह किशोर रूचिपूर्वक उस साहित्य को पढ़ता रहा। किसान इंटर कालेज, महोली, जिला सीतापुर में मैंने इंटरमीडिएट में जुलाई 1963 में दाखिला लिया, वहां मेरा एक दोस्त एक दिन खेलकूद और व्यायाम के लिए मुझे अपने साथ ले गया तब मुझे पता लगा कि वह व्यायाम और खेलकूद के लिए संघ शाखा लगाती है। दूसरे दिन मेरे मना करने से पहले मेरे दोस्त ने मुझे खुद शाखा में जाने से यह कहकर मना कर दिया कि शाखा संचालक को मेरे वहां जाने पर आपत्ति थी। आगे शिक्षा ग्रहण के दौरान मैंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में सुनकर और पढ़कर बहुत कुछ जाना समझा।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक ऐसा संगठन है जिसके सामने हमेशा एक काल्पनिक दुश्मन रहता है, बिना दुश्मन की कल्पना किये संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिक्षण और प्रशिक्षण नहीं दे सकता। शाखा में व्यायाम खेलकूद के साथ-साथ लाठी-डण्डा भी चलाना सिखाया जाता रहा है और अब आधुनिक युग में आधुनिक हथियारों की भी जानकारी दी जाती है। सिर्फ शाखा में ही नहीं बैठकों में भी मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है। मुगल शासकों से लेकर आज के साधारण मुसलमानों तक के खिलाफ वहां बुद्धि का विकास किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र कायम करने के लिए हर प्रयास किया जाता है और हर प्रयास करने की शिक्षा दी जाती है। मुसलमानों को पाकिस्तानी कहकर उन्हें देश से निकालने की बात की जाती है और कहा जाता है कि इस देश में रहने वाले मुसलमानों का हिन्दूकरण करना आवश्यक है। संघ की राजनीतिक औलाद भाजपा अपने अलावा हर पार्टी के खिलाफ मुसलमानों के तुष्टिकरण का इल्ज़ाम लगाती है, इसकी धार्मिक और सामाजिक औलादें हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए मुसलमानों के खिलाफ विषवमन करती रहती हैं। जहां पर मुस्लिम समाज के और मुसलमानों के खिलाफ सिर्फ और सिर्फ ज़हर उगला जाए वहां पर कोई मुसलमान रह सकता है यह सोचने का विषय है।

फिर भी सब कुछ जानने के बावजूद जज साहब बोले थे कि उनका एक दोस्त राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता है और यह जानकारी उनको कैसे होती अगर वह खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता न होते।

सोचिए और सोच कर बताइए!

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

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बेरोजगारी की मंदी से उबरा भारत, नोकरियों की बहार !

देश में धीरे-धीरे मंदी का असर खत्म होने के साथ ही नौकरियों में बहार आ रही है। निजी कंपनियों में फिर से नौकरियां की भर्तीयां हो रही है। जॉब पोर्टल नौकरी डाट काम के मुताबिक बीमा, आईटी और बैकिंग क्षेत्र में यह तेजी आई है।
इस वर्ष अप्रैल में रोजगार छह प्रतिशत से बढकर 1019 पर पहुंच गया। जुलाई 2008 के बाद से इसका सबसे ऊपर स्तर पहुंचा है। मार्च में यह सूचकांक 962 पर था। प्रमोटर कंपनी इन्फो एज के राष्ट्रीय प्रमुख (मार्केटिंग व कम्युनिकेशंस) सुमीत सिंह ने कहा कि इस साल की पहली तिमाही की शुरूआत अच्छी रही है। अलग-अलग शहरों और उद्योगों में नियुक्ति संबंधी धारणा में सुधार हुआ है। बेंगलूर, हैदराबाद और पूर्ण में नियुक्तियों में इस वर्ष मार्च के मुकाबले अप्रैल में 18,17 एवं 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

डेविड कैमरन इंग्लैण्ड के नए प्रधानमंत्री !!

ईटन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्र रहे 43 वर्षीय डेविड कैमरन ब्रिटेन के 53वें प्रधानमंत्री बन गए हैं। इसके साथ ही ब्रिटेन में 13 वर्षो से चले आ रहे लेबर पार्टी के शासन का समापन हो गया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में पहली बार गठबंधन सरकार अस्तित्व में आई है। कैमरन ने एक उचित और पूर्ण गठबंधन सरकार के वादे के साथ 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मंगलवार को प्रवेश किया। इसके कुछ ही समय पहले गार्डन ब्राउन को यहां से भावपूर्ण विदाई दी गई थी। इस सरकार में कैमरन प्रधानमंत्री बने हैं, जबकि सहयोगी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता निक क्लेग उपप्रधानमंत्री बने हैं। पिछले 200 वर्षो के इतिहास में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने कैमरन ने स्थायी और मजबूत सरकार देने का वादा किया और मतदाताओं से कहा, ""मत पूछिए कि आप क्या चाहते हैं, यह पूछो कि मैं आपको क्या दे सकता हूं।"" कैमरन ने कहा, ""मैं लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर एक उपयुक्त और पूर्ण गठबंधन सरकार बनाऊंगा।"" उन्होंने कहा, ""हमारे समक्ष कुछ गंभीर समस्याएं हैं। ये हैं वित्तीय घाटा, गंभीर सामाजिक समस्याएं, राजनीतिक व्यवस्था में सुधार।
मुझे उम्मीद है कि हम एक मजबूत और स्थायी सरकार देंगे। देश को इसकी जरूरत है।"" कैमरन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। सबसे पहले बधाई देने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कल रहें। ओबामा ने कैमरन को फोन कर उन्हें जुलाई में अमेरिका आने का न्यौता दिया, जबकि मार्कल ने भी उन्हें जल्द से जल्द बर्लिन का दौरा करने का निमंत्रण दिया। नई सरकार में विलियम हेग विदेश मंत्री होंगे, यह लगभग तय हो गया है। रक्षा मंत्रालय का जिम्मा कंजरवेटिव नेता लियाम फॉक्स को मिल सकता है। उपप्रधानमंत्री क्लेग ने कहा, ""यह नए प्रकार की सरकार होगी। यद्यपि हम हम अलग-अलग राजनीतिक दल हैं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि देश हित में हम अपने मतभेदों को दूर करेंगे और अच्छा प्रशासन देंगे।"" इससे पहले, गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशें विफल होने के बाद ब्राउन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस अवसर पर भावुक ब्राउन ने कहा, ""मैंने ब्रिटेन के नागरिकों के हित में हमेशा देश की सेवा की है।"" उनसठ वर्षीय ब्राउन 2007 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। ब्राउन ने लेबर पार्टी के नेता का पद भी तत्काल प्रभाव से छो़ड दिया। उन्होंने कहा, ""अब मैं बीवी-बच्चाों के साथ समय बिताऊंगा।"" उन्होंने बकिंघम पैलेस जाकर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को इस्तीफा सौंपा। ब्रिटेन की 650 सीटों वाली संसद में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 326 सीटों की जरूरत होती है। इस बार के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी 306 सीटों के साथ सबसे ब़डी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बहुमत के जादुई आंक़डे से वह 20 सीट दूर रह गई थी। ऎसे में कंजरवेटिव पार्टी ने 57 सीटें जीतकर आई लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बुधवार को कैमरन को फोन पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि वह भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को और मजबूती प्रदान करेंगे। ब्रिटिश उच्चयोग की ओर से नई दिल्ली में जारी एक बयान में कहा गया है, ""प्रधानमंत्री सिंह ने बहुत गर्मजोशी व मित्रता के भाव से कैमरन को बधाई दी।"" बयान में कहा गया है, ""10 मिनट की बातचीत में दोनों नेताओं ने कई सारे द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों के बीच विश्व अर्थव्यवस्था पर खासतौर से चर्चा हुई।"" सिंह ने कैमरन को एक बधाई पत्र भेजा है। इस पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा यहां जारी किया गया। मनमोहन सिंह ने त्रिशंकु ब्रिटिश संसद में कंजरवेटिव पार्टी के शीर्ष नेता को भारत यात्रा का निमंत्रण भी दिया। पत्र में मनमोहन सिंह ने कहा है, ""ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें। ब्रिटेन के चुनाव और कंजरवेटिव पार्टी के आपके नेतृत्व से संसदीय लोकतंत्र की सबसे बेहतर परंपराएं प्रदर्शित होती हैं।"" मनमोहन ने कहा कि नई दिल्ली में सितंबर 2006 में कैमरन से मुलाकात में उनको बहुत खुशी हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा, ""वर्षो से हमारे द्विपक्षीय संबंध करीब-करीब सभी क्षेत्रों में विविध, जीवंत और बहुपक्षीय तथा रणनीतिक साझेदारी के रहे हैं। आज हम न केवल दोनों देशों की जनता की भलाई की स्थिति में हैं वरन एक साथ मिलकर दुनिया के सामने पेश चुनौतियों का सामना करने और मानवता की भलाई के लिए राष्ट्रों के बीच बढ़ती अंतर-सरकारी निर्भरता को संवार सकते हैं।"" प्रधानमंत्री ने कहा, ""मित्रता के संबंध को और अधिक मजबूत बनाने के लिए मैं आपके साथ काम करने का इच्छुक हूं, भारत इसे सबसे अधिक महत्व देता है।"" कैमरन वैसे भी भारत के प्रशंसक है। उनका मानना है कि भारत के साथ संबंधों में और गहराई आनी चाहिए।
दरअसल, कैमरन के प्रभाव में उस समय जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जब उनकी प्रतिभा को देखकर चांसलर नॉर्मन लैमोंट ने उन्हें अपना विशेष सलाहकार बनाया था। सितंबर 2006 में अपनी भारत यात्रा से पहले कैमरन ने "द गार्जियन" समाचार पत्र में एक लेख लिखकर भारतीय लोकतंत्र को सलाम किया था। उन्होंने कहा था, ""भारत दुनिया का सबसे ब़डा लोकतंत्र और तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है। व्यापारिक भागीदारी के लिए भारत में मजबूत क्षमता है। वह बहुलवाद की मजबूत संस्कृति के साथ विभिन्नता वाला समाज है। साथ ही विश्व के अशांत क्षेत्रों में स्थिरता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ताकत है। इसलिए यह वक्त भारत का है।""

