बहन के साथ है जीवन के आनंद

प्रेषक : अंकित जैन

बहन के साथ सेक्स करना बुरा नहीं है अगर आप दोनों अपनी मर्जी से करते हैं क्योंकि हर इन्सान को खुश रहने का हक़ है।

मेरा नाम अमित है, मैं इंदौर का रहने वाला हूँ और मैं २० साल का हूँ। मैंने इतनी सारी कहानियाँ पढ़ी अन्तर्वासना पर तो मेरा भी मन किया कि मैं भी कुछ इन सब कहानियों से अनुभव ले कर कुछ करूँ क्योंकि मैंने तब तक सेक्स नहीं किया था किसी के साथ भी ! हालांकि इच्छा बहुत होती थी। पर मौका नहीं मिलता था और मैं जिस स्कूल में पढ़ता था वहाँ लड़कियाँ नहीं थी। जब मैंने कहानियाँ पढ़ी तो इसमें बहुत सी कहानियाँ सगे भाई-बहन की भी थी। पहले तो मैं यह सोचता था कि क्या ऐसा संभव है? पर ये सब कहानियाँ पढ़कर यकीं आने लगा और मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी कोशिश करूँ !

मेरी बहन प्रियंका मुझसे ३ साल बड़ी है और वो बहुत सेक्सी है, 38-28-36 रंग गोरा। उसकी शादी नहीं हुई है। उससे मैं कभी भी फ्रैंक भी नहीं रहा था।

छः महीने पुरानी बात है। वो कभी रात को मेरे पास भी सो जाया करती थी तो मैंने एक दिन कोशिश की। जब वो रात को गहरी नींद में सो रही थी, उसने २ पीस वाला गाऊन पहना था और अन्दर ब्रा भी पहनी थी। रात के २ बजे की बात है, मैं उठा और कमरे की लाइट जला दी। प्रियंका सो रही थी, उसके वक्ष साफ दिख रहे थे। मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि वो मुझे देख ना ले पर मैंने हिम्मत से उसके स्तन पर हाथ रखा, पहले गाऊन के ऊपर रखा। सच में ऐसा लग रहा था कि किसी गुब्बारे पे हाथ रख दिया हो। फिर मैंने उसके गाऊन के अन्दर हाथ से रखा। सच में ऐसा मज़ा आया कि जैसे मैं जन्नत से भी बहुत अच्छी जगह पे आ गया हूँ।

मैंने धीरे-धीरे उसके स्तन दबाए और फिर दोनों हाथ से दोनों स्तन को दबाने लगा। सच में बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। फिर मैंने उसके गुलाबी होठों को चूमा। आहा ! इतना मज़ा आया। फिर उसकी गर्दन पर चूमा। इतने में मुझे लगा कि शायद वो जाग गई है और सोने का नाटक कर रही है। मुझे इससे और हिम्मत मिल गई। मैंने उसका गाऊन नीचे से ऊपर किया, उसकी गोरी और चिकनी टांगें मुझे दिख रही थी।

इतने में वो उठ गई और बोल पड़ी- यह क्या कर रहा है तू ?

मैं डर गया और एक मिनट के लिए कुछ बोल ना सका। इतने में वो बोल पड़ी- तू रुक क्यों गया ? कर ना ! मैं कब से इस सब के लिए तड़प रही थी ! आजा ! आज हम ऐसा हनीमून मनाएँगे जो आज तक किसी ने ना मनाया होगा !

मुझे यह सुनकर बहुत मजा आ गया। फिर हम चूमा चाटी करने लग गए, एक दूसरे के होठों को चिपका कर एक दूसरे की जीभ से अन्दर ही अन्दर मज़ा कर रहे थे और मैं साथ में उसके स्तन भी दबा रहा था। फिर मैंने उसके गाऊन का ऊपर का कपड़ा उतार दिया। मुझे इतना अच्छा लग रहा था, उसको ऐसा मेरा देखना उसको भी बहुत अच्छा लग रहा था। वो सिसक सिसक कर बोल रही थी- मुझे प्यार कर ! मुझे प्यार कर !

उसका ऐसा कहने से मुझे जोश चढ़ रहा था और मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा हो गया। मैंने उसका गाऊन पूरा उतार दिया और अब वो सिर्फ पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने थी और मैं सिर्फ चड्डी में ! मेरी चड्डी में से मेरा लण्ड साफ़ दिखाई दे रहा था। मेरी बहन ने मेरे चड्डी उतार दी और मेरे लण्ड को देखने लगी और एक दम से उसने मुँह में ले लिया और बरफ के लड्डू जैसा चूसने लगी।

मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसके स्तन दबा रहा था। वो १५ मिनट तक उसको चूसती रही। फिर मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा। वो आऽऽ आऽऽ आ कर के सिसकने लगी और मुझे बोलने लगी- अब अन्दर डालो !

पर मैं इतनी जल्दी नहीं डालना चाहता था। मैं उसे और गरम करना चाहता था। मैं उसकी पूरी बॉडी को किस करने लगा, चाटने लगा। फिर मुझे कमरे में शहद की बोतल दिखी, मैंने उसे उठाया और उसके दोनों स्तनों पर और चूत पर डाल दिया और चेहरे पर भी और फिर उसके चेहरे को चाटने लगा जीभ से ! मुझे बहुत मजा आने लगा। फिर उसकी चूचियों को चाटने लगा क्योंकि मैंने शहद डाल दिया था इसलिए चूसने में बहुत मज़ा आने लगा और चूत को चाटने में सच में ऐसा आनंद आ रहा था कि सोचा अगर यह सब जीवन में ना किया होता और मैं मर जाता तो मेरा इस जीवन में आना व्यर्थ हो जाता।

फिर मेरी बहन इतनी गरम हो चुकी थी कि उससे रहा ना गया, उसने मेरे लण्ड को पकड़ के डालना चालू कर दिया। बस मैं इसी का इन्तज़ार कर रहा था। मैं तो पहली बार सेक्स कर रहा था पर शायद मेरी बहन किसी से करा चुकी थी। मैंने पूछा कि पहले किसके साथ सेक्स किया है तूने ?

उसने बोला- राहुल के साथ !

मैं भौंचका रह गया क्योंकि राहुल मेरी मासी का लड़का है।मैंने बोला- मजाक मत कर !

उसने कहा- मैं मजाक नहीं कर रही हूँ, रानू भी राहुल के साथ सेक्स करती है !

रानू राहुल की बहन है !

मैं बोला- क्या बात है ! चलो अच्छा है !

मैंने प्रियंका को बोला- क्या रानू को पता है कि तूने राहुल के साथ किया है?

उसना बोला- हाँ !

फ़िर मैंने उसको बोला- क्या रानू दीदी मेरा साथ करेंगी ?

उसने बोला- बिल्कुल करेगी !

मैं ख़ुशी से पागल हो गया क्योंकि रानू दीदी बिपाशा बसु से भी ज्यादा सेक्सी है, सेहत, कद और फिगर सभी में !

फिर मैंने प्रियंका को चोदना चालू कर दिया। मुझे भी थोड़ा सा दर्द हो रहा था अन्दर डालने में। और अब मैंने उसके पूरा अन्दर डाल दिया था। मुझे उसने कहा- धीरे धीरे अन्दर बाहर कर !

मैं वैसे ही करने लगा, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा। साथ में मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और चूम भी रहा था। फिर वो झ्ड़ने लगी और मैं भी ! तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने की कोशिश की पर प्रियंका ने मुझे निकालने नहीं दिया और हम दोनों झड़ गए। मेरा वीर्य उसके अन्दर ही रह गया।

मैंने उसको बोला- अब क्या होगा ? आप प्रेगनेंट हो जाएंगी !

उसने बोला- डर मत ! सब गोली आती है, मेरी आदत है।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और किस करने लगे और फिर सो गए क्योंकि हमारा मम्मी पापा बाहर रहते थे, इसलिए हमे कोई डर नहीं था।

फिर सुबह बहन पहले उठ गई थी तो उसने उठते ही मुझे उठाया और उठते ही हमने एक बार फ़िर वही कियाजो रात में किया था।

हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने उसको बोला- चल अपन साथ में नहाते हैं !

उसना बोला- बिल्कुल !

और साथ में नहाने का आनंद क्या है यह तो आपको पता ही है।

फिर उसने मुझे बोला- अपन दोनों अब आज के बाद पति-पत्नी जैसे रहेंगे !

मैंने बोला- क्यों नहीं !

मुंडा पहाड़ दा फुद्दी पाड़दा

मेरी तरफ से सब चुदाई करवाने वालियों को और चुदने वालियों को मेरे और मेरे लौड़े से प्रणाम !
आपको मैंने पहले अपनी चाची के बारे में बताया था कि चाची की भोसड़ी का भोसड़ा कैसे बनाया था ! और मेरे पाठकों को शायद मेरी एक सच्ची कहानी पसंद आई होगी।
मैं चाची की भोसड़ी मारने के बाद काफी देर तक चाची से नहीं मिला। फिर चाची ने मुझे फ़ोन किया, बोली- क्या बात है जून की छुट्टियों में नहीं आना है ?
मैंने बोला- मेरा दिल नहीं कर रहा ! गर्मी बहुत है !
इसपर चाची ने बोला- आ जा ! तेरी गर्मी मैं दूर करुँगी !
मैं भी मैं समझ गया था कि चाची क्या बोल रही है। मेरा भी कुछ मूड बदल गया था और मैंने बोला- चलो, मैं, अपना कुछ काम है, ख़त्म करके आ रहा हूँ ४-५ दिन में !
मैंने शिमला से दिल्ली की बस पकड़ी और अगले दिन मैं सुबह दिल्ली पहुँचा। ३० मिनट में मैं चाचा के घर चला गया था। मैंने जाकर चाय पी और इसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया। चाचा जी भी ड्यूटी पर चले गये थे, मेरी चाची, जैसे ही मैं नहाने लगा, तो बोली- एक मिनट बाथरूम का दरवाज़ा खोल !
मैंने खोला तो चाची ने बिना कुछ बोले मेरा लौड़ा सीधा हाथ में पकड़ कर अपने मुँह में डाला। थोड़ी देर चूसने के बाद बोली- मैं तेरे जाने के बाद बिल्कुल ही प्यासी हूँ, रात को कभी अपनी बुर में ऊँगली डालती हूँ, कभी कुछ ! पर तेरे लौड़े ने ऐसी चुदाई की थी कि कुछ होता ही नहीं था।
मैंने भी चाची की साड़ी खोली- मम्मे तो पूछो न कैसे बाहर आये- जैसे कैदी को सजा से मुक्ति मिल जाती है !
चाची मेरी इतनी गरम थी कि जैसे ही उसने मेरा लौड़ा चूस कर अपनी बुर में डाला, उसी समय झड़ गई। फिर मैंने भी कुछ देर बाद अपना वीर्य चाची की बुर में झाड़ दिया। इसके बाद मैं नहा धोकर फ्रेश हो गया। मैंने खाना खाया और रात की नींद की वजह से मैं २-३ घंटे सो गया।
इसके बाद मैं जैसे ही उठा, चाची बोली- मेरी टांग में दर्द हो रहा है ! मेरे बैग में खुर्मानी का तेल था। दर्द और औरत को गर्म करने के लिए बड़ा अच्छा होता है, मैंने बोला- चाची इस दर्द को मैं ठीक करता हूँ। मैंने तेल निकाला और मालिश की ! चाची को कुछ आराम मिला। इसके बाद चाची को बोला- चाची, आपकी कमर की भी मैं मालिश करता हूँ ! और भी आराम मिलेगा !
चाची ने उल्टी होकर अपनी कमीज़ ऊपर की तो मैंने मालिश करते करते चाची को पूरा गरम कर दिया। चाची अब पूरी नंगी थी, उसके स्तन ऐसे लग रहे जैसे उसमें से दूध आने वाला है। मैंने जैसे ही मम्मे चूसने शुरु किये, उतने में चाची की एक पड़ोसन बिना कुछ बोले सीधे ही चाची के घर में घुस आई और हम दोनों को देख कर दंग रह गई। मेरा लौड़ा भी पूरी टशन से खड़ा था।
उसने बोला- मैं तो आपका पता लेने आई थी ! और आप यह क्या कर रहे हो?
चाची का पूरा मूड था, चाची ने बिना कुछ सोचे समझे बोला- यह मुंडा पहाड़ दा- फुद्दी पाड़ दा ! इक वार मजा ले के देख !
उसकी उम्र मेरी चाची से कुछ कम थी, कोई २८-३० बरस की होगी, बोली- अगर आपने यह खेल खेलने थे गेट तो लॉक कर देना था।
वो भी तैयार हो गई, बोली- मैं कुंडी लगा कर आती हूँ !
मैं भी खुश था, बुढ्ढी चाची की गांड भी मारने को मिली, एक जवान औरत की चूत भी ! अब हम दो से तीन हो गये थे, उस औरत ने अपना कमीज उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। मम्मे कोई ३६ साइज़ के थे। अब मेरे सामने दो औरतें नंगी थी। पड़ोसन ने मेरा लौड़ा चूसा, मैं उसके मम्मे चूसता हुआ अपनी चाची की भोसड़ी में उंगली कर रहा था। चाची कुछ ज्यादा उम्र की होने के कारण जल्दी झड़ गई। इसके बाद मैंने अपना लौड़ा पड़ोसन की चूत में डालना चाहा तो उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था। मैं दो तीन धक्के दिए तो उसे दर्द होने लगा। कुछ टाइम बाद दर्द गायब हो गया और मज़े ले कर वो भी झड़ गई। मैंने अपना वीर्य अब उसकी चूत में डाल दिया। अब इसके बाद हम तीनों ढीले पड़ गये। इसके बाद जब तक मैं वहां पर रुका, मेरी चाची और उसकी पड़ोसन की जम कर बार बार चुदाई की। इतने मजे मैं जिन्दगी में कभी सोच भी नहीं सकता था।
अब देखो, दुबारा कब मौका मिलेगा ! तब तक मेरे पाठकों को मेरा नमस्कार।
उम्मीद है मेरे पाठको को यह मेरी सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी।
मुझे मेल करना !

