मैं कॉलेज में आ चुका था। मेरे एक पुराना दोस्त मेरे साथ में मेरे घर में रहता था। हम दोनो पक्के दोस्त थे और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। सेक्स के मामले में मैं बहुत झिझकता था। इतनी तो मेरी बड़ी दीदी भी नही शर्माती थी। मैं जब सुबह जागता था तो मेरे लण्ड में पेशाब भरे होने के कारण वो खड़ा हो जाता था। दीदी बस यही देखने के लिये सुबह मेरे कमरे में आ जाती थी और मेरे खड़े लौड़े को देख कर आहें भरती थी। अपनी चूत भी दबा लेती थी।
मेरी नजर जब उस पर पड़ती तो मैं झेंप जाता था, पर दीदी बेशर्मों की तरह मुस्करा कर चली जाती थी। मुझे ये सब देख कर सनसनी आने लगती थी। दीदी के चूतड़ मस्त गोल गोल उभरे हुए थे, मेरे भी वैसे ही थे ... पर लड़की होने के कारण उसके चूतड़ ज्यादा सेक्सी लगते थे। उसकी चूंचिया भी भरी भरी गोल गोल मस्त उठान और उभार वाली थी। सीधी तनी हुई, किसी को भी दबाने के लिये निमन्त्रण देती हुई।
मेरा दोस्त ज्यादातर मेरे बिस्तर पर ही सोता था। कितनी बार तो रात को वो मेरे चेहरे को चूम भी लेता था। मुझे लगता था वो मुझे बहुत प्यार करता है। कभी कभी मैं भी उसे चूम लेता था।
इन दिनों उसमें कुछ बदलाव आ रहा था। हम जब कॉलेज साथ