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज दिनांक 12.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत तेरहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-

.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में इसका अर्थ है 'प्यार' : रश्मि प्रभा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_11.html अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी : अमरजीत कौर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

लोग आरती उतारते हैं मैंने इक नज़्म उतारी है :अनिल 'मासूम

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7002.html

पारुल पुखराज की तीन नज्में http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_308.html

'भगवान् ने एक इमरोज़ बनाकर सांचा ही तोड़ दिया : सरस्वती प्रसाद http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

शिखा वार्ष्णेय का संस्मरण : वेनिस की एक शाम http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6286.html


काश एक इमरोज मेरी भी ज़िन्दगी में होता......रानी मिश्रा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5159.html विनय प्रजापति 'नज़र' की नज्में http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5220.html

इमरोज़ - मोहब्बत औ जहाँ मोहब्बत वहाँ खुदा : प्रिया चित्रांशी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_9004.html डा. श्याम गुप्त के गीत : प्रीति का एक दीपक जलाओ.... http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3513.html

ऐसा एहसास ऐसी तपिश हर रोज हमारे घर आए :नवीन कुमार

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2271.html निर्मला कपिला की कहानी :बेटियों की माँ http://utsav.parikalpnaa.com/2010/03/blog-post_30.html

इमरोज़ ...प्यार का स्तम्भ ...मुहब्बत का मसीहा : वाणी शर्मा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4304.html


ललित शर्मा की पेंटिंग गैलरी http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3233.html हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर http://shabd.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html
utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

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सादर प्रणाम,


आज दिनांक 12.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत तेरहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-

.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में इसका अर्थ है 'प्यार' : रश्मि प्रभा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_11.html

अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी : अमरजीत कौर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

लोग आरती उतारते हैं मैंने इक नज़्म उतारी है :अनिल 'मासूम

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पारुल पुखराज की तीन नज्में

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'भगवान् ने एक इमरोज़ बनाकर सांचा ही तोड़ दिया : सरस्वती प्रसाद http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

शिखा वार्ष्णेय का संस्मरण : वेनिस की एक शाम

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काश एक इमरोज मेरी भी ज़िन्दगी में होता......रानी मिश्रा

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विनय प्रजापति 'नज़र' की नज्में

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इमरोज़ - मोहब्बत जहाँ मोहब्बत वहाँ खुदा : प्रिया चित्रांशी

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डा. श्याम गुप्त के गीत : प्रीति का एक दीपक जलाओ....

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ऐसा एहसास ऐसी तपिश हर रोज हमारे घर आए :नवीन कुमार

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निर्मला कपिला की कहानी :बेटियों की माँ

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इमरोज़ ...प्यार का स्तम्भ ...मुहब्बत का मसीहा : वाणी शर्मा

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ललित शर्मा की पेंटिंग गैलरी

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हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर

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कान फिल्म समारोह शुरू !!



दूनियाँ का प्रतिष्ठित अन्तराष्ट्रीय कान फिल्म समारोह बुधवार को रोबिन हुड फिल्म के प्रदर्शन के साथ शुरू हुई फ़िल्म का निर्देशन रिडले स्कॉट ने किया । हालां की यह फिल्म प्रतोयोगिता में नहीं है 
इस बार जूरी में शामिल ईरानी फ़िल्म निर्माता जफ़र पनाही समारोह में नहीं ले पा रहे हैं उन्हें मार्च में कथित सरकार विरोधी फ़िल्म बनाने की योजना बनाने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था । 63 वां कान फ़िल्म महोत्सव 23 मई तक चलेगा इसमें ओलिवर स्टोन की वॉल स्ट्रीट श्रृंखला की दूसरी फ़िल्म मनी नेवर स्लीप्स दिखाई जाएगी ।
कान में इस बार 19 फ़िल्में मुख्य प्रतिस्पर्धा में हैं. विख्यात निर्देशक ओलिवर स्टोन और वूडी एलन भी कान में अपनी नई फ़िल्में प्रदर्शित करेंगे । वूडी एलन की फ़िल्म यू विल मीट अ टाल डार्क स्ट्रेंजर में भारतीय अभिनेत्री फ्रीडा पिंटो मुख्य भूमिका निभा रही हैं । हालांकि ये फ़िल्म प्रतियोगिता वर्ग में नहीं है ।
इस बार कान फिल्म समारोह में मुख्य मुक़ाबला ब्रितानी, फ्रेंच, इतावली और जापानी फिल्मों के बीच होगा एशिया की ओर से थाइलैंड, जापान और चीन की एक-एक फ़िल्में है जबकि दक्षिण कोरिया से दो फिल्में हैं । भारत की ओर से इस बार समारोह में मृणाल सेन की खंडहर विशेष वर्ग में दिखाई जाएगी । साथ ही भारतीय लड़के पर आधारित हैल्वी की फ़िल्म ‘कवि’ इस साल कान फ़िल्म महोत्सव के 'शॉर्ट फ़िल्म कॉर्नर' में दिखाई गई 