मुंडा पहाड़ दा फुद्दी पाड़दा

मेरी तरफ से सब चुदाई करवाने वालियों को और चुदने वालियों को मेरे और मेरे लौड़े से प्रणाम !
आपको मैंने पहले अपनी चाची के बारे में बताया था कि चाची की भोसड़ी का भोसड़ा कैसे बनाया था ! और मेरे पाठकों को शायद मेरी एक सच्ची कहानी पसंद आई होगी।
मैं चाची की भोसड़ी मारने के बाद काफी देर तक चाची से नहीं मिला। फिर चाची ने मुझे फ़ोन किया, बोली- क्या बात है जून की छुट्टियों में नहीं आना है ?
मैंने बोला- मेरा दिल नहीं कर रहा ! गर्मी बहुत है !
इसपर चाची ने बोला- आ जा ! तेरी गर्मी मैं दूर करुँगी !
मैं भी मैं समझ गया था कि चाची क्या बोल रही है। मेरा भी कुछ मूड बदल गया था और मैंने बोला- चलो, मैं, अपना कुछ काम है, ख़त्म करके आ रहा हूँ ४-५ दिन में !
मैंने शिमला से दिल्ली की बस पकड़ी और अगले दिन मैं सुबह दिल्ली पहुँचा। ३० मिनट में मैं चाचा के घर चला गया था। मैंने जाकर चाय पी और इसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया। चाचा जी भी ड्यूटी पर चले गये थे, मेरी चाची, जैसे ही मैं नहाने लगा, तो बोली- एक मिनट बाथरूम का दरवाज़ा खोल !
मैंने खोला तो चाची ने बिना कुछ बोले मेरा लौड़ा सीधा हाथ में पकड़ कर अपने मुँह में डाला। थोड़ी देर चूसने के बाद बोली- मैं तेरे जाने के बाद बिल्कुल ही प्यासी हूँ, रात को कभी अपनी बुर में ऊँगली डालती हूँ, कभी कुछ ! पर तेरे लौड़े ने ऐसी चुदाई की थी कि कुछ होता ही नहीं था।
मैंने भी चाची की साड़ी खोली- मम्मे तो पूछो न कैसे बाहर आये- जैसे कैदी को सजा से मुक्ति मिल जाती है !
चाची मेरी इतनी गरम थी कि जैसे ही उसने मेरा लौड़ा चूस कर अपनी बुर में डाला, उसी समय झड़ गई। फिर मैंने भी कुछ देर बाद अपना वीर्य चाची की बुर में झाड़ दिया। इसके बाद मैं नहा धोकर फ्रेश हो गया। मैंने खाना खाया और रात की नींद की वजह से मैं २-३ घंटे सो गया।
इसके बाद मैं जैसे ही उठा, चाची बोली- मेरी टांग में दर्द हो रहा है ! मेरे बैग में खुर्मानी का तेल था। दर्द और औरत को गर्म करने के लिए बड़ा अच्छा होता है, मैंने बोला- चाची इस दर्द को मैं ठीक करता हूँ। मैंने तेल निकाला और मालिश की ! चाची को कुछ आराम मिला। इसके बाद चाची को बोला- चाची, आपकी कमर की भी मैं मालिश करता हूँ ! और भी आराम मिलेगा !
चाची ने उल्टी होकर अपनी कमीज़ ऊपर की तो मैंने मालिश करते करते चाची को पूरा गरम कर दिया। चाची अब पूरी नंगी थी, उसके स्तन ऐसे लग रहे जैसे उसमें से दूध आने वाला है। मैंने जैसे ही मम्मे चूसने शुरु किये, उतने में चाची की एक पड़ोसन बिना कुछ बोले सीधे ही चाची के घर में घुस आई और हम दोनों को देख कर दंग रह गई। मेरा लौड़ा भी पूरी टशन से खड़ा था।
उसने बोला- मैं तो आपका पता लेने आई थी ! और आप यह क्या कर रहे हो?
चाची का पूरा मूड था, चाची ने बिना कुछ सोचे समझे बोला- यह मुंडा पहाड़ दा- फुद्दी पाड़ दा ! इक वार मजा ले के देख !
उसकी उम्र मेरी चाची से कुछ कम थी, कोई २८-३० बरस की होगी, बोली- अगर आपने यह खेल खेलने थे गेट तो लॉक कर देना था।
वो भी तैयार हो गई, बोली- मैं कुंडी लगा कर आती हूँ !
मैं भी खुश था, बुढ्ढी चाची की गांड भी मारने को मिली, एक जवान औरत की चूत भी ! अब हम दो से तीन हो गये थे, उस औरत ने अपना कमीज उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। मम्मे कोई ३६ साइज़ के थे। अब मेरे सामने दो औरतें नंगी थी। पड़ोसन ने मेरा लौड़ा चूसा, मैं उसके मम्मे चूसता हुआ अपनी चाची की भोसड़ी में उंगली कर रहा था। चाची कुछ ज्यादा उम्र की होने के कारण जल्दी झड़ गई। इसके बाद मैंने अपना लौड़ा पड़ोसन की चूत में डालना चाहा तो उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था। मैं दो तीन धक्के दिए तो उसे दर्द होने लगा। कुछ टाइम बाद दर्द गायब हो गया और मज़े ले कर वो भी झड़ गई। मैंने अपना वीर्य अब उसकी चूत में डाल दिया। अब इसके बाद हम तीनों ढीले पड़ गये। इसके बाद जब तक मैं वहां पर रुका, मेरी चाची और उसकी पड़ोसन की जम कर बार बार चुदाई की। इतने मजे मैं जिन्दगी में कभी सोच भी नहीं सकता था।
अब देखो, दुबारा कब मौका मिलेगा ! तब तक मेरे पाठकों को मेरा नमस्कार।
उम्मीद है मेरे पाठको को यह मेरी सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी।
मुझे मेल करना !

पापा को हरा दो

प्रेषक : फ़्यूचर शर्मा

दोस्तों मैं अन्तर्वासना का एक पुराना पाठक हूँ।

आज मैंने सोचा कि मैं भी अपनी एक सच्ची कहानी आपके सामने रखूँ !

बात उन दिनों की है जब मैं १२वीं कक्षा में था। मैं अपने दोस्तों से रोजाना मस्ती भरी बातें सुनता और कुछ कह नहीं पाता। मुझे इन सब बातों में उतनी रुचि नहीं थी। मगर उनकी बातें सुन सुन कर मुझे भी चोदने का मन करने लगा।

मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ और घर छोटा होने के कारण उनके ही कमरे में सोता था। एक बार रात में मैंने महसूस किया कि बिस्तर पर कुछ हिल रहा है। तब मैंने देखा कि पापा मम्मी के ऊपर चढ़ कर मम्मी को चोद रहे थे। पहली बार ऐसा कुछ देख कर मैं हैरान था। करीब पंद्रह मिनट तक पापा मम्मी को चोदते रहे और उसके बाद शांत हो गए। उसके बाद मम्मी उठी और पापा का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। यह सब देख कर मैं हैरान था लेकिन मजा आ रहा था।

फिर कुछ देर तक मम्मी ने पापा के लण्ड के साथ खेला और फिर दोनों शायद झड़ गए।

यह सीन मेरे दिमाग में बैठ गया। मेरी माँ थी भी बड़ी मस्त ! इस उम्र में भी उनका बदन गुलाब की फूल की तरह है। आप खुद सोचें कि कितना मजा आया होगा यह सब देखकर।

फिर कुछ दिन बीत गए। एक दिन की बात है, मैं उस दिन स्कूल नहीं गया था। पापा ऑफिस गए थे, घर पर मैं और मम्मी ही थी। मम्मी नहाने चली गई, मुझे पता नहीं क्या हुआ और उस दिन वाला दृश्य मेरे दिमाग में छा गया। आपको यह बता दूँ कि मेरे बाथरूम में छोटा सा छेद है और नीचे से करीब एक उंगली का गैप है। मैं बाथरूम के पास गया तो अन्दर से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी और कुछ छींटे बाहर भी आ रहे थे। मैंने लपक कर नीचे से देखा तो मेरी माँ बिल्कुल नंगी नहा रही थी। उसने अपनी गोरे शरीर पर साबुन लगाया हुआ था। मैं यह सब देख रहा था। कुछ देर बाद उसने अपनी चूत पर साबुन लगाया और फिर उसे मसलने लगी, फिर पानी से साफ़ कर लिया। माँ की गाण्ड भी मस्त थी। पूरा शरीर मेरे सामने था पूरा नंगा !

फिर मैं पीछे हटा और बाहर आकर मुठ मार ली और उसी दिन ठान लिया कि किसी भी तरह मैं अपनी माँ को चोदूंगा जरूर !

कुछ दिनों बाद पापा का ट्रान्सफर कोलकाता हो गया और माँ बैचन रहने लगी। बस मुझे इसी का इन्तज़ार था। मैं उनके साथ रात को सोता था।

एक दिन मैंने जानबूझ कर अपने हाथ को माँ के चूचों पर रख दिया। मैंने देखा कि माँ ने कुछ नहीं किया। शायद इतने दिनों से न चुदने की वजह से वो भी कुछ चाहती थी। कुछ देर बाद मैंने दबाव बढ़ा दिया, उसने कुछ नहीं किया। मैंने सोचा कि यही मौका है और मैंने उनकी चूचियों पर से कपड़े उतारना चालू कर दिया। मैं अभी यह करने ही वाला था कि मैंने महसूस किया कि कोई मेरा लण्ड को हिला रहा है। वो और कोई नहीं मेरी माँ के हाथ थे। बस इसकी देरी थी, मैं समझ गया कि आज मैं जो कुछ भी कर लूँ, सब माँ को स्वीकार है।

फिर मैंने सीधे माँ के चूचों को चूसना चालू किया। माँ तड़प उठी। मैं पहली बार किसी के चूचों को चूस रहा था। माँ भी मेरे लण्ड को जोर जोर से हिला रही थी। फिर माँ ने आखिरकार बोला की चूचों को चूसेगा या कुछ और भी करेगा?

मैं बोला- माँ तुम देखती जाओ बस !