‘कवि’ एक छोटे से भारतीय लड़के की कहानी है जो स्कूल जाना चाहता है और क्रिकेट खेलना चाहता है. लेकिन वो ग़रीब है इसलिए उसे ईंट भट्टे में काम करना पड़ता है । ये फ़िल्म ऑस्कर में शॉर्ट फ़िल्म कैटगरी में नामांकित हुई थी और इसे छात्र वर्ग में एक पुरस्कार भी मिला था ।

लो क सं घ र्ष !: कौन है यह डेविड कोलमैन हेडली

डेविड कोलमैन हेडली का नाम मुम्बई की 26/11 की तबाही के बाद सामने आया। एक गुनहगार, इंसानियत का दुश्मन को फांसी की सजा अदालत से मिल चुकी है, दूसरे गुनहगार को अमेरिका बचाने में लगा हुआ है, यह गुनहगार और कोई नहीं यही है डेविड कोलमैन हेडली जो एफ0बी0आई0 के काम करता रहा। एफ0बी0आई0 ने ही उसे पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में दाखिल कराया और वह पाकिस्तान में एफ0बी0आई0 के एजेन्ट के रूप में तबाही मचाने और हमारे देश को आतंकित करने के उद्देश्य से काम करता रहा। उसने हमारे देश के भी दौरे किये।
कहीं ऐसा तो नहीं यह डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों को संगठित करता रहा हो और भारत में अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसी संस्थाओं को भी संगठित करने में लगा रहा हो क्योंकि अमेरिका की नीयत दुनिया के किसी देश के लिए साफ नहीं है और खास करके भारत, पाकिस्तान और चीन के लिए। बहुत जरूरी हो गया है भारत को अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करना और उसी के साथ अभिनव भारत और सनातन संस्था की साध्वी प्रज्ञा सिंह, चन्द्रपाल सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेन्ट कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित, सुधाकर उदयबान धर द्विवेदी, राकेश दत्तात्रेय धावड़े, समीर शदर कुलकर्णी, सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, शिव नरायण गोपाल सिंह कालसांगरा, श्याम बावरलाल साहू, रमेश शिवजी उपाध्याय, अजय राजा एकनाथ रहिरकार, जगदीश चिन्तामन मात्रे तथा जतिन चटर्जी उर्फ असीमानन्द से भी इस सम्बन्ध में पूछताछ जरूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो फिर दूसरा डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका की साजिश को पूरा करने के लिए भारत और पाकिस्तान में काम करेगा।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

लो क सं घ र्ष !: कौन है यह डेविड कोलमैन हेडली

डेविड कोलमैन हेडली का नाम मुम्बई की 26/11 की तबाही के बाद सामने आया। एक गुनहगार, इंसानियत का दुश्मन को फांसी की सजा अदालत से मिल चुकी है, दूसरे गुनहगार को अमेरिका बचाने में लगा हुआ है, यह गुनहगार और कोई नहीं यही है डेविड कोलमैन हेडली जो एफ0बी0आई0 के काम करता रहा। एफ0बी0आई0 ने ही उसे पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में दाखिल कराया और वह पाकिस्तान में एफ0बी0आई0 के एजेन्ट के रूप में तबाही मचाने और हमारे देश को आतंकित करने के उद्देश्य से काम करता रहा। उसने हमारे देश के भी दौरे किये।
कहीं ऐसा तो नहीं यह डेविड कोलमैन हेडली पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए लोगों को संगठित करता रहा हो और भारत में अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसी संस्थाओं को भी संगठित करने में लगा रहा हो क्योंकि अमेरिका की नीयत दुनिया के किसी देश के लिए साफ नहीं है और खास करके भारत, पाकिस्तान और चीन के लिए। बहुत जरूरी हो गया है भारत को अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए डेविड कोलमैन हेडली से पूछताछ करना और उसी के साथ अभिनव भारत और सनातन संस्था की साध्वी प्रज्ञा सिंह, चन्द्रपाल सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेन्ट कर्नल प्रसाद श्रीकान्त पुरोहित, सुधाकर उदयबान धर द्विवेदी, राकेश दत्तात्रेय धावड़े, समीर शदर कुलकर्णी, सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, शिव नरायण गोपाल सिंह कालसांगरा, श्याम बावरलाल साहू, रमेश शिवजी उपाध्याय, अजय राजा एकनाथ रहिरकार, जगदीश चिन्तामन मात्रे तथा जतिन चटर्जी उर्फ असीमानन्द से भी इस सम्बन्ध में पूछताछ जरूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो फिर दूसरा डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका की साजिश को पूरा करने के लिए भारत और पाकिस्तान में काम करेगा।

मोहम्मद शुऐब एडवोकेट

दोहे और उक्तियाँ !!


भार झोंक के भाड़ में, रहीम उतरै पार।


पे डूबे मंझधार में, जिनके सिर भार॥


(रहीम)


~~~~~

बिल गेट्स बिहार के एक पिछड़े गाँव को गोद लेंगे !!


दुनिया की अग्रणी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स अपनी एकदिवसीय यात्रा पर बुधवार को पटना पहुंचे। यहां से वह सीधे खगड़िया चले गए।

गेट्स खगड़िया के अत्यंत पिछड़े गांव गुलेरिया मुसहरी जाएंगे, जिसे 'बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन' गोद लेने जा रही है। गेट्स के साथ पांच सदस्यीय दल भी इन क्षेत्रों का दौरा कर रहा है। खगड़िया के बाद गेट्स बांका जिला के तेतरिया गांव जाएंगे और वहां की चिकित्सा व्यवस्था से रूबरू होंगे।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव सीके मिश्रा ने बताया कि गेट्स मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, कालाजार, यक्ष्मा जैसी बीमारियों से लड़ने में राज्य को मदद करेंगे। गेट्स शाम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी करेंगे तथा तकनीकी सहायता देने के मुद्दे पर उनके फाउंडेशन तथा राज्य सरकार के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होंगे।

क्या पी टी आई बलात्कारी का ठिकाना बना रहेगा, या पत्रकारिता का आदर्श प्रस्तुत करेगा ?

पी टी आई भारतीय खबरिया बाजार की अग्रगामी संस्था में से एक है, आपका अपना एक इतिहास है और दर्शन भी। पत्रकारिता के माप दंड पर निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने वाली पी टी आई का प्रियभांशु पर ढुलमुल रवैया जहाँ पी टी आई पर संदेह करवाता है वहीँ पत्रकारिता के उस विभीत्स रूप का वास्तविक दर्शन करवाता है जो बाजारवाद में ख़बरों को बेचने के लिए सामाजिक सरोकार से इतर सिर्फ ख़बरों का व्यवसाय करने पर उतारू हो।

निरुपमा की मौत के बाद के तथ्यों से साफ़ प्रतीत होता है कि प्रियभांशु की इसमें सक्रीय भागीदारी रही है, निरुपमा की मौत के बाद के सिलसिलेवार हवालों पर नजर डालें तो पत्रकारिता के भगोड़ों ने इस मुद्दे को उछाल कर नीरू के शव को बेचने के लिए उसके लाश तक को नहीं छोड़ा है और इस शव के विक्रेता का प्रियभांशु ने साथ दिया और लिया है।

बीते दिनों देश का अग्रिणी मीडिया समूह दैनिक भास्कर ने अपने ही एक समाचार पत्र डी बी स्टार के सम्पादक को इसलिए निकाल बाहर किया क्यूंकि उक्त सम्पादक ने स्थानीय विश्वविद्यालय में छात्रा के साथ बलात्कार करने की कोशिश कर पत्रकारिता के साथ साथ संस्थान को भी धूमिल किया।

क्या पी टी आई पत्रकारिता के मानदंड की सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए प्रियभान्शु को अपनी छत्रछाया प्रदान करता रहेगा या पत्रकारिता के लिए उदाहरण बनेगा।

अनकही अपने प्रश्नों के साथ फिर से हाजिर होगी।

आनंद फिर बने विश्व विजेता !!


विश्वनाथ आनंद ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वह ही शतरांज के विश्व विजेता हैं।

आनंद ने सोफिया में हुए विश्व शतरंज प्रतियोगिता जीतकर यह खिताब अपने पास बरकरार रखा है। आखिरी मैच के 12वें एवं अंतिम खेल में उन्होंने रूस से वेसेलिन टोपालोव को 57 चालों में हराया।

40 वर्षीय आनंद इससे पहले 2000, 2007 और 2008 में यह प्रतियोगिता जीत चुके हैं।

प्रतियोगिता के आयोजन स्थल तक आनंद 40 घंटे की सड़क से यात्रा करने के बाद पहुंचे थे। क्योंकि आइसलैंड में ज्वालामुखी विस्फोट के चलते यूरोप में हवाई यातायात स्थगित हो गया था। वह अपना पहला खेल हार गए थे लेकिन जोरदार वापसी करते हुए उन्होंने दूसरा और तीसरा खेल जीत लिय़ा । 



श्री आनंद ने कहा कुछ कर गुजरने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है आत्मविश्वास। यह आत्मविश्वास मुझे चेस खेलने से ही आता है। मैं ही नहीं बल्कि बहुत से भारतीय लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं, बेहतर परिणाम देने के लिए। हम एनआईआईटी माइंड चेस एकेडमी के माध्यम से स्कूलों में चेस ले आए। देश के पूर्वी भाग के स्कूलों में परंपरागत रूप से शतरंज नहीं खेली जाती। वहां के बच्चों ने भी इस एकेडमी द्वारा तैयार विशेष किट की मदद से अपने आप चेस खेलना सीखा। और उन्होंने ने एनआईआईटी चेस मास्टर 2009 कप भी जीता।

पढ़ाई और खेल एक-दूसरे के पूरक हैं। खासकर इसलिए कि खेलों में भी दिमाग का खूब उपयोग होता है। यकीनन शतरंज ऐसा खेल है जो दिमाग को विकसित करने का काम करता है। एनआईआईटी माइंड चैंपियंस एकेडमी के दौरान हमने 8000 बच्चों पर एक सर्वे भी किया था। उसमें सभी बच्चों का कहना था कि चेस के कारण उनमें ज्यादा आत्मविश्वास और धैर्य है। परीक्षा में विशेषकर साइंस और मैथ्स में बेहतर अंक लाने में मदद भी मिली है।

हमें वल्र्ड लीडर बनाने में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। वैसे भी, परिवार और देश की प्रगति में महिला की अहम् भूमिका है। उन परिवारों में जहां महिलाओं को मूलभूत शिक्षा और हेल्थकेयर दी जाती है, उनके बच्चे स्वाभाविक रूप से ही शिक्षित और स्वस्थ होते हैं। साफ-सफाई के प्रति उनका लगाव भी ज्यादा होता है। शिक्षित महिला पारिवारिक फैसले को प्रभावित करने में सक्षम होती है।

हम सभी दिशाओं और क्षेत्रों में बेहतर काम कर रहे हैं, इसके बावजूद हमें अभी भी गरीबों के रहन-सहन के स्तर में सुधार करना है। पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उन तक पहुंचानी हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर को महत्व दिया गया है, लेकिन उसमें काफी काम होना है। मुझे लगता है कि अगले कुछ ही सालों में हमारे शहरों की स्थिति एक निश्चित सुधरे हुए स्तर तक पहुंच जाएगी। हम ‘संपेरों और साधुओं के देश’ की पहचान वाले दौर से बहुत आगे निकल आए हैं। अब भारतीय कंपनियां ग्लोबल ब्रांड बन चुकी हैं। भारत का जिक्र अक्सर नए एवं महत्वपूर्ण विचारों के संदर्भ में होता है। हमारा समाज बहुत बुद्धिमानों का है। और हममें दुनिया की नॉलेज कैपिटल बनने की भरपूर संभावना है।

भारत ने आस्ट्रेलिया को हराया तालिका में सर्वोच्च स्थान पर !

अज़लान शाह हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम का शानदार प्रदर्शन जारी. राजपाल सिंह के लड़ाकों ने सोमवार को वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई.