मैंने माँ के सारे कपड़े उतार दिए और फिर अपने भी कपड़े उतारने के बाद माँ के गोरे बदन को चूसने लगा।

माँ ने भी मेरा पूरा साथ दिया। फिर वो मस्त समय आया जब मैंने माँ के चूत को चखा। जैसे स्वर्ग में हूँ ऐसा लग रहा था।

माँ भी तड़प उठी। फिर उसने मेरे लण्ड को अपने चूत पर रगड़ना चालू किया और कुछ देर बाद ही अन्दर डालने को बोला।

मैंने ऐसा ही किया।

अब मैं अपने सपने को सच कर रहा था। मैं उस दिन जैसे पागल सा गया था। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। माँ तड़प रही थी।

माँ बोल पड़ी- बेटा और तेज और तेज। पापा की कमी मत लगने देना बेटा, पापा को हरा दो और जोर से !

माँ के कहने पर मैं और जोश में आ गया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने माँ को उल्टा किया और गांड में डालने को पूछा। माँ ने हामी भर दी। फिर क्या था, गांड की भी लाटरी लग पड़ी।

उस दिन दो बार हमने सेक्स किया।

अगले दिन मैं नहा कर स्कूल जाने की तैयारी करने लगा। जब जाने को हुआ तो माँ ने पास आकर मेरे को किस किया और बोली- कल तो तूने कमाल कर दिया।

एक रात बुआ के साथ

दोस्तो,

मेरा नाम राहुल है, मेरी उम्र २२ साल कद ६' २", मेरा हथियार ८" लम्बा और २.५" मोटा है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। आज मैं आप लोगों को अपना सच्चा अनुभव बताने जा रहा हूँ।

बात आज से लगभग ५ साल पहले की है जब मैं १८ साल का था। स्कूल में शीतकालीन छुट्टियां थी, मैं अपनी बुआ के घर दुर्ग गया था। मेरी बुआ के यहाँ पर कुल तीन लोग ही रहते हैं एक बुआ, उनकी सास और उनका छोटा लड़का श्याम भैया। बड़े भैया दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और उनकी लड़की की शादी हो चुकी है। मेरे फूफा जी का देहांत बहुत पहले हो चुका है।

अब मुद्दे की बात पर आते हैं। एक रोज मैं सुबह सो कर उठा तो पाया कि श्याम भैया जिम जा चुके थे और दादी (बुआ की सास) अपने कमरे में थी। श्याम भैया और बुआ के कमरे के बीच एक खिड़की है जो कि ठीक से बंद नहीं थी। अचानक मेरी नज़र बुआ के कमरे में गई तो देखा कि बुआ बाथरूम से नहाकर आ रही हैं। उस समय बुआ ने केवल गाउन पहना था और आते ही अपना गाउन उतार दिया क्योंकि उन्हें स्कूल जाने की जल्दी थी। मेरी बुआ स्कूल टीचर हैं। उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था, मैं पहली बार किसी औरत को इतने पास से इस हालत में देख रहा था, बुआ के बड़े बड़े ३८" मम्मे, गोरा दुधिया जिस्म, मोटे गदराये चूतड़, काली काली झांटें मेरे दिलो दिमाग पर छा गए।

उस दिन के बाद मैं हमेशा बुआ के कमरे में ताकता रहता, जब भी बुआ झुक कर काम करती, उनके मम्मों और चूतड़ों को घूरता। कभी कभी जब बुआ घर पर नहीं होती तो उनकी ब्रा पैंटी से खेलता, बुआ को सोच कर मुठ मारता, मतलब कि अब मैं बुआ को चोदना चाहता था पर मेरी बुआ बहुत सख्त है इसलिए पहल नहीं कर पाया।

पर एक दिन मुझे मौका मिल गया। श्याम भैया की नाईट शिफ्ट थी, मैं बुआ के कमरे में मूवी देख रहा था, दादी अपने कमरे में थी। इतने में बुआ ने कहा कि उनके शरीर में दर्द हो रहा है और बुखार जैसा लग रहा है, तो उन्होंने मुझे अपने पैर दबाने के लिए कहा। पहले तो मैं उनके पैर को सिर्फ घुटनों के नीचे तक ही दबा रहा था, तो उन्होंने कहा कि दर्द थोड़ा ऊपर है। फिर जैसे ही मैंने उनकी जांघ पर हाथ लगाया, क्या एहसास था एकदम नरम नरम गदराये जंघे, मैं जोश मे आने लगा, धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर ले जाने लगा।

जैसे ही मैंने कूल्हों पर हाथ लगाये मुझे करंट लगा क्योंकि अन्दर पैंटी नहीं थी। उनके चूतड़ का स्पर्श पाकर मेरा लंड खडा हो गया। पर इतने में ही बुआ ने मुझे पैर दबाने से मना कर दिया। मैं थोड़ी देर मूवी देख कर बुआ के पास ही सो गया। मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, लगभग एक घंटे बाद जब बुआ गहरी नींद में सो चुकी थी तब मैंने धीरे से अपनी एक टांग बुआ के दोनों टांगों के बीच में इस तरह डाल दी कि मैं नींद में हूँ। थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपनी जांघ उनकी जांघ पर रगड़ने लगा, मैं बहुत जोश में आ चुका था। मैं अब हाथ उनके मम्मों पर रख कर हल्के हल्के दबाने लगा। डर भी लगा रहा था और मज़ा भी आ रहा था।

फिर मैंने धीरे से अपनी हथेली उनकी चूत पर रख दी। अब मुझे उनकी झांटें महसूस हो रही थी। कुछ देर इसी तरह धीरे धीरे चूत सहलाने से शायद बुआ जाग गई थी पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। मेरा इरादा अब उनकी नंगी चूत देखने का हुआ। अब मैं धीरे धीरे उनका गाउन घुटनों के ऊपर करने लगा। ठीक चूत तक आ कर उनका गाउन पैर के नीचे अटक गया। नीचे से मैं उनकी चूत छूने लगा। अचानक बुआ ने मेरी तरफ मुहं करके करवट ले ली जिससे उनकी चूत अन्दर की ओर भींच गई। अब मुझे उनकी चूत छुते नहीं जम रहा था तो मैंने मम्मों को दबाना चालू कर दिया। बुआ ने अपना एक हाथ मेरे पीठ पर रख दिया। मुझे लगा कि बुआ भी तैयार है। अब मैंने मम्मों को जोर से दबाना चालू कर दिया। अचानक बुआ ने मुझे जोर का धक्का किया और मैं उनसे अलग हो गया। बुआ नींद से जाग चुकी थी। मुझे डर लगने लगा कि बुआ क्या बोलेगी और थोड़ी देर मैं सो गया।

रात को नींद में मुझे लगा कि कोई भारी सी चीज मेरे टांगों के ऊपर है। मैंने आँखें खोली तो बुआ ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर डाल रखी है और मेरा लंड उनके जांघ से रगड़ रहा है। धीरे धीरे मेरा लंड खड़े होने लगा पर मुझे डर भी लगा रहा था कि अब अगर बुआ जाग गई तो न जाने क्या करेगी इसलिए मैं वैसे ही चुपचाप सोया रहा पर लंड पर नरम नरम स्पर्श लंड को और भी खडा कर रहा था। नींद मुझसे कोसों दूर थी पर मैं कुछ करने से भी डर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने सोचा कि मुठ मार कर शांत हो जाता हूँ पर लंड के ऊपर तो बुआ की जांघ थी। मुठ मारने के लिए मैंने बुआ की जांघ को थोड़ा और ऊपर करके अपने नाभि के ऊपर ले आया ताकि मैं लंड हिला सकूं।

धीरे धीरे मैं लंड हिलाने लगा, मेरे शरीर में सनसनी होने लगी, इतने में ही बुआ ने अपने जांघ पर हाथ फेरा तो उनका गाउन ऊपर हो गया क्योंकि अन्दर पैंटी नहीं थी, उनके चूतड़ बिल्कुल नंगे हो गए थे। मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर हाथ फिराया। बुआ मुझसे चिपकने लगी। अब मैं भी बुआ की तरफ मुँह करके उनसे चिपक गया और इन्तजार करने लगा कि बुआ पहल करेगी और हुआ भी यही। बुआ धीरे धीरे मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगी। अब मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उनको चूमने चाटने लगा। हम दोनों काफी गरम हो गए थे अब मैं उनकी चूत को रगड़ने लगा।

बुआ भी मुझे जोरों से चूमने लगी और जोश में आ कर कहने लगी- तूने मेरी प्यास को फिर से जगा दिया है !

बुआ को पीठ के बल लिटा कर मैंने उनका गाउन निकाल दिया। अब बुआ बिलकुल नंगी मेरे सामने लेटी थी। मैंने उनसे पूछा तो बोली कि रात को सोते समय वो ब्रा, पैंटी नहीं पहनती हैं। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।

पहले तो मैंने बुआ के होटों को चूमा, चूसा, अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। बुआ की साँस जोरों से चलने लगी। मैं कभी उनके मम्मों को दबाता तो कभी उन्हें मुँह में लेकर चूसता, दांतों से काटता, बुआ के मुँह से सिस्कारियां निकल रही थी, वो मुझे अपने बाँहों में जकड़े जा रही थी। अब मैं उनकी झांटों को सहला रहा था, दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल कर हिला रहा था और जीभ से चूत के दाने को चूस रहा था।

बुआ पूरी तरह उफान पर थी। वो दोनों हांथों से मेरे सर को अपने चूत पर दबा कर रगड़ने लगी और सिस्कारियों के साथ मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैं उनके चूतरस का पान करने लगा।

झड़ते ही बुआ ने मुझे चित्त लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। पहले तो उन्होंने मेरे होठों को चूमा, फिर मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे छाती पर चूमा, मेरे लंड को हिलाने लगी, फिर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट की चुसाई में ही मेरा पानी निकाल दिया और मेरा माल पी गई।

बीस मिनट बाद ही मेरा लंड फिर तैयार हो गया। मैंने सीधे बुआ की चूत में अपनी जीभ घुसा दी और जीभ से उन्हें चोदने लगा। बुआ ने मेरा सर पकड़ रखा था और चूत पर दबाये जा रही थी। फिर उन्होंने कहा- अब और मत तरसाओ ! मुझे चोदो ! जोर जोर से चोदो !

मैंने उनकी टांगों को पकड़ के फैला दिया अपना लंड उनकी चूत पर रख कर झटका मारा। एक ही बार में मेरा आधा लंड उनकी चूत में था। वो चिल्ला उठी क्योंकि कई बरसों बाद चुद रही थी। १५ मिनट उसी तरह चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा। कुछ समय बाद मैं मंजिल के करीब था तो बुआ ने कहा- अंदर ही झड़ जाओ ! कई सालों बाद आज चूत गीली होगी !

और मेरे लंड ने बरसात कर दी। मैं और बुआ दोनों संतुष्ट हो कर हांफ रहे थे।

फिर दूसरी से कर लेना

मै संजय, अन्तर्वासना के पाठक एवं पठिकाओं यानि लंड वालों और चूत वालियों को नमस्कार करता हूँ ! मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ अक्सर पढ़ता हूँ ! कुछ तो सच्ची लगती हैं, कुछ केवल मनोरंजन के लिए ही हैं !

अ़ब मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताता हूँ ! आशा है आप सब को बहुत पसंद आयेगी ! कृपया पढ़ कर अपनी राय लिखें और मेरा उत्साह बढायें !

काफी पुरानी घटना है !

बात उस समय की है जब मेरी उम्र १८ साल की थी ! मेरी बड़ी बहन की उम्र २० साल की थी ! मेरे ताऊ जी के लड़के एवं लड़की की उम्र २१ एवं २० साल की थी ! हम चारों एक ही कमरे में सोते थे !

एक बार रात में मेरी आँख खुल गई ! मैं चुपचाप पड़ा थोड़ी सी आंखें खोल कर सब देख रहा था ! मुझे ताज्जुब भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था !

अ़ब मैं पूरी बात बताता हूँ ! मेरे भैया एवं दोनों बहनें एक दम नंगे थे ! दोनों बहनों ने भैया का लंड पकड़ रखा था। कभी लंड को ऊपर नीचे करती, कभी मुँह में ले लेती थी और मजा लेकर चूस रही थी !

और भईया उनके बोबे बारी बारी से दबा रहे थे ! यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया ! लेकिन मैं उस समय कुछ नहीं कर सकता था !

फिर देखा कि भैया एक की चूत चूमने लगे और दूसरी उनका लंड चूसने में लगी हुई थी ! तीनों आपस में बहुत मजा ले रहे थे ! फिर भैया अपना लंड एक बहन की चूत में घुसा कर चोदने लगे और बहन भी मजे से चुदवा रही थी !