मज़बूत मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया टीम को भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने मैच शुरू होते ही छकाना शुरू किया. भारतीय खिलाड़ियों ने हाफ टाइम तक 3 गोल दाग दिए. इसके बाद भी भारतीय खिलाड़ियों बेहतरीन तालमेल बरकरार रहा. टीम ने एक ओर और मारा और चैंपियनों को 4-0 से पीछे छोड़ दिया.

भारत की तरफ़ से तुषार खांडेकर ने दो गोल किए जबकि एक एक गोल कप्तान राजपाल सिंह ने दागा. इंटरवल के बाद ऑस्ट्रेलिया ने कुछ हद तक वापसी की. ट्रेंट मिल्टन और क्रिस्टोफर सिरिएलो ने एक एक गोल किया. जवाब में शिवेंद्र सिंह ने भी अपनी स्टिक का जादू दिखाते हुए भारत के लिए चौथा गोल दागा


2003 के बाद यह पहला मौक़ा है जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है. मैच के आख़िरी पलों में मार्क पैटरसन के गोल की मदद से वर्ल्ड चैंपियन टीम शर्मनाक हार को टालने में सफल रही और स्कोर रहा, 4-3

पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को लगातार रौंदने के बाद भारतीय टीम अब 10 अंकों के साथ अंकतालिका में सबसे ऊपर आ गई है. ऑस्ट्रेलिया के छह अंक हैं. बुधवार को भारत का सामना मलेशिया से होना है. अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि भारतीय टीम में पुरानी जान लौट आई है, लेकिन पूर्व खिलाड़ी कहते हैं कि हॉकी के मैदान से शुभ संकेत आने लगे हैं

झामुमो ने सत्ता में साझीदारी की मांग की !!


झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से 50-50 फार्मूले के आधार पर सत्ता में साझीदारी की मांग की है। झामुमो ने यह मांग ऐसे समय की है जब भाजपा ने दो दिन पहले ही कहा था कि वह वर्तमान सदन के शेष कार्यकाल (साढ़े चार साल) में गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेगी।

तीन घंटे तक चली पार्टी विधायक दल बैठक की अध्यक्षता करने के बाद सोमवार रात मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी गठबंधन सहयोगियों के बीच सत्ता साझीदारी के मुद्दे पर भाजपा के जवाब का इंतजार करेगी और 12 मई को इस पर फिर से चर्चा करेगी।

झामुमो विधायक दल के नेता हेमंत ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ बैठक के दौरान हमने 28-28 महीने के लिए सत्ता साझीदारी का प्रस्ताव रखा था। लेकिन अब हमें पता चला है कि भाजपा पूरे कार्यकाल के लिए राज्य का शासन करने की इच्छा व्यक्त कर रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिरता और विकास के लिए हमने मुख्यमंत्री पद भाजपा को दिया। और अब 50-50 फार्मूले के आधार पर सत्ता साझीदारी के मुद्दे पर विचार करना उसके ऊपर निर्भर करता है। यह पूछे जाने पर कि मुख्यमंत्री शिबू सोरेन कब इस्तीफा देंगे, हेमंत ने कहा कि पहले भाजपा को मुख्यमंत्री पद का अपना उम्मीदवार चुनने दीजिए और 50-50 फॉर्मूले पर रुख स्पष्ट करने दीजिए। सोमवार रात हुई बैठक में पार्टी के 18 में से 14 विधायक शामिल हुए।

हेमंत ने बताया कि झामुमो विधायक दल की बैठक में यह भी महसूस किया गया कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद के लिए किसी आदिवासी नेता को चुनना चाहिए। अब राज्य के हित में राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना भाजपा पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को राज्य में 28 महीने तक सरकार का नेतृत्व करना चाहिए और उसके बाद झामुमो को शासन देने के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। सोरेन ने यह भी कहा कि झामुमो ने पांच मंत्री पद दिए जाने का प्रस्ताव पेश किया है।
भाजपा ने केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और अनंत कुमार नियुक्त किए हैं जो मंगलवार को नया मुख्यमंत्री चुनने में विधायकों की मदद करने के लिए रांची जाएंगे।

 झामुमो के वरिष्ठ नेता और विधायक सिमोन मरांडी ने कहा कि बैठक के दौरान दो मत उभरकर आए। एक समूह फिर से भाजपा के साथ जाने का विरोधी था, जबकि दूसरे ने इसका समर्थन किया।
 

गब्बर के साम्भा ने दुनिया को अलविदा कहा.

भारतीय फ़िल्म के सुप्रसिद्ध चरित्र अभिनेता मैक मोहन का सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. उन्हें कैंसर था.

मैक मोहन को हिंदी सिनेमा की सुपर हिट फ़िल्म शोले के सांभा के नाम से ज़्यादा ख्याति मिली और लोग उन्हें उसी नाम से पुराकरने लगे थे.

मैक मोहन ने फ़िल्म हक़ीक़त से अपने फ़िल्मी जीवन की शुरूआत की.

यह फ़िल्म 1964 में आई थी और यह 1962 के भारत-चीन युद्ध पर आधारित थी.

मैक मोहन ने इसमें राम स्वरूप के सबसे छोटे भाई का पात्र निभाया था. मैकमोहन ने ज़्यादातर नकारात्मक किरदार निभाया है.

हालांकि फ़िल्म शोले में सांभा का किरदार बस नाम मात्र था लेकिन वह उन्हें सबसे प्रिय था.

मैक मोहन ने लगभग 200 फ़िल्मों में चरित्र अभिनय किया.

उनकी मश्हूर फ़िल्मों में शोले के अलावा, ज़ंजीर, मजबूर, मेम साहब, सुहाना सफ़र, कसौटी, सलाख़ें. प्रेम रोग, डॉन, ख़ून पसीना, हेरा फेरी, जानी दुश्मन, काला पत्थर, क़र्ज़, टक्कर, क़ुर्बानी, अलीबाबा और 40 चोर, लक बाई चांस शामिल हैं

दोहे और उक्तियाँ !!


तुलसी इस संसार में. भांति भांति के लोग।


सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग॥

(गोस्वामी तुलसीदास)

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अलग राज्यक माँग कतेक सार्थक !!

ओना तs हमर स्वभाव अछि हम नहि लोक के उपदेश दैत छियैक आ नहि अपन मोनक भावना लोकक सोझां में प्रकट होमय दैत छियैक । हम सुनय सबकेर छियैक मुदा हमरा मोन में जे ठीक बुझाइत अछि ओतबा धरि करैत छियैक। एकर परिणाम इ होइत अछि जे हमरा सलाह देबय वाला केर कमी नहि छैक। सब के होइत छैन्ह जे ओ जे कहताह कहतिह से हम अवश्य मानि लेबैन्ह।अपन अपन भावना केर हमरा पर थोपय के कोशिश बहुत लोक करय छथि। परोपदेश देनाइयो आसान होइत छैक । मुदा हमर भलाई केर विषय में के सोचि रहल छथि इ ज्ञान तs हमरा अछि ।  मुदा दोसराक विचार सुनालाक किछु फायदा सेहो छैक। लोकक विचार सुनि अपन विचार व्यक्त करय में आसानी होइत छैक आ आत्म विशवास सेहो बढैत छैक।  

एकटा कहबी छैक "कोठा चढ़ी चढ़ी देखा सब घर एकहि लेखा " सब ठाम कमो बेसी एके स्थिति छैक, मुदा दोसरा केर विषय में कम बुझय में, आ देरी सs बुझय में आबैत छैक, अपन तs लोक के सबटा बुझल रहैत छैक। पारिवारिक हो सामाजिक हो वा देशक, सब ठाम आपस में विचार में मतान्तर होइत रहैत छैक जे कि मनुष्य मात्र के लेल स्वाभाविक छैक आ हेबाक सेहो चाहि । जखैन्ह दस लोकक विचार होइत छैक तs ओहि में किछु नीक किछु अधलाह सेहो विचार सोंझा में आबैत छैक। मुदा आजु काल्हि सब ठाम स्वार्थ सर्वोपरि भs जाइत छैक । लोक के लेल देश समाज सs ऊपर अपन स्वार्थ भs गेल छैक। 