दूसरी ने कहा- मुझे भी चोदो ना जल्दी से !

तो भैया कभी एक की कभी दूसरी की चूत में लंड डाल देते थे ! इस प्रकार काफी देर तक चुदाई चलती रही, जब तक एक दम निढाल नहीं हो गए ! फिर सब नंगे ही सोने लगे एक दूसरे से चिपक कर !

जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैं भी अपने सब कपड़े उतार कर एक दम नंगा हो गया ! मेरा लंड भी खड़ा हो गया था ! मैं भी उनके बीच में चला गया ! पहले तो भईया मुझे डांटने लगे तो मैंने कहा- मैं सब को बता दूंगा ! तब जाकर शांत हो गए !

दोनों बहनें एक दम आश्चर्य चकित थी कि क्या करें !

जब मैंने कहा- मैं भी वही करना चाहता हूँ जो तुम लोग कर रहे थे !

तब तीनो कहा- ठीक है पर किसी को भी मत बताना !

मैंने कहा- ठीक है !

इस प्रकार हम लोग एक बार फिर चालू हो गए !

सबसे पहले मैंने कहा- मेरा लंड चूसो !

तो दोनों बहनों ने मिल कर मेरा लंड चूसना चालू कर दिया। पर चूँकि मैं पहले से ही उत्तेजित था इसलिए मेरे लंड ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया मुझे बहुत ही मजा आया !

तब उन्होंने कहा- कोई बात नहीं ! हम लोग तेरा लंड फिर से खड़ा कर देते हैं !

यह कह कर एक ने मेरा लंड चूसना चालू कर दिया और दूसरी ने अपने बोबे मेरे हाथ में पकड़ा दिए और कहा- इसे चूसो और दबाओ !

फिर मैं वैसे ही करने लगा जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया ! इधर भैया भी रुके हुए नहीं थे, कभी किसी के बोबे दबाते कभी किसी की चूत में ऊँगली कर रहे थे !

अब मैंने कहा- अब मैं तुम दोनों को चोदना चाहता हूँ !

तब वो बोली- एक साथ कैसे चोदेगो ?

मैंने कहा- मैं दोनों को ही चोदूंगा !

तो उन्होंने कहा- पहले एक को चोद लो फिर दूसरी से कर लेना !

मैंने कहा- ठीक है !

तब एक को मैं चोदने लगा और दूसरी को भैया ! मुझे बहुत मजा आ रहा था ! इस प्रकार कुछ देर करने के बाद मैंने अपना पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया ! मुझे कितना मजा आया मैं बोल नहीं सकता !

फिर मैंने देखा कि भैया ने भी अपना पानी छोड़ दिया ! फिर हम सब साफ सफाई करके एक दूसरे को जकड़ कर सोने लगे ! रात बहुत हो गई थी पर मुझे चैन कहाँ !

मैंने कहा- मैं फिर से चुदाई करना चाहता हूँ !

कह कर मैंने दूसरी बहन से कहा- मेरा लंड चूसो पहले !

तो उसने कहा- मैं थक गई हूँ ! अब कल करेंगे !

मैंने कहा- नहीं एक बार अभी चोदने दो ! कल की बात कल करेंगे ! भैया ने भी तुम दोनों को चोदा है !

उसके पास और कोई रास्ता नहीं था, कहने लगी- धीरे धीरे करना !

मैंने कहा- ठीक है !

फिर उसने मेरा लंड मुँह में लिया और मजे से चूसने लगी ! उधर भैया भी चुप नहीं रह सके ! वो भी कभी किसी के साथ कभी किसी के साथ कुछ न कुछ करने लगे ! इस प्रकार हम सब उत्तेजित हो गए और चुदाई का काम फिर से चालू हो गया ! मैं क्या बताऊं कितना मजा आ रहा था, मैं वर्णन नहीं कर सकता !

और इसी प्रकार हम लोग मिल कर रोज चुदाई करते रहे जब तक उनकी शादी नहीं हो गई !

अगर यह पढ़ कर अच्छा लगा तो कृपया मेरा होंसला बढ़ाये !

आगे की कई घटनायें हैं जो मैं आप को बाद में बताउँगा !

प्यारा दोस्त और दीदी

मैं कॉलेज में आ चुका था। मेरे एक पुराना दोस्त मेरे साथ में मेरे घर में रहता था। हम दोनो पक्के दोस्त थे और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। सेक्स के मामले में मैं बहुत झिझकता था। इतनी तो मेरी बड़ी दीदी भी नही शर्माती थी। मैं जब सुबह जागता था तो मेरे लण्ड में पेशाब भरे होने के कारण वो खड़ा हो जाता था। दीदी बस यही देखने के लिये सुबह मेरे कमरे में आ जाती थी और मेरे खड़े लौड़े को देख कर आहें भरती थी। अपनी चूत भी दबा लेती थी।

मेरी नजर जब उस पर पड़ती तो मैं झेंप जाता था, पर दीदी बेशर्मों की तरह मुस्करा कर चली जाती थी। मुझे ये सब देख कर सनसनी आने लगती थी। दीदी के चूतड़ मस्त गोल गोल उभरे हुए थे, मेरे भी वैसे ही थे ... पर लड़की होने के कारण उसके चूतड़ ज्यादा सेक्सी लगते थे। उसकी चूंचिया भी भरी भरी गोल गोल मस्त उठान और उभार वाली थी। सीधी तनी हुई, किसी को भी दबाने के लिये निमन्त्रण देती हुई।

मेरा दोस्त ज्यादातर मेरे बिस्तर पर ही सोता था। कितनी बार तो रात को वो मेरे चेहरे को चूम भी लेता था। मुझे लगता था वो मुझे बहुत प्यार करता है। कभी कभी मैं भी उसे चूम लेता था।

इन दिनों उसमें कुछ बदलाव आ रहा था। हम जब कॉलेज साथ साथ जाते तो वो कभी कभी मेरी गाण्ड सहला देता था। मुझे बड़ा अच्छा लगता था। एक बार तो छत पर उसने मेरे पीछे आ कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में लगा दिया था। मुझे एक झुरझुरी सी आई थी। उसके लण्ड का कड़ापन मेरी गाण्ड को करण्ट मार रहा था। मैंने अपनी गाण्ड हटा ली। बात आई गई हो गई।

रात को सोते समय उसने धीरे से मेरा लण्ड पकड़ लिया, मुझे अच्छा लगा। पर शरम के मारे मैंने उसका हाथ हटा दिया।

एक बार रात को सोते समय अनजाने में मेरा हाथ जाने कैसे उसके लण्ड पर चला गया। रवि ने मेरा हाथ अपने लण्ड पर दबा दिया। शायद उसने ही अपने लण्ड पर मेरा हाथ रख दिया होगा। कुछ देर मैं सोने का बहाना करता रहा, उसका हाथ अब मेरे लण्ड पर आ गया ... मुझे बहुत मजा आया। मैं शान्त ही रहा। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल कर मेरा नंगा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरा लण्ड सहलाने लगा।

मैंने मन ही मन आह भरी और जब सहा नहीं गया तो दूसरी तरफ़ करवट ले ली। उसने लण्ड छोड़ दिया। अब मेरा लण्ड तड़प रहा था कुछ करने को ... पर क्या करने को ... शायद गाण्ड मारने को या मराने को ... वो पीछे से मेरे से चिपक गया और अपना लण्ड मेरे चूतड़ो में घुसाने की कोशिश करने लगा। चूतड़ो की दरार के बीच उसका लण्ड फ़ंसा हुआ अपनी साईज़ का अहसास दिला रहा था।

मैंने अचानक जागने का नाटक किया,"अरे यार सो जा ना ... "

"तुझे प्यार करने को मन कर रहा है ... " उसने अपनी झेंप मिटाने की कोशिश की।

"ओह हो ... ये ले बस ... " मैंने करवट बदल कर उसे पकड़ कर चूम लिया पर उसने मुझे जबरदस्ती होंठ पर चिपका लिया और होंठ चूसने लगा।

मैंने अलग होते हुए कहा,"ऐसे तो लड़किया करती हैं ... साले ... बस हो गया अब सो जा ... "

"अभी आया ... " कह कर वो बाथ रूम गया, शायद अन्दर वो मुठ मार रहा था। कुछ देर में वो आ गया और अब वो शांति से सो रहा था। मुझे भी मुठ मारने की तेज इच्छा होने लगी थी, पर कुछ ही देर मेरा वीर्य बिस्तर पर ही निकल गया। मैंने अपना रूमाल पजामे में घुसा लिया और वीर्य पोन्छ दिया।

हमने सिनेमा देखने का कार्यक्रम बनाया। हॉल लगभग खाली था। बालकनी में बस हम दोनों ही थे। पिक्चर शुरू होते ही रवि ने मेरा हाथ पकड़ लिया ... और फिर धीरे से हाथ छोड़ कर उसने मेरी जांघ पर रख दिया। मुझे पता था कि मुझे ये सिनेमा लाया ही इसीलिये है।

आज मैंने सोचा कि ये अधिक परेशान करेगा तो मैं उठ कर चला जाऊंगा।

पर उसके हाथों में जादू था। मेरी जांघ वो सहलाता रहा। मुझमें करण्ट दौड़ने लगा। धीरे से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मुझे अजीब सा लगने लगा पर आनन्द भी आया। जैसे ही उसने लण्ड दबाया, मैंने उसका हाथ हटा दिया। उसने मुझे देखा फिर कुछ ही देर के बाद उसने हाथ फिर से मेरी जांघ पर रख दिया। कुछ ही देर के बाद उसने फिर कोशिश की और मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और हल्के से सहलाने लगा।

मेरे मन में एक हूक सी उठी ... हाय ... कितना मजा आ रहा है ... । पर दिल नहीं माना ... उसका हाथ मैंने फिर से हटा दिया। उसने भी हिम्मत नही हारी ... और कुछ ही देर में उसने फिर मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और दबाने लगा। पर यहाँ मैंने हिम्मत हार दी और उसे करने दिया।

वो मेरा लण्ड दबाने लगा ... और अपनी अंगुलियां से दोनो ओर से लण्ड को दबा कर सहलाने लगा। मुझे कोई विरोध ना करते देख कर वो खुश हो गया। और मेरी पेन्ट की ज़िप खोल दी ... अब उसका हाथ मेरे अंडरवीयर को ऊंचा करके नंगे लण्ड तक पहुंच गया था। उसने अपने हाथ में उसे पूरा भर लिया। मुझे आनन्द की एक तरावट सी आ गई। मुझे लगने लगा कि काश मेरा मुठ मार दे और मेरा वीर्य निकाल दे।

"कैसा लगा ... बता ना !" उसने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।

"बस रवि ... अब हाथ हटा ले यार ... "

"अरे नहीं ... देख बहुत मजा आता है ... " कह कर उसने लण्ड पेन्ट से बाहर निकाल लिया। मेरा मन खुशी से भर गया। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढा दिया और बाहर से उसे पकड़ लिया।

"तुझे भी मजा आया क्या ... " मैंने उससे पूछा और उसके पेन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया उसने अन्दर चड्डी नही पहन रखी थी, सीधे लण्ड से हाथ टकरा गया। उसे मसलते हुए मैंने बाहर निकाल लिया। अब वह मेरे लण्ड को हौले हौले घिस रहा था, और मैं उसके लण्ड को घिस रहा था। तभी इन्टरवेल हो गया।

हॉल की लाईटें जल उठी। दोनो के लण्ड बाहर मस्त हो कर लहरा रहे थे। मैंने शरमा कर लण्ड एक दम पेन्ट के अन्दर डाल लिया।

"चल यार ... अब चलें ... कही आराम से मजे करते हैं ... "

"ओके ... चल ... ।" बाहर आकर मैंने स्टैण्ड से अपनी मोटर साईकल निकाली और नेहरू गार्डन चले आये। रात हो चुकी थी, भीड़ भी कम थी। हम दोनों एक एकान्त की ओर बढ़ गये। एक घने झाड़ के नीचे बैठ गये।

"आ जा अब मस्ती करते हैं !" मुझे तो वही मस्ती आ रही थी, मैंने तुरन्त अपना लण्ड निकाल दिया। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अब फ़्री स्टाईल में मुठ मारना चालू कर दिया। मैं झूम उठा ...