संस्था व न्यास केर स्थापना होइत छैक समाज आ संस्कृति केर उत्थानक लेल । मुदा संस्थाक स्थापना भेलैक नहि कि ओहि संस्थाक मुखिया पद आ कार्यकारणी में सम्मिलित होयबाक लेल राजनीति शुरू भs जाइत छैक । एकटा संस्था में कैयैक टा गुट बनि जाइत छैक । आ ओहि में सदस्य ततेक नहि व्यस्त भs जाइत छथि कि हुनका लोकनि के सामाजिक कार्य आ संस्कृति के विषय में सोचबाक फुर्सते कहाँ रहैत छैन्ह । आ ताहू सs जौं बेसी भेलैक आ बुझि जाय छथि जे आब हुनक ओहि ठाम चलय वाला नहि छैन्ह तs एक टा नव संस्था केर स्थापना कs लैत छथि। सामाजिक कार्य केर नाम पर  साल में एकटा वा दू टा सांस्कृतिक कार्यक्रम कs लैत छथि आ बुझैत छथि समाज केर उद्धार कs रहल छथि । ओहि कार्यक्रम में पैघ पैघ हस्ती , नेता के बजा अपन डंका बजा लैत छथि।बाकि साल भरि गुट बाजी आ साबित करय में बिता दैत छथि जे हुनक कार्यकाल में कार्यक्रम बेसी नीक भेलैक। हम मानय छियैक जे कार्यक्रम अपन संस्कृति केर आइना होइत छैक, मुदा ओ तs स्थानीय कलाकार के मौक़ा दs कs सेहो करवायल जा सकैत छैक। इ कोन समाजक उत्थान भेलैक जे लोक सs मांगि कs कोष जमा कैल जाय आ मात्र कार्यक्रम में खर्च कs देल जाय। बहुतो एहेन बच्चा शहर वा गाम में छथि जे मेधावी रहितो पाई के अभाव में आगू नहि पढि पाबय छथि। दवाई केर अभाव में कतेक लोकक जान नहि बचा पाबय वाला परिवारक मददि केनाई समाजक उद्धार नहि भेलैक? आय काल्हि तs लाखक लाख खर्च करि कs एकटा कार्यक्रम कैल जाइत छैक। कहय लेल हम ओहि महान हस्ती केर पर्व मना रहल छी। कार्यक्रम करू मुदा कि अपन गाम शहर के भूखल के खाना खुआ तृप्त कs ओहि महान हस्ती के श्रद्धाँजलि नहि देल जा सकैत छैक। इ तs मात्र एक दू टा समाज के सहायतार्थ काज भेलैक ओहेन कैयैक टा सामाजिक काज छैक जे कैल जा सकय छैक । यदि सच में लोक के अपन समाज आ संस्कृति सs लगाव छैन्ह तs जतेक कम संस्था रहतैक ततेक नीक काज आ समाजक उत्थान होयतैक। ओहि लेल मोन में भावनाक काज छैक नहि कि दस टा संस्थाक ।

देश में नित्य नव नव राज्यक माँग भs रहल अछि। ओहि में मिथिलांचलक माँग सेहो छैक। हमरा सँ सेहो बहुत लोक पूछय छथि "अहाँ मिथिला राज्य अलग हेबाक के पक्ष में छी कि नहि "? हम एकहि टा सवाल हुनका लोकनि सँ पूछय छियैंह "कि राज्य अलग भेला सँ मिथिलाक उत्थान भs जेतैक "? इ सुनतहि सब के होइत छैन्ह हम मैथिल आ मिथिलाक शुभ चिन्तक नहीं छी। बुझाई छैन्ह जे अलग राज्य बनि गेला सँ मिथिलांचलक काया पलट भs जेतैक । एक गोटे जे अपना के मिथिला के लेल समर्पित कहय छथि, साफ़ कहलाह "मैथिल के मोन में मिथिला के लेल जे प्रेम हेतैक से दोसरा के  नहि" । हमर हुनका सँ एकटा प्रश्न छल "कि पहिने बिहार में मैथिल मुख्य मंत्री, मंत्री नहि भेल छथि "? जवाब भेंटल " ओ सब मैथिल छलथि मिथिलाक नहि"। अलग राज्य भेलाक बाद जे कीयो मुख्य मंत्री होयताह ओ मिथिलाक होयताह आ मात्र मिथिला के लेल सोचताह । 

हमरा इ बुझय में नहि आबैत अछि जे लोकक  मानसिकता के कोना बदलल जा सकैत छैक ? एखैंह ओ दरभंगा के छथि , ओ सहरसा के .....ओ मुंगेर के छथि ....कि  अलग राज्य भेला सँ आदमी केर मानसिकता बदलि जेतैक .....कि दरभंगा , सहरसा आ कि मुंगेर वाला भेद भाव मोन में नहि औतेक ? आ जौं इ भेद भावना रहतैक तs सम्पूर्ण राज्यक विकास कोनाक भs सकैत छैक  ? कि मिथिलाक होइतो ओ सम्पूर्ण मिथिला केर विषय में सोचताह ?

छोट  छोट राज्य नीक होइत छैक , ओकर पक्ष में हमहू छी मुदा बिना राज्यक बंटवारा केने सेहो बहुत काज कैयल जा सकैत छैक, जौं करय चाहि तs । ओना सब अपन स्वार्थ सिद्धि में लागल रहय छथि इ अलग गप्प छैक। कि नीक स्कूल कॉलेज कारखाना के लेल बिना राज्य अलग बनने प्रयास नहि कैयल जा सकैत छैक? कि मात्र मिथिला राज्य बनि गेला सँ मिथिलाक उद्धार भs जयतैक ? मिथिला राज्यक अलग हो ताहि आन्दोलन में अनेको लोक सक्रीय छथि , मुदा हुनका लोकनि सs एकटा प्रश्न .......ओ सब आत्मा सs पुछथि कि ओ सब मात्र राज्य आ समाज के लेल सोचय छथि कि हुनका लोकनि के मोन में लेस मात्र स्वार्थक भावना नहि छैन्ह ?

कैयैक टा राज्य अलग भेलैक अछि मुदा बेसी केर स्थिति पहिने सs बेसी खराब भs गेल छैक, झारखण्ड ओकर उदाहरण अछि । खनिज संपदा सँ संपन्न राज्यक स्थिति बिहार सs अलग भेलाक बाद आओर खराब भs गेल छैक। एहि राज्य में नौ साल के भीतर सात टा मुख्यमंत्री बनि चुकल छथि । लोक के उम्मीद छलैक जे १० साल के भीतर एहि राज्य केर उन्नति भs जयतैक। उन्नति भेलैक अछि, मुदा राज्य केर नहि नेता सब केर । चोर उचक्का खूनि  सब नेता भs गेल छथि आ पैघ सs पैघ गाड़ी में घुमि रहल छथि , देश आ जनता केर संपत्ति केर उपभोग कs रहल छथि इ कि उन्नति नहि छैक ? 

ह्रदय रोग में कोलेस्ट्रोल के अलावा अन्य चर्बी की भूमिका की संभावना !!


एक अध्ययन के अनुसार दिल की बीमारियों में कोलैस्टरौल से अलग खून में पाए जाने वाली एक अन्य चर्बी की भूमिका  की संभावना।       
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने ट्राइग्लिसराइड्स की भूमिका पर शोध किया. ये हमारे जिगर में पैदा होती है और मांस और दूध से बने उत्पादों से निकलती है.
अतीत में हुए 101 अध्ययनों में जिन 350,000 लोगों पर शोध किया गया उनके आंकड़ो का विश्लेषण करके पाया गया कि जिन लोगों के ख़ून में चर्बी का स्तर अधिक था उनमें दिल की बीमारी होने की संभावना भी अधिक दिखाई दी.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिशा में अभी और खोज करने की ज़रूरत है.
चिकित्सा मामलों की पत्रिका लैंसेट ने कहा कि यह विश्लेषण एक निश्चित जीन पर केंद्रित था जो ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को प्रभावित करता है.
इससे पहले भी इस दिशा में शोध हुए हैं लेकिन वो अनिर्णायक रहे. लेकिन इस नवीनतम शोध से पता चलता है कि जिन लोगों में यह जीन मौजूद था उनमें हृदय रोग का ख़तरा 18 प्रतिशत अधिक था.
इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे डॉ नदीम सरवर ने बताया कि यह शोध यह संकेत देता है कि ख़ून में पाई जाने वाली चर्बी किसी न किसी रूप में हृदय रोग पैदा कर रही है.
लेकिन ख़ून में चर्बी के स्तर को कम करने पर और अध्ययन करने की आवश्यकता है जिससे इस संदेह की पुष्टि हो सके.
डॉ सरवर ने कहा, "ऐसे प्रयोगों से यह सुनिश्चित करना संभव होगा कि ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर घटाने से हृदय रोग का ख़तरा कम होता है या नहीं".
ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के माइक नेपटन ने कहा, "यह शोध हृदय रोगों से निपटने में एक महत्वपूर्ण क़दम साबित हो सकता है लेकिन हमें जल्दबाज़ी में किसी नतीज पर नहीं पहुंचना चाहिए".
ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने से हृदय रोग का ख़तरा कम होता है या नहीं यह जानने के लिए अभी और बड़े पैमाने पर प्रयोग करने की ज़रूरत है.
कैनेडा के मैक्मास्टर विश्वविद्यालत की डॉ सोनिया आनंद कहती हैं, "फ़िलहाल लोगों को आहार, व्यायाम और धूम्रपान न करने की सलाह पर अमल करते रहना चाहिए जिससे हृदय रोग के ख़तरे से बच सकें"

जेल से नीरू के लिए माँ की सौगात !!!

पता नही किसने मदर्स डे बनाया था जिन्होने भी बनाया होगा उसने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आयेगा जब कोई माँ अपनी बेटी की हत्या के जुल्म में जेल जायेगी।कल जब मदर्स डे के दिन निरुपमा की माँ पेय रोल पर जेल से बाहर आ रही थी तो, मैं यही सोच रहा था कि माँ की इस स्थिति पर निरुपमा क्या सोच रही होगी।----

निरुपमा के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर जो हाई तौंबा मचा रहे हैं।उनसे मेरी एक सलाह हैं खासकर इस मामलो से जुड़े मीडिया,पुलिस और डांक्टर से, कृपया कर डां के0एस0नरायण रेडी की बुक द इन्सटाईल्स ओफ फोरेन्सिंक मेडिसीन एन्ड टोभीकोलोजी के चेपटर 14 के पेज संख्या 276से 308 के बीच पढे जिसमे हेंगिग के मामले में विस्तृत तरीके से लिखा हैं।इसका अध्यण करे यह किताब आज की तारीख में पोस्टमार्टम का बाईबिल माना जाता हैं।भारत ही नही अमेरिन डांक्टर भी हेंगिंग के मामले में इस बुक का रिफरेन्स देने से परहेज नही करते हैं।इस किताब में हेंगिंक को लेकर कई तरीके से लिखा गया हैं किस परिस्थिति में हत्या होगा और किस परिस्थिति में आत्महत्या माना जायेगा।

निरुपमा के मामले में सिविल सर्जन जो तर्क दे रहे हैं कि गले की हडडी नही टुटी हुई नही हैं दम घुटने के कारण इसकी मौंत हुई हैं जो हत्या का लक्षण हैं।ब्लांक पर दिये गये हेगिंग से जुड़े फोटो संख्या चार को देखे जिसमें फांसी लगाने वाला व्यक्ति फांसी लगाकर सिर्फ अपना सिर नीचे कर लिया हैं।इस स्थिति में फांसी लगाने पर व्यक्ति की मौंत दम घुटने से होती हैं और गले की हडडी नही टुटती हैं।पुलिस को जो अभी तक साक्ष्य मिला हैं उसमें निरपमा पहले पखे से अपनी आढनी बांधी हैं औऱ फिर ओढनी को अपने गर्दन में बांध कर पलग पर बैंठ गयी और सिर झुका दी जिसके कारण उसकी माँ आसानी से फंदा भी खोल ली और मौंत का कारण पोस्टमार्टम में दम घुटना आया हैं।ये जो कहा जा रहा हैं कि उस रुम में न तो कोई स्टुल मिला हैं जिसके सहारे निरुपमा खड़ी होती यह सही हैं लेकिन डाक्टर के सामने जो चीजे पोस्टमार्टम के दौरान सामने आया उसकी विस्तृत विवरण के बाद मौंत के कारणो पर विशलेशन करती तो ये बाते सामने आ जाती हैं।डाँ0जिस फर्मूला के आधार पर निरुपमा की मौंत को हत्या बता रहा हैं वह बेहद सिम्पल थ्यूरी हैं प्रैकटिस में पूरे बिहार ही नही पूरे देश में खासकर जिला अस्पताल में यही थ्योरी चलती हैं।जिसके कारण यह विवाद पैंदा लिया हैं।इस विवाद से सीखने की जरुरत हैं यह नही की जिस थ्योरी को लेकर अपनी बात रख दिया हैं उस पर अंतिम तक कायम रहे।मीडिया के बंधुओ से तो विशेष कर विनती हैं की इस तरह के मामले में ओपेनियन देने से पहले विशेषज्ञो से पूरी बहस कर ले और हो सके तो इससे सपोर्टिंग किताब का अक्सर अध्यण करते रहे खासकर जो क्रायम रिपोर्टिग करते हैं।

यह वाकिया मुझे इसलिए याद हैं कि चार वर्ष पहले इसी तरह अपहरण के दो कैंदी की मौंत थाने के हाजत में समस्तीपुर में हो गयी थी।पुलिस हाजत मैं सीधे सीधे थानेदार सहित थाने के सभी पुलिस हत्या के अभियुक्त हो गये उस वक्त जमकर हंगामा हुआ था नीतीश कुमार की सरकार बनी थी और अतिपिछड़े वर्ग के दो लोगो की मौंत भी हुई थी।मीडिया ने जमकर हंगामा किया था।एक रात करीब 11बजे उस वक्त में दरभंगा में पोस्टेड था उसी आरोपी थानेदार का फोन आया औऱ कहां मैं आपके मकान के नीचे हैं जरा मिलना चाहते हैं।मैंने उपर बुलाया उसने मुझे फोरेन्सिंक विभाग से जुड़े कई किताबो का जिरोक्स दिया जिसमें हेंगिग को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी थी।साथ ही कहा कि पुलिस हाजत में जिन दो कैंदी की मौंत हुई हैं वह दोनो से अपनी लुंगी को फारकर गले में बांधा और हाजत के लोहा में बांधकर बैंठ गया जिसके कारण उसकी मौंत हो गयी हैं हमलोगो ने उसकी हत्या नही की हैं जबकि वह खुद आत्महत्या किया हैं।मैने कहा इसके लिए भी तो आपही लोग दोषी हैं।खेर दूसरे दिन पूरे कागजात को लेकर दरभंगा मेडिकल कांलेज के फोरेन्सिक डिपार्टमेंन्ट के हेड एस0के0पी0सिंह से मिला उन्होने कहा कि इस तरह के साक्ष्य में हत्या लिखना पूरी तौर पर सही नही होता हैं।और इस मामले में पुलिस द्वारा संकलित साक्ष्य और पंचनामा को ज्यादा महत्व दी जानी चाहिए।क्यो कि इस तरह के सिम्टम में दोनो बाते हो सकती हैं।मैंने उनकी बाईट लेकर खबर बनायी कि ताजपुर थाने में कैंदी की हुई मौंत हत्या नही आत्महत्या भी हो सकती हैं।खबर को लेकर विवाद भी हुआ लेकिन इस मामले में गठित जांच टीम ने इस मसले को भी अपनी जांच में शामिल किया हलाकि यह मामला आज भी चल ही रहा हैं।वही इस मामले में ताजा खबर यह हैं कि प्रियभांशु के वे सभी मित्र जो इसकी वकालत कर रहे थे दिल्ली से फरार हो गये हैं।मेरे सुत्र की माने तो इस मामले में कांलेज के शिक्षक प्रधान से भी पुछताछ होनी चाहिए जिन्होने इस मामले को लेकर बड़ी हाई तौबा मचायी हैं इनकी भूमिका के बारे में इसी कांलेज के छात्रो ने कई तरह की बाते बतायी हैं।
संतोष कुमार सिंह

निरुपमा की मौंत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