"मजा आ रहा है ना ... देख घर पर तबीयत से चुदाना ... "

" चुदाना ? मैं क्या लड़की हूँ ... साले ... आह्ह्ह भोसड़ी के ... मस्त मजा आ रहा है ... तू भी अपना लौड़ा निकाल ना ... ला मसल दूँ ... "

"निकाल तो रखा है यार ... तू तो मस्ती में खोया है ... " मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और मसलने लगा। उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे होंठो को चूमने लगा। मैं भी प्रति-उत्तर में उसे चूमने लगा। हम दोनो मदहोशी में भूल गये कि हम गार्डन में है।

लण्ड मसलने से कुछ ही देर में मेरा वीर्य छुट गया, कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। हमें झड़ने के बाद होश आया। देखा तो पूरा गार्डन सूना था ... हम उठ खड़े हुये, लण्ड को पेण्ट के भीतर डाला और उठ खड़े हुए।

"थेन्क्स यार ... बड़ा मजा आया ... " और हम चल दिये।

घर आ कर मुझे बड़ी घिन आने लगी कि हाय मैं ये क्या कर रहा था? मैंने अलमारी से दारू की बोतल निकाली और दो पेग बना कर पी गया। खाना खा कर हम सोने की तैयारी करने लगे। मुझे नशे में फिर से वासना की खुमारी चढ़ने लगी। इतने में दीदी आ गई।

"रवि, आज लगता है कोई खास बात है ... ।"

"नहीं दीदी ... ऐसा तो कुछ भी नहीं है ... "

"अरे बता दे ना ... आज कितनी मस्ती मारी है हमने ... मजा आ गया !" मैंने नशे में कहा।

"भैया आप ही बता दो ना ... !" दीदी ने मुझसे पूछा।

"अरे दीदी, क्या बताऊँ ... इस साले ने मेरा लण्ड का मुठ मार कर माल ही निकाल दिया" मैंने हिचकी लेते हुये कहा।

‘दीदी ये तो बहक रहा है ... "रवि ने शर्माते हुए कहा।

"अच्छा तो ये बात है ... अकेले अकेले मजे कर रहे हो ... " दीदी मुस्कराई।

और मुड़ कर चली गई। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गया ... रवि ने भी मौका देखा और लाईट बंद कर दी और वो भी नंगा हो कर लेट गया। कुछ ही देर बाद हम दोनो एक दूसरे का लण्ड मसल रहे थे ... मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था। मुझे लग रहा था कि कुछ करना चहिये ... पर क्या ?

"गाण्ड मरवाओगे क्या ... "

"क्या ... क्या मरवाओगे ... "

"मेरा मन, तेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ने को कर रहा है ... देख मजा आयेगा राजू ... "

"पर यार छेद तो छोटा सा है ... " मुझे पता था कि लण्ड गाण्ड में घुसेड़ कर उसे चोदी जाती है ... पर मैं मसूम ही बना रहा।

"लौड़ा घुस जायेगा ... देख उल्टा लेट जा ... ये तकिया भी नीचे लगा ले ... "

मैं नीचे तकिया लगा कर लेट गया, मेरी गाण्ड और ऊंची हो गई। उसने मेरी गाण्ड ने थूक लगाया और वो मेरी पीठ पर चिपक गया और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ने लगा। उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में ठोकर मारी। मुझे गुदगुदी सी हुई। मैंने अपनी गाण्ड खोल दी उसने जोर लगा कर लण्ड का सुपाड़ा गाण्ड में घुसेड़ दिया और आगे हाथ बढा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया। उसने जोर मार कर लण्ड अन्दर घुसा मारा ...

मेरी गाण्ड नरम थी, जवान थी ... पूरा लण्ड निगल गई। अब उसने धक्के मारने शुरू कर दिये ... मुझे थोड़ी सी जलन हुई, पर मजा अधिक आया। पहली बार लण्ड से गाण्ड मरा रहा था। वो मुझे चूमने चाटने लगा ... मेरा लण्ड तकिये से दबा हुआ सिसक रहा था ... और जोर मार रहा था।

रवि तो मस्ती में चूर था ... पूरे जोश के साथ मेरी गाण्ड चोद रहा था और कुछ ही देर में वीर्य निकाल दिया। रवि निढाल सा एक तरफ़ लुढ़क गया।

"राजू, तेरी बहन को चोद डाले क्या?" रवि ने गहरी सांस भरते हुए कहा।

"साले मरवायेगा क्या ... ?"

"नहीं यार ... बड़ी सेक्सी है ... चल यार कोशिश करते हैं ... अपना लण्ड का माल उसी से निकाल लेना !"

"अच्छा, चल कोशिश करते हैं ... देख बात बिगड़े तो सम्हाल लेना !"

रवि ने हामी भर दी। मेरी दीदी की नजर तो मुझ पर थी ही ... मुझे लगता था कि काम हो ही जायेगा ... । हम दोनों बिस्तर से उठे और तोलिया लपेट लिया और दबे पांव दीदी के कमरे में सामने चले आये। कमरे में बाहर की लाईट का खासा उजाला था ... दीदी दोनों पांव चौड़े करके और स्कर्ट ऊंची करके लेटी हुई थी। मैं दीदी के बिस्तर पर उसके पास बैठ गया।

दीदी ने धीरे से आंखे खोली,"राजू ... क्या हुआ ... ये सिर्फ़ तोलिया लपेटे क्यूँ घूम रहे हो ... ?"

मैं थोड़ा नर्वस हो गया। पर रवि बोल उठा,"दीदी ... आप लेटी रहो ... राजू ... चल कर ना ... "

मैंने दीदी की चूंचियों की तरफ़ हाथ बढ़ाया। दीदी सब समझ चुकी थी। मुस्करा उठी ...

मेरे हाथ उसके बोबे तक आ चुके थे ...

"राजू ... घबरा मत ... पकड़ ले और दबा दे ... !"

मेरी हिम्मत खुल गई," दीदी ... थेन्क्स ... " और मैंने धीरे से दीदी के बोबे पकड़ कर दबा दिये।

"अरे, शरमा मत ... मसल दे ... मजा ले ले दीदी का ... और मजा दे दे दीदी को ... " दीदी सिसक उठी, जाने कब से बेचारी चुदासी थी ...

उसने मेरा तौलिया उतार दिया और रवि ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया ...

"बस बस ... चढ़े ही जा रहे हो ... " वो उठ कर बैठ गई ... और भाग कर अपना दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। रवि ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसका एक चूतड़ दबा लिया।

"दीदी, आपकी बाटिया यानी चूतड़ सोलिड हैं ... बॉल भी बड़े कसे हुए हैं ...! "

"तू भी तो रवि सोलिड है ... भैया की अभी गाण्ड मारी है ना ... उसकी बाटिया मेरी जैसी ही तो है ... !"

"दीदी ... आपने सब देखा है क्या ... " मैं चौंक गया। दीदी मुस्कुरा उठी।

"राजू जवानी लगी है अभी ... इसमें सब चलता है ... देख मैं भी अभी चूत मरवाऊंगी और इसकी प्यास बुझाउंगी, रवि से गाण्ड मरवाउंगी ... साला हरामी मस्त गाण्ड चोदता है !" और खिलखिला कर हंस पड़ी।

रवि से हट कर दीदी मेरे पास आई,"भैया ... पहले आपका हक बनता है ... देखो प्यार से चोदना ... तेरी मस्त चूतड़ो की तो मैं भी दीवानी हूँ !"

"और मैं भी दीदी ... तेरी चूतड़ो की गहराई देख कर तो मेरा लण्ड कब से चोदने को बेताब हो रहा था।"

"हाय रे भैया, तो देरी किस बात की है ... चोद दे ना ... " और वो मेरे से लिपट पड़ी।

मैंने उसे तुरन्त घोड़ी बनाया और और उसे अपने से चिपका लिया। रवि लपक कर आया और नीचे से मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया।

"मार राजू ... चोद दे दीदी को ... पर देख प्यार से ... दीदी अपनी ही है ... " रवि के स्वर में प्यार झलक रहा था।

मैंने धीरे से लण्ड दीदी की चूत में ठेल दिया।

लण्ड का प्रवेश होते ही उसके मुख से प्यारी सी सिसकारी निकली और उसने प्यार भरी निगाहों से मुझे देखा,"भैया ... रहम मत करना ... साले लौड़े को जोर से ठोक दे ... बहुत महीनों बाद लौड़ा खा रही हूं !"

"हाय दीदी ... ये लो ... मुझे भी मत रोकना ... मेरा तो रोम रोम सुलग रहा है ... पहली बार मुझे भी कोई चूत मिली है ... !"

मैंने जोर लगा कर लण्ड चूत की जड़ तक बैठा दिया। रवि ने मेरी गाण्ड सहलानी चालू कर दी। उसका लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। मैंने दीदी की चूंचिया दबा कर पकड़ ली और मसलते हुए पूरी ताकत से लौड़ा खींच कर दे मारा।

"आह राजू ... ये हुई ना बात ... अब ढेर सारे जोर की ठोकरे दे मार ... साली चूत को मजा आ जाये ... "

मैं जैसे ये सुनते ही पगला गया ... जोर जोर से उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ कर चोदने लगा ... पर जवानी तो दीदी पर पूरी तरह से छाई हुई थी ... उसकी चूत लपक लपक कर लौड़ा ले रही थी। तभी मुझे लगा रवि भी अपना संयम खो बैठा और उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

"राजू प्लीज ... तेरे गोल गोल चूतड़ मारने को कर रहा है ... !" रवि ने कहा।

"अरे रुक जा साले ... दीदी की गाण्ड और भी मस्त है ... ठहर जरा ... दीदी, आप दोनो छेद से मजा लो ना ... "

दीदी तो वासना की आग में जली जा रही थी ...

"हाय आगे से और पीछे से ... दोनो तरफ़ से चोदोगे ... माँ मेरी ... चल पोजिशन ले ... आज तो तुम दोनों मुझे मस्त करके ही छोड़ोगे !"

मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया और दीदी ने ऊपर आ कर मेरा लण्ड चूत में डाल लिया और पूरा घुसेड़ कर जड़ तक बैठा लिया ... और दोनों पांव से अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये। रवि तुरन्त लपक कर बिस्तर पर चढ़ गया और उसकी खुले हुये चूतड़ो के पट में लण्ड रख दिया। दीदी ने रवि को देखा और मुस्कुरा दी और लण्ड गाण्ड में सरक गया।

"हाय रवि ... भारी है ... पर हां, कस के गाण्ड मारना ... ये जवान लड़की की गाण्ड है ... खूब लेती है और भरपूर लेती है !"

रवि तो सुनते ही जोश में आ गया और पहले धीरे धीरे और फिर जो जोर पकड़ा तो दीदी को भी मजा आ गया। अपनी गाण्ड उभार कर चुदाने लगी।

"वाकई, राजू ... दीदी की गाण्ड तो मस्त है ... जबरदस्त चोदने लायक है ...! " मैं नीचे उसके बोबे मसल मसल कर लण्ड उछाल उछाल कर दीदी को चोद रहा था। दीदी दोनों तरफ़ से चुद कर मस्त हो चली थी।

अब मुझे लगा कि मेरी नसें खिंचने लगी हैं ... सारा कुछ लण्ड के रास्ते निकलने वाला है ... मैं सिसक उठा,"दीदी ... प्यारी दीदी ... मेरा तो निकला ... हाय ... "

दीदी मुझसे चिपक गई ... "राजू ... निकाल दे ... मस्त हो जा ... रवि है ना, वो चोद देगा ... तू झड़ जा ... आराम से ... हां"

"दीदी ... तेरी तो ... हाय ... भेन की चूत ... मैं गया ... अरे रे रे रे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह हा हाऽऽऽऽऽ।" और मेरा वीर्य छुट पड़ा ... दीदी ने मेरा लौड़ा बाहर निकाल दिया ... सारा वीर्य उसकी चूत के आस पास निकलता रहा। इतने में रवि ने गाण्ड से लण्ड निकाल कर दीदी की चूत में घुसेड़ दिया।

"आह्ह्ह साला हरामी रवि ... मेरी चूत मार रहा है ... "

"दीदी, अब आपकी बारी है माल निकालने की ... "

"तेरे को कैसे पता ... मैया री ... अह्ह्ह् ... साला ... रवि ... चोद दे रे ... जोर से ... मार और मार... भैया "

और मेरे से से जोर से लिपट गई ... और दीदी का पानी छुट गया ... दीदी मेरे से लिपट कर बल खाती हुई झड़ने लगी।

"दीदी ... मेरा लण्ड ... गया रे ... निकला मेरा भी ... ओये रे ... चल निकल ... हाऽऽऽऽऽऽ ... " और रवि ने लण्ड चूत से बाहर निकाला और दीदी की गाण्ड पर फ़ुहारें छोड़ दी ... दीदी मुझे दबाये लेटी रही ... रवि उठ कर बैठ गया।

"अब हो गया ... सबका माल निकल गया ... चलो उठो" रवि ने हांक लगाई।

दीदी ने मेरे ऊपर से सर उठाया और मुझे आंखो से जी भर कर देखा, और मुस्कराने लगी।

मुझे चूमते हुये बोली,"आप बहुत प्यारे हैं भैया ... दीदी की प्यास बुझा दी और एक रवि जैसा गाण्ड की प्यास बुझाने वाला दोस्त भी दे दिया ... क्यो रवि ... है ना !"

"दीदी ... आप के तो हम दास है ... बस आप तो आदेश दे दे ना ... लण्ड हाजिर है ... "

दीदी हंस पड़ी और मुझे फिर से चूम लिया। वो मेरे ऊपर से हट गई और रवि को लिपट कर प्यार करने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों को अलग किया।

"चल साले तौलिया लपेट और निकल यहाँ से ... अब तो रोज का प्रोग्राम रहेगा ... उतावाला मत हो !"

रवि बड़ी आसक्ति भरी नजरों से दीदी को देखता हुआ कमरे से बाहर आ गया।

हम बिस्तर पर जा कर जैसे लुढ़क पड़े, और नींद की आगोश में चले गये ... अचानक मेरी नींद रात को खुल गई ... देखा तो रवि पास में नहीं था ... मैंने जल्दी से उसे तलाशा ... तभी दीदी के कमरे से सिसकियाँ सुनाई दी ... अन्दर देखा तो मस्त चुदाई चल रही थी ... मैं उनके पास गया"शश्श्श्श्श्श्श ... चुप ... ।"

"भैया ... प्लीज करने दो ... रहा नहीं गया ना ... "

शादी की पहली रात नंदोई सा के साथ

लेखिका : उर्वशी ( बदला हुआ नाम)

सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों और अंतर्वासना के पूरे स्टाफ को उर्वशी का प्यार भरा नमस्कार आदाब, सत श्री अकाल !

दोस्तो, मेरा नाम उर्वशी है और मैं जयपुर, राजस्थान की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र इकीस साल है, एक बच्चे की माँ हूँ, शादी के ठीक ग्यारवें महीने मैंने लड़का जना है। आजकल घर में रहती हूँ, सासू माँ और मैं दोनों अकेली होती हैं। अन्तर्वासना की कहानियाँ तो मैं पहले से पढ़ती आई हूँ, शादी से पहले भी ! पूरा दिन बोर होती रहती हूँ, तो सोचा कि अन्तर्वासना का मज़ा लिया जाए।

एक साल पहले में बी.ए पहले साल में थी जब माँ-बापू ने लड़का ढूंढ कर मेरी शादी पक्की कर दी। हमारे समाज में छोटी उम्र में शादियाँ होती हैं। शादी से पहले मेरे ३ लड़कों के साथ चक्कर रहे थे और तीनों के साथ मेरे शारीरक संबंध बने और मुझे चुदाई का पूरा पूरा चस्का लगा।

पहली चुदाई प्रेम नाम के लड़के के साथ हुई जब मैं अठरा साल की थी। उसके बाद दो और एफेअर चले।

मुझे लड़के की फोटो दिखाई गई थी। शादी से बीस दिन पहले मेरा घर से आना जाना बंद हो गया था और चुदाई भी !

हालांकि एक चक्कर मेरा पड़ोसी के साथ था, वो मुझसे शादी करना चाहता था लेकिन हम मजबूर थे क्योंकि एक गाँव में शादी मुश्किल काम था।

शादी से तीन रात पहले उसने मुझे रात को कॉल कर छत पर बुलाया। उस वक्त रात के दो बजे थे। मिलते ही उसने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठ चूसने लगा, साथ में उसने अपना हाथ मेरी सलवार में डाल मेरी चूत को मसलना चालू कर दिया। मैं पूरी गर्म हो गई और उसके लौड़े को मसलने लगी। उसने अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और मैंने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

वो बोला- जान, कुर्ती उठा लो, आज आखिरी बार इतने गोल मोल मम्मे चूसने हैं !

मैंने कहा- ऐसा मत कहो ! मैं आती रहूंगी मायके ! मिलकर जाया करुँगी !

उसके बाद मैंने सलवार खोल दी और उसने वहीं फर्श पर मुझे ढेर कर लिया और अपना लौड़ा चूत में डाल रफ़्तार पकड़ी। एक साथ ही हम शांत हुए और उसने मुँह में ठूंस दिया।

अगले दिन शगुन की रसम होनी थी। हमारे इधर सुबह पहले लड़की वाले लड़के को शगुन लगाने जाते हैं और साथ में दहेज़ का जो भी सामान देना, भेजना हो वो सब कुछ ले जाते हैं!

सभी शगुन लगाने चले गए, पीछे मैं और दादी माँ थी।

उसके बाद शाम को लड़के की बहनें, भाभियाँ और उनके पति लड़की को शगुन की चुन्नी, गहने, सिंगार के सामान साथ मेंहदी लगाने आई। उनमे से मेरी नज़र बार बार एक मर्द पर टिकने लगी वो भी मुझे देख वासना की ठंडी आहें भर रहे थे।

शगुन डालते वक्त फोटो होने लगी तो मालूम चला वो मेरे एक नंदोई सा हैं। क्या मर्द था ! मैं मर मिटी थी ! वो भी जानते थे, उन्होंने इधर उधर देख मुझे आंख मारी, मैं होंठ से चबाते हुए मुस्कुरा दी।

मैं अपने कमरे में कपड़े बदलने चली गई, लहंगा भारी था, कमरा बंद किया पर अपने कमरे से बाथरूम की कुण्डी लगाना भूल गई। मैंने जल्दी से कुर्ती उतारी और लहंगा खोला। दरवाज़े की तरफ मेरी पीठ थी। जैसे ही मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में रह गई तो एक आवाज़ आई- क्या हुसन पाया है ! क़यामत !

मुड़ कर देखा तो सामने नंदोई जी थे, बोले- बाथरूम मेरे कमरे के साथ जुड़ा है। उसका एक दरवाज़ा लॉबी में भी खुलता है।

मैंने कमरे में नंदोई सा को देख झट से तौलिये से खुद को छुपाया। वो मेरी ओर बढ़े, मैं पीछे हटी, आखिर में बेड पर गिर गई। वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे तपते होंठों से अपने होंठ मिला दिए। उन्होंने ड्रिंक की हुई थी।

प्लीज़ ! मुझे सबके बीच वापस लौटना है ! बाद में कभी !

बोले- पहले गर्म करती हो ! फ़िर मना करती हो?

वो दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे, मुझे कुछ होने लगा, मेरी चूत मचल उठी और मैंने उनके लौड़े को पकड़ लिया। जब वो मेरा दाना मसल देते तो मैं मचल उठती !

थोड़ी देर में खुद ही वो अलग हो गए बोले- भाभी कल सही !

अगले दिन मैं दुल्हन बनी। पार्लर से दुल्हन बनकर पहुंची पैलेस !

पापा ने शहर का सबसे महंगा पैलेस बुक किया था। हमारे इधर शादी दिन में होती है। बारह बजे बारात आई, मिलनी की रसम के बाद नाश्ता हुआ। फिर स्टेज पर जयमाला हुई। काफी देर वहीँ बैठे। सबने शगुन वगैरा डाला, फोटो खिंचवाई।

ऊपर मंडप तैयार था। आज नंदोई सा बहुत ज्यादा हैण्डसम लग रहे थे। बहुत बढ़िया डी.जे कार्यक्रम का प्रबन्ध किया था पापा ने ! एक तरफ दारु भी चलवा दी ताकि जिसको मूड बनाना हो बना ले ! वैसे भी मेरे ससुराल में सभी शादी-बियाह में पीते ही थे।

खैर मंडप पर मुझे दीदी, भाभी, सहेलियाँ लेकर गईं और फेरों के बाद मंगल सूत्र पहनाया गया। दूल्हे के बराबर नंदोई सा उसकी हर रसम में मदद कर रहे थे ताकि उसको कोई घबराहट न हो ! इधर मुझे भाभी सब बताये जा रहीं थी। नंदोई सा मेरी भाभी पर भी लाइन मार लेते।

शाम पाँच बजे तक सब ख़त्म हुआ, उसके बाद मेरी डोली उठी और मैं गुलाबों से सजी कार में बैठ ससुराल आ गई। मांजी ने पानी वारने की रसम पूरी की। मुझे भाभी और इधर वाली दीदी अलग कमरे में ले गईं। मुझे कहा कि कपड़े बदल कर फ्रेश हो जाओ।

बाहर लॉन में सब नशे में धुत हो नाच-गा रहे थे। शगुन मांगने वालो की लाइन लगी पड़ी थी, ससुरजी और नंदोई सा तो उनको ही सम्भाल रहे थे।

रात हुई, दीदी बोली- एक सरप्राईज़ बाकी है !

कुछ पल के लिए पतिदेव पास आये, बोले- बहुत आग लग रही हो !

उन्होंने पी रखी थी, नशा काफी था, होंठ चूसने लगे। बोले- बदल लो कपड़े !

उन्होंने मेरा लाचा खोला, फिर कुर्ती की डोरी खींची और अलग कर दी, पीठ पर चूम लिया।

मैं सिकुड़ सी गई।

अब दोनों आओ भी ! गाने की रसम पूरी करनी है !

पति ने मेरे मम्मे दबाये और मैंने भी सूट पहन लिया और बाहर गए। वहाँ पंरात में कच्ची लस्सी में सिक्का गिरा कर ढूंढने की रसम हुई। उसके बाद दीदी बोली- तेरे नंदोई सा ने तुम दोनों के लिए फाइव स्टार में स्वीट बुक किया है !

पतिदेव को काफी नशा हो चुका था, दीदी ने नंदोई सा को उन्हें और पिलाने से रोका। कार में बैठ कर भी उनको काफी नशा था। नंदोई सा हमें छोड़ने आये। पहले नीचे पूरा डाइनिंग हॉल हम तीनों के लिए बुक था। मेरे लिए तब तक कोल्ड ड्रिंक आर्डर की, उन दोनों ने लिए मोटे पटियाला पैग ! दो पैग के बाद पतिदेव लुढ़क गए। मैं कुछ-कुछ समझ गई।

बस करिए न आप ! कितनी पिओगे ?

भाभी जान ! आज ही तो पीने का दिन है !

खाना खाया, नंदोई सा ने मुझे कमरे की चाभी गिफ्ट की और रूम सर्विस वाला मुझे कमरे तक लेकर गया। कमरा खोलते वक्त देखा- हाथ में दो चाभियाँ थीं- ४०५ और ४०७ वो दोनों भी आ गए !

जाओ भाई अपनी दुल्हन के पास ! सुहागरात मनाओ !

इनको बहुत ज्यादा पिला दी गई थी। कमरे तक आते वक्त तक दारू हाथ में थी। उतनी ही नंदोई सा ने पी लेकिन वो हट्टे-कट्टे थे।

ये तो बिस्तर पर लेटते सो गए। मैं वाशरूम गई। पहली रात के लिए सबसे महंगी नाइटी खरीदी थी, उसी रंग की ब्रा और पैंटी ! बदल कर वापस आई ! लाल गुलाबों वाले बिस्तर पर में इनके साथ लिपटने लगी, सोचा कि इस से नशा कम होगा। शर्ट उतार दी लेकिन इन्हें कोई होश न था।

तभी मुझे मोबाइल पर कॉल आई- कैसी हो जान ? मुझे मालूम है कि क्या हो रहा होगा ! ऐसा करो, हाउस-कीपर ने दो चाभी दी थी ना ! इसकी सुबह से पहले नहीं उतरेगी। बाहर से लॉक करो और इधर आ जाओ !