निरुपमा मामले में ब्लांग पर जारी बहस को लेकर सबसे अधिक व्यथित मेरे सहकर्मी हैं।पिछले 24घंटो से उनका गुस्सा झेल रहा हूं।बहस थमने का नाम नही ले रहा हैं एक से एक तर्क दिया जा रहा हैं सबो की इक्छा हैं कि ब्लांग पर मीडिया को लेकर जो लिखा गया हैं उसे तत्तकाल हटा दिया जाये।इस बहस के दौरान ही कुछ वरिष्ठ साथियो ने एक प्रयोग करने की सलाह मुझे दी ।उन्होने कहा कि निरुपमा को लेकर जिस सच को तुमने उजागर किया हैं वाकई बहुत अच्छा काम हैं लेकिन खबर की दुनिया में इसका कोई मार्केट भेल्यू नही हैं।मैंने कहा इसमें दम नही हैं।मेरे इस आलेख पर सबसे अधिक लोगो की प्रतिक्रिया आयी हैं और एक हजार से अधिक पाठक इस खबर को पढने मेरे साईट पर आये।बहस के दौरान हमारे बीच उपस्थित एक वरिष्ठ मित्र ने एक प्रयोग करने की सलाह दी।उन्होने कहा कि आज भी तुम्हारे पास बहुत अच्छा मेटेरियल हैं उसको लिखो साथ में किसी लड़की का भलगर फोटो खबर के साथ ब्लांग पर लगा तो उसके बाद जो परिणाम आयेगा उस पर बहस होगी और उसके बाद तय होगा।मैं बैठ गया खबर लिखने वही हमारे मित्र गुगल पर फोटो खोजने लगे।आधे धेटे बाद मेरी स्टोरी पूरी हो गयी लेकिन जब स्टोरी के साथ फोटो लगाने की बात आयी तो मैने फोटो पर आपत्ति दर्ज किया ।लेकिन कहा गया की दो घंटे के लिए इसे ब्लांग पर आने तो दो उसके बाद जो परिणाम आयेगा उस पर बहस के बाद हटा दिया जायेगा।ब्लांग पर डालने के बाद सभी अपने अपने काम पर निकल गये ।लेकिन दो घंटे बाद जब ब्लांग खोला तो मैं हैरान था पांच सौ से अधिक लोग ब्लांग पर आ चुके थे और जिन चार लोगो की प्रतिक्रिया आयी उन्होने भी ब्लांग पर लिखी गयी बातो पर प्रतिक्रिया देने के बाजाय लड़कियो के न्यूड फोटो को लेकर प्रतिक्रिया दी,हलाकि कौशल जी जैसे लोगो ने नसीहत भी दी लेकिन जिस तहर का रिसपोन्स इस पेज को लेकर था वाकई शर्मसार करने वाली थी ।अब बहस शुरु हुई और एक समय मुझे चुप होना पड़ा कि मीडिया व्यवसाय करती हैं लोग क्या पढना चाहते हैं और क्या देखना चाहते हैं इससे समझा जा सकता हैं टीआरपी का खेल यही हैं।सारे क्षेत्रो में नैतिक पतन हुआ हैं तो यह क्षेत्र कैसे अछुता रह जायेगा।इसी समाज में पले बढे लोग इस प्रोफेसन में हैं तो उनसे बेहतरी की बात सोचना ही बेमानी हैं।इस तर्क के बाद में चुप हो गया लेकिन मैंने इतनी बात जरुर कहा जहा तक सम्भव हो सच्चाई को सामने लाने के लिए सिस्तम से लड़ना चाहिए कोई और नही तो ब्लांग पर ही लिखेगे।ब्लांग पर फोटो लगाने के काऱण अगर किन्ही को हर्ट पहुचा हैं तो उसके लिए मुझे क्षमा कर देगे।------

निरुपमा मामले में आप सबो की मुहिम रंग लाने लगा हैं।प्रियभाशु पर सिंकजा कसने लगा हैं औऱ कोडरमा एसपी इस मामले में नये सिरे से अनुसंधान प्रारम्भ कर दिया हैं।निरुपमा मामले में जारी खोज के तहत कल निरुपमा के घर के आस पास के लोगो से बात करने का प्रयास किया, जहां नये लोगो को देखते ही मुहल्ले वाले अपने घर के खिड़की और दरवाजे बंद करने लगते हैं। निरुपमा के घर जाने वाली गली का नामाकरण हत्यारिण माँ गली कर दी गयी हैं। लेकिन जैसे जैसे मुहल्ले वाले खुलते गये लगा यह मामला तो पूरी तौर पर ओपेन हैं। और इसको लेकर इतने कयास क्यो लगाये जा रहे हैं। मुहल्ले वासी को दुख हैं तो मीडिया की भूमिका को लेकर जिन्होने निरुपमा के परिवार को दोहरी मार दी हैं।बातचीत शुरु हुई तो सबसे पहले निरुपमा के सबसे नजदीक के पड़ोसी 75वर्षीय काली महतो अपनी बात रखने लगे इन्होने बताया हैं कि निरुपमा से उनकी भेट 29तारीख के सुबह 8बजे हुई थी। मैने अपने बगान से खीरा तोड़ कर निरुपमा को दिया था। उस वक्त निरुपमा थोड़ी उदास जरुर दिखी मैंने पुछा भी सब कुछ ठिक ठाक हैं न।थोड़ी देर बाद उसकी माँ के चिल्लाने की आवाज आई मेरे घर से और आसपास के घर से लोग दौंड़ कर गये तो लोग देख रहे हैं कि निरुपमा पंखे से लटकी हैं और उसकी माँ उसे उतारने का प्रयास कर रही हैं।वही उसकी माँ चिल्ला चिल्ला कर केरंट लगने की बात कर रही थी। तो हल्ला सुनकर मुहल्ले के कई नवयुवक भी पहुंच गये ।और आनन फानन में पड़ोसी के गांड़ी से पास ही स्थित पार्वति निर्सिग होम में ले जाया गया जहां डां0ने देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।फिर वही लोगो जो निरुपमा को निर्सिग होम ले गये थे उसकी लाश लेकर वापस मुहल्ले में आ गये।उसके बाद निरुपमा की माँ के मोबाईल से उसके एक दूर के रिश्तेदार जो कोडरमा में ही रहते हैं उनको फोन किया गया उनके आने के बाद वे निरुपमा के पिता,भाई मामा और चाचा को फोन किये।कुछ ही मिनटो में यह खबर आसपास के मुहल्लो में भी फैल गयी और लोगो के आने जाने का सिलसिल जारी हो गया।

इसी दौरान पुलिस भी आयी और लाश देखकर चली गयी, यह कहते हुए की निरुपमा के पापा लोग आये तो पुलिस को सूचना दे देगे।लेकिन दोपहर होते होते दिल्ली से जो खेल शुरु हुआ उसके सोर में यह सच कही गुम हो गयी और देखते देखते पूरा माजरा ही बदल गया।जन्मदायी मां हत्यारिन माँ हो गयी।पूरी घटना के बारे में निरुपमा के पड़ोसी प्रवीण सिन्हा उनकी पत्नी,नरायण सिंह और कामेश्वर यादव ने यहा तक कहा कि पुलिस घटना स्थल पर आये तब न सच क्या हैं लोग बतायेगे।

इस पूरे प्रकरण की सूचना एसपी को दी गयी, और दोपहर बाद एसपी खुद मामले की जांच करने निरुपमा के घर पहुंचे।इस सच से रुबरु होने के बाद लगता हैं एसपी के विचार में भी बदलाव आया हैं।वही दूसरी और कोडरमा पुलिस को निरुपमा के मोबाईल का प्रिन्टआउट मिल गया हैं।सबसे चौकाने वाली बात यह हैं कि निरुपमा की 22अप्रैल से 28अप्रैल के बीच प्रियभाशु से एक बार भी बात नही हुई हैं। जबकि इस दौरान निरुपमा दिल्ली के अपने कई मित्रो से बात की हैं।28तारीख को शाम चार बजे निरुपमा और प्रियभाशु के बीच लगभग 15 मिनट बात हुई और उसके बात निरुपमा का मोबाईल स्वीच आंफ हो गया हैं।

ऐसा इसलिए लगता हैं कि उसके बाद कोई कांल निरुपमा के मोबाईल पर नही आया हैं और ना ही किया गया हैं।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर कौन सी बजह थी जो निरुपमा और उसके तथाकथित प्रेमी के बीच एक सप्ताह तक बातचीत नही हुई और जब बातचीत होती हैं तो उसके बाद उसका मोबाईल स्वीच आंफ हो जाता हैं और सुबह उसके हत्या होने की बात सामने आती हैं।

प्रियभाशु भले ही मीडिया के सामने यह कह रहा हैं कि न्याय के लिए कही भी जाने को तैयार हैं लेकिन एक सप्ताह तक दोनो के बीच बातचीत नही होने को लेकर पुछे गये सवालो का वे जबाव नही दे पा रहा हैं।

हलाकि पुलिस को निरुपमा के हत्या के मुकदमो को आत्महत्या में बदलने को लेकर कई कानूनी अरचने हैं।वही इस मामले में दोषी को सजा दिलना तो और भी मुश्किल हैं।लेकिन मामले के पूरी तौर पर सामने आने से हत्यारिन माँ की कंलक झेल रही निरुपमा की माँ को थोड़ी राहत जरुर मिल सकती हैं।

लेकिन इस स्थिति के लिए उन्हे माफ नही किया जा सकता क्यो कि निरुपमा के इस स्थिति से उबारने में एक माँ के रुप में वे विफल रही हैं।खैर इस मामले को औऱ इमोशनल बनाने की जरुरत नही हैं।लेकिन देर से ही सही अब मीडिया का रुख भी बदलने लगा हैं।