लेकिन मैं नाइटी में हूँ !

कोई बात नहीं ! रात के बारह बज चुके हैं, इन कमरों में कम लोग ही आते हैं !

मैं उठी, इनको हिलाया, कमरा लॉक किया और नंदोई सा के कमरे में चली गई।

वाह भाभी ! क्या खूबसूरती है ! मदहोश कर देने वाली !

यह आपने क्या किया? इनको इतनी पिला दी?

वो उठे, मुझे बाँहों में लेते हुए बोले- क्या करता कल से तूने होंठ चबा और बाद में कमरे में जवानी दिखाई !

आप बहुत खराब हो !

मेज़ पर शेम्पेन और बियर पड़ी थी, मुझे कह कुहा कर बियर पिला दी उसके बाद अपनी मर्ज़ी से मग भर पिया। वो मुझे सोफा पर बिठा बीच में बैठ मेरे स्तनपान करने लगे। सिसकियाँ फूटने लगी, मैंने पाँव से उनके लौड़े को मसल दिया।

इतने में दीदी की कॉल आई नंदोई सा को !

उस वक्त मैं उनकी गोदी में अधनंगी बैठी थी।

कहाँ रह गए आप? सब ठीक तो है?

हाँ, उन दोनों को भेज दिया जान कमरे में ! इसने ज्यादा पी ली है ! सहारा देकर छोड़ कर नीचे आया हूँ ! बेचारी उर्वशी घबरा गई है, इसलिए उन्हें कुछ बताये बिना मैं अपने दोस्त के साथ नीचे बार में हूँ, कहीं साला साहिब कोई गलती ना कर दें !

दीदी बोली- कोई बात नहीं ! सही किया आपने ! खुद मत पीना !

और फ़ोन साइलेंट पर लगा दिया मेरी दोनों टांगें खोल मेरी चूत जो कि सुबह ही शेव करवाई थी, उसपे होंठ रख दिए। मैं भड़क उठी। सोफ़े पर कोहनियों के सहारे उठ कर चूत चुसवाने लगी। अह उह सी !

मेरी जान क्या चूत है तेरी ! क्या जवानी है ! बाग़ लगा है माली भी ज़रूर रखें होंगे !

मैं शरमा सी गई !

उठा मुझे बिस्तर पर लिटा दिया !

मेरे मम्मो पर बियर डाल डाल कर चाटने लगे।

वाह नंदोई सा ! और चाटो ! मसलो इनको !

भाभी, कसम से तेरे जैसी जवानी वाली लड़की नहीं चोदी !

दीदी भी सुन्दर हैं !

हैं, लेकिन मेरे इस चाँद के सामने उसका रंग भी फीका है !

बातें करते हुए मैंने उनको निर्वस्त्र कर दिया, उनको बेड पर धकेलते हुए उनके कच्छे को उतार उनके लौड़े पर एख दिए अपने कांपते होंठ !

इतना लम्बा लौड़ा नंदोई सा?

मैंने भी कसम से अभी तक इतना मोटा और लम्बा नहीं उतरवाया चूत में !

ओह मेरी रानी, दिलबर ! कस के चूस इसको !

मैं नशे में थी, कुछ भी बके जा रही थी, मैंने ६९ में लेटते हुए उनके लौड़े को चूसा और अपनी चूत को खूब चुसवाया।

नंदोई सा ! अब रुका नहीं जा रहा ! आओ अपनी भाभी के पास और उतर जाओ गहराई में !

ओह बेबी !

मैंने टांगें खोल लीं, वो बीच में आये और मैंने अपने हाथ से पकड़ लौड़ा ठिकाने पर रख दिया। उन्होंने जोर लगाया और उसका सर अन्दर घुस गया। काफी मोटा था लेकिन बेडशीट को जोर से पकड़े मैंने उनका सारा अन्दर डलवा लिया।

ओह भाभी ! वाह, क्या चूत है तेरी साली ! कितनी चिकनी है ! तू देख तेरा नंदोई बहिन की लोड़ी आज रेल बनाता है तेरी !

आह ! रगड़ो ! और रगड़ो ! फाड़ दो मेरी ! हाय ! मेरे कुत्ते चोद अपनी कुतिया को !

मेरे मुँह से यह सुन उनमें जोश भर गया- बहनचोद ! देखती जा साली रांड कहीं की ! यह ले मादरचोद ! यह ले !

उई उई ई ई तू ही असली मर्द है कमीने ! तेरा लौड़ा ही सबसे अच्छा है !

कुछ देर उसी आसन के बाद दोनों टाँगें कन्धों पर रखी, जिससे पूरा लौड़ा जाकर बच्चेदानी से रगड़ खाता तो मुझे स्वर्ग दिखता !

उसके बाद मुझे घोड़ी बना लिया और ज़बरदस्त झटके लगने लगे।

और तेज़ तेज़ !

साथ में खाली बियर की बोतल मेरी गांड में घुसाने लगे।

हाय साले ! यह क्या करने लगा है !

चल साली कुतिया ! मेरे बाल खींच !

गांड पर थप्पड़ मारा और बोतल एक तरफ़ रख दी। एक पल में लौड़ा चूत से निकाला और गांड में डाल दिया !

ओह हा और और ! बहुत बढ़िया !

मेरी गांड मारने लगे, साथ में मेरे दाने को चुटकी से मसल रहे थे। एक साथ में मेरा मम्मा पकड़ रखा था।

फिर चूत में डाल लिया और तेज़ होने लगे।

मैं झड़ने वाली हूँ !

अह अह ऽऽ ले साली ! साली ले ! कहते कहते उन्होंने मेरी चूत में अपना पानी निकाल दिया, मेरी बच्चेदानी के पास गरम पानी छोड़ा, जिससे मुझे अता आनंद आया।

बाकी का मैंने मुँह में डाल साफ कर दिया।

साढ़े तीन के करीब दोनों बाथरूम गए, शॉवर लिया, मैंने कपड़े डाले और अपने कमरे में आई, पूरे बिस्तर पर सलवटें डाल दी और गुलाबों को बिखेर दिया। सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ पैंटी छोड़ कर ! पति को जाते वक्त ही मैंने अंडरवियर छोड़ निर्वस्त्र कर दिया था। उनके पास लेट गई, उनकी बाजू अपने ऊपर डाल दी, सो गई।

सुबह के सात बजे अपने ऊपर किसी को पाया- पतिदेव थे ! मैं सोने की एक्टिंग करने लगी, उन्होंने प्यार से मुझे उठाया, मैं चुपचाप बाथरूम गई रूठने की एक्टिंग करते हुए !

जान क्या हुआ?

इतनी पी ली थी? क्यूँ सोचा नहीं था कि मेरी बीवी के साथ पहली रात है ! नशे में रौंद दिया आपने मुझे ! अंग अंग हिला दिया !सॉरी ! आगे से ऐसा नहीं होगा ! आपने बिना प्रोटेक्शन के मेरे साथ सब कर दिया ! अभी हमने एन्जॉय करना है अगर अभी गर्भवती हो गई तो?

कल से हम बाहर निकाल लिया करेंगे, आज किस्मत पर छोड़ दो !

उसके बाद अगली रात पतिदेव ने चोदा। आज कम पी रखी थी, घर में थे, झड़ने के समय बाहर खींच मेरे मुँह में डाल दिया !

दोस्तो, यह थी मेरी मस्त चुदाई जो हर पल मेरी आँखों में रहती है !

उसके बाद मौका देखा एक बार और नंदोई सा ने चोदा ! शादी के अगले महीने ही मेरी माहवारी रुक गई, मुझे चक्कर आये, डॉक्टर ने खुशखबरी सुना दी।

रात को मैंने पति से ऊपर से खफा होते कहा- देख लिया उस रात का नतीजा ?

लेकिन चल छोड़ कोई बात ना ! किस चीज़ की कमी है हमें !

यह गर्भ नंदोई सा के कारण ठहरा था। पहली ही रात तीन बार अपना माल मेरी बच्चेएदानी के पास छोड़ा था ! था भी इतना लम्बा कि मानो अन्दर घुसकर बच्चा डाल आये !

उनको मैंने फ़ोन पर बताया कि इनका पानी मैंने कभी अन्दर नहीं डलवाया, हमेशा गांड में या मम्मों पर ! सिर्फ आपका पानी अन्दर डलवाया था।

नशे में वो बहुत खुश हुए।

दीदी की बुर की खुजाई से ले कर चुदाई तक

मैं राहुल, 32 साल, मैंने अंतर्वासना की लगभग सारी कहानियां पढ़ी हैं। खास कर मुझे अगम्यागमन कहानियां ज्यादा अच्छी लगती हैं। वैसे नेहा जी भी अच्छी लिखती हैं। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।

मैं जब छोटा था, तब दीदी मुझसे पीठ खुजलाने के लिए बोला करती थी। हम एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोया करते थे। फिर कुछ दिनों बाद दीदी मेर हाथ अपने चुच्ची की तरफ आगे बढ़ाने लगी और बोली- यहां खुजलाओ !

मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैं दीदी को मना नहीं कर पाता था क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी। फिर दूसरे दिन रात को दीदी बोली- आज नीचे खुजला दे !

तो मैंने पूछा- कहां दीदी?

तो दीदी ने अपनी पैन्टी उतार दी और अपनी बुर की ओर इशारा करके बोली- यहां !

मैं बोला- दीदी, यहां से तो सु-सु करते हैं !

दीदी बोली- हां यहीं बहुत खुजली हो रही है।

फिर मैं दीदी की बुर खुजलाने लगा। फिर दीदी बोली- उसके अंदर जहां से सु-सु आता है ना, वहां उंगली डाल के खुजला ना !

फिर मैं दीदी की बुर में उंगली डाल के खुजलाने लगा। फिर इसी तरह कुछ दिन चलता रहा और फिर कुछ दिनों बाद दीदी मामा के घर आगे की पढ़ाई के लिये चली गई।

फिर हम कई बार बीच बीच में मिलते रहे, मामा के घर तो कभी हमारे घर, लेकिन कभी मौका नहीं मिला हमें वैसा मस्ती करने के लिये।

फिर दीदी अपनी पढाई पूरी करके लौटी तो दीदी 24 की हो गई थी। फिर कुछ दिनों बाद दीदी ने एक दिन मुझ से पूछा- बचपन की बातें याद हैं?

मैंने सर हिला के हां कहा, फिर दीदी बहुत खुश हो गई और मेरे गालों को चूम लिया। अब भी हम लोगों का कमरा एक ही था लेकिन पलंग अलग अलग था। और फिर जब रात को मैं अपने बिस्तर में बरमु्डा पहने गहरी नीन्द में सोया हुआ था तो दीदी ना जाने कब मेरे बिस्तर आ गई और मेरा लण्ड निकाल के सहलाने लगी, मुझे पता ही नहीं चला। मेरा लौड़ा अकड़ के जम के खड़ा हो गया था अचानक मेरा नीन्द खुली, देखा कि दीदी के हाथों में मेरा लौड़ा है और वो उसे कभी प्यार से देखती है, कभी सहलाती है और कभी मेरे झाटों से खेल रही है।

तो मैं दीदी से अचानक बोला- दीदी, ये क्या कर रही हो ?

दीदी बिल्कुल ही नहीं डरी और बोली- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या ?

फिर मैं क्या बोलता, मुझे तो मज़ा ही आ रहा था, मैं यूं ही लेटा रहा, फिर मैंने दीदी को बोला- दीदी, इसे मुँह में ले लो ना !

दीदी बोली- क्यों? अभी तो तुझे बुरा लग रहा था ! अब कैसे मुँह में लेने के लिए बोल रहा है?

मैं बोला- दीदी प्लीज़ ले लो ना ! नाटक क्यों कर रही हो !

दीदी बोली- मुँह में क्या, सब जगह ले लूंगी, लेकिन पहले मेरे पूरे कपड़े खोल के जम के गरम तो करो !

फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स !

अब दीदी ब्रा और पैन्टी में थी। दीदी पैन्टी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी, क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी। दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था।

मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया। फिर मैंने दीदी की पैन्टी नीचे खिसका दी। दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी।

फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी ! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों !

मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ। मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो !

दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई। मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो। फिर दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी। मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे।

दीदी मेरे अंडों को चाटते हुए लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी। मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी !

दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था। दीदी मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी। ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो। फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया। और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई। फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने।

थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको ! मैं सु-सु करके आता हूँ !

दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु !

मैं बोला- दीदी यहां कहां करुँ सु-सु ?

दीदी बोली- मेरे मुँह में !

मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा।

दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाउंगी !

फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से !

दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी।

फ़िर मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद ?

दीदी बोली- बहुत ही मज़ा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती !

मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा !

फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का !

मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट ! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी !

फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को।

लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में।

दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?

मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी !

दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा !

मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मज़ा आ रहा था !

तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो !

फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा। दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा। दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था। दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए।

मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा। फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी। फिर दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया। मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने !

फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे। दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी। फिर मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया। दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये। मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा। दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी। अब मुझे डबल मज़ा आने लगा। फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी। मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा। दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया।

दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई।

मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था। दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो !

मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा !

फिर दीदी बोली- कोइ बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना ! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो !

मैं बोला- दीदी, हां ! मैं ये कर सकता हूँ !

फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा। दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी। फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई।

इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे।

उत्तर कोरिया ने अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी दी.

उत्तर कोरिया ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया द्वारा संयुक्त सैन्य अभ्यास करने पर हमला करने की चेतावनी दी है। उत्तर कोरिया ने इस हमले में परमाणु हथियार भी इस्तेमाल करने की चेतावनी दी है।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के विशेष दूत के दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल पहुंचने के कुछ समय बाद यह धमकी दी गई। ओबामा का विशेष दूत उत्तर कोरिया में इस सम्बन्ध पर बात करने आया है। कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया के पास कम से कम आधा दर्जन परमाणु बम तैयार करने के लायक प्लूटोनियम है।
पिछले साल उत्तर कोरिया छह देशों के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता से अलग हट हो गया था। इसके बाद उसने परमाणु परीक्षण भी किया था। इस पर संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर कडे प्रतिबंध लगा दिए थे। चीन, अमेरिका निरस्त्रीकरण वार्ता में शामिल है यह दूसरे देश उत्तर कोरिया को फिर वार्ता के लिए राजी करना चाहते है। अमेरिकी दूत स्टीफन ने गुरूवार को दक्षिण कोरिया के वी संग लैक से मुलाकात की।

दोहे और उक्तियाँ !!



साधु भये तो क्या भये जो नहि बोल विचार। 

हने पराई आत्मा जीभ लिये तलवार।। 


(कबीर)

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न्यायपालिका के ऊपर आक्रोश के परिणति की शुरुआत.

आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले की अदालत में गुरूवार को महिला स्टेनोग्राफर ने जज की बातों से परेशान होकर उन पर चप्पल फेंक दी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार राधारानी ने अडिशनल डिस्ट्रिक्ट फैमिली कोर्ट में जज के ऊपर चप्पल कार्यवाही के समय फेकी। मिली जानकारी के अनुसार जज ने कहा था कि राधारानी डिक्टेशन लिखने के समय बार-बार गलतियां कर रही है। इस घटना के बाद महिला स्टेनोग्राफर ने कहा कि जज मुझे गत छह महीनों से परेशान कर रहे थे।

पाकिस्तान सरकार के साथ बात करने का कोई फायदा नहीं : गडकरी !!

भारतीय जनता पार्टी ने अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पाकिस्तान के साथ बातचीत का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि भारत सरकार आतंकवादियों का तुष्टिकरण कर रही है।

ये बात उन्होंने जम्मू में कही। एक रैली को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, “पाकिस्तान सरकार के साथ बात करने का कोई फ़ायदा नहीं था, उसकी तो अपने देश में ही साख नहीं है । "

करीब तीन हज़ार लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के प्रति कड़ी वचनबद्धता दिखानी होगी ।

भाजपा नेता का कहना था, “गुरुवार का दिन भारत के इतिहास में काले दिवस के समान है क्योंकि सरकार पाकिस्तान के साथ बात कर रही है जो आतंकवाद का समर्थन करता है । "

सीमा पार कर पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी गतिविधिओं के लिए प्रशिक्षण लेकर लौटे कश्मीरी युवाओं को माफ़ी देने पर उन्होंने चिंता जताई ।

उन्होंने कहा कि हत्यारों और अपराधियों को भारत वापस आने नहीं दिया जाएगा ।

गडकरी का तर्क था कि सरकार को कश्मीरी पंडितों की वापसी की कोई चिंता नहीं है लेकिन वो चरमपंथियों की वापसी की बात कर रही है। भाजपा नेता ने इसे कांग्रेस की देश विरोधी नीति करार दिया ।

नितिन गडकरी ने जम्मू कश्मीर को स्वायत्ता देने और अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया ।

वे बोले, अगर हर भारतीय को ये हक़ है कि वो देश के किसी भी हिस्से में जाकर बस सकता है तो कश्मीर में क्यों नहीं।

राज्य में स्थाई रूप से रहने वाले लोग ही वहाँ संपत्ति खरीद सकते हैं, सरकारी नौकरी कर सकते हैं या विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं ।

जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ़्रेंस मिलकर सरकार चला रहे हैं। नेशनल कॉंफ्रेंस की माँग है कि राज्य को ज़्यादा स्वायत्ता मिलनी चाहिए और उसे 1953 से पहले का दर्जा दिया जाए जब गवर्नर राष्ट्रपति होते थे और मुख्यमंत्री राज्य के प्रधानमंत्री होते थे ।

केंद्र के पास रक्षा, वित्त और संचार का ज़िम्मा होता था जबकि बाकी सारे विभाग राज्य सरकार के तहत आते थे ।

सज्जन कुमार को मिली अग्रिम जमानत !!

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुडे़ मामलों में अग्रिम जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति एके पाठक ने सज्जन और छह अन्य लोगों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ दो मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया था।

इन सभी पर 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भीड़ को उकसाने का आरोप है। सिख विरोधी दंगों में दिल्ली में 3,000 से अधिक सिख मारे गए थे।

भारत - पाक आपसी मतभेदों को खुद सुलझा सकते हैं- हिलेरी क्लिंटन !!

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान ने इस बात को महसूस किया है कि वे खुद ही आपसी मतभेदों को सुलझा सकते हैं और अमेरिका दोनों देशों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

हिलेरी ने कांग्रेस समिति में सांसदों से कहा कि मेरा मानना है कि दोनों देशों ने इस बात को महसूस किया है कि अपने बीच के मतभेदों का समाधान सिर्फ वे खुद ही कर सकते हैं और हमें उम्मीद है कि यह रचनात्मक होगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री हाउस एप्रोप्रिएशंस कमेटी की फॉरेन अफेयर्स एंड रिलेटेड प्रोग्राम्स सब कमेटी के सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे रही थीं। सांसदों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर तालिबान के कब्जे की संभावना और भारत के निरोधात्मक उपायों पर चिंता जताई।

हिलेरी ने कहा कि हां, यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा है और हम दोनों देशों के साथ अपने प्रयासों में इसे उच्च वरीयता दे रहे हैं। हमें इस बात की खुशी है कि वे वार्ता शुरू कर रहे हैं।

हिलेरी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच हुई पिछली वार्ता में काफी प्रगति की थी। मुशर्रफ के पद से हटने के बाद यह वार्ता स्थगित हो गई। यह अभी सिर्फ शुरू हो रही है।

पाकिस्तान की कार्रवाइयों के बारे में उन्होंने कहा कि ओबामा प्रशासन पिछले हफ्तों में सैन्य तथा खुफिया अभियानों और मुल्ला उमर के दाएं हाथ कहे जाने वाले तालिबान के कुछ बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से उत्साहित है।

उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तानी सेना द्वारा स्वात तथा उत्तरी वजीरिस्तान में तालिबान के खिलाफ चलाए गए सफल अभियान से भी उत्साहित हैं और वहां की सरकार, सेना तथा आईएसआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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दोहे और उक्तियाँ !!

साधु भये तो क्या भये जो नहि बोल विचार। 

हने पराई आत्मा जीभ लिये तलवार।।

(कबीर)


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आज से भारत - पाक वार्ता !!

मुंबई हमलों के बाद से तनाव भरे संबंधों को विराम लगाने के मकसद से भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का सिलसिला गुरुवार से शुरू हो रहा है ।

हालांकि अभी समग्र वार्ता तक का फासला इतना क़रीब भी नहीं है पर गुरुवार को दोनों देशों के विदेश सचिव दिल्ली में मुलाक़ात करेंगे जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत होनी है ।

पकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर बुधवार को ही बातचीत के लिए राजधानी दिल्ली पहुँच चुके हैं। विदेश सचिव निरुपमा राव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तानी दल के साथ विचार विमर्श करेगा ।

नवंबर, 2008 में मुंबई में हुए चरमपंथी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान समग्र वार्ता पर विराम लगा हुआ था। हालांकि बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में पुणे में चरमपंथी हमला हुआ है और इसमें कम से कम 15 लोग मारे गए हैं ।

भारत और पाकिस्तान से विशेषज्ञों की राय यह है कि बातचीत की शुरुआत एक अहम पहल है। हालांकि तत्काल किसी बड़े लाभ या समझौते या बड़े सकारात्मक नतीजे की आस कई विशेषज्ञों को नहीं है ।

कुछ जानकार मानते हैं कि अमरीका के वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं की हाल के समय में दोनों देशों की यात्रा का असर भी दोनों पक्षों पर दिखाई दे रहा है और इसके चलते भी बातचीत की एक स्थिति बनती नज़र आ रही है ।

पर खटास या संबंधों में खिचाव के लिए दोनों के पास वजहें कम नहीं हैं इसीलिए कई लोग बातचीत से एक सीमा से अधिक आशान्वित नहीं हैं ।

पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने कहा है कि भारत के साथ कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर बातचीत होगी और बातचीत के लिए पाकिस्तान के विचार बहुत ही स्पष्ट हैं ।

पाकिस्तान के विदेश सचिव ने दिल्ली पहुँचने से पहले लाहौर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “कश्मीर हमारी प्राथमिकता है और दोनों देशों के बीच पानी की समस्या भी बहुत ही अहम है लेकिन हम यह चाहते हैं कि शांति वार्ता फिर से शुरु हो । "

उन्होंने बताया, “मैं खुले दिल के साथ भारत जा रहा हूँ और हम चाहते हैं कि सभी मुद्दों के हल के लिए कोई प्रक्रिया तैयार की जाए । "

उनके मुताबिक आतंकवाद पाकिस्तान और भारत का साझा दुश्मन है और दोनों को मिलकर उससे निपटना होगा और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भी मिस्र में इस पर सहमति जताई थी ।

हालांकि सचिव स्तर की बातचीत से पहले भारत ने स्पष्ट किया है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत में उसे किसी तीसरे देश का दख़ल स्वीकार्य नहीं है।

समाचार एजेंसियों के अनुसार बीजिंग में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा था कि यदि चीन भारत-पाकिस्तान के रिश्तें को बेहतर बनाने के लिए कोई भूमिका निभाना चाहता है तो पाकिस्तान इसके लिए तैयार है

उनका ये भी कहना था कि भारत को ये फ़ैसला करना है कि क्या उसे चीन की तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य है या नहीं ।

भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि भारत को किसी तीसरे पक्ष का दख़ल स्वीकार्य नहीं है ।

एंटनी का कहना था, "भारत की मूल नीति है कि हमें पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मामलों में किसी भी अन्य देश का दख़ल स्वीकार्य नहीं है। हमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता मंज़ूर नहीं है । "

पर कुछ जानकार अमरीका के दखल या उसकी दक्षिण एशिया में शांति बहाली की कोशिशों को भी नज़रअंदाज़ न करने की सलाह देते हैं। हाल के दिनों में अमरीकी नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की भारत और पाकिस्तान यात्राओं ने बातचीत के लिए ज़मीन तैयार करने में मदद की है, ऐसा भी कुछ जानकार मानते हैं ।

भारत ने कहा है कि इस बातचीत को समग्र वार्ता की शुरुआत न माना जाए, लेकिन पर्यवेक्षकों को मानना है कि भारत-पाक रिश्तों में आई ठंडक घटाने में इस बातचीत की अहम भूमिका हो सकती है ।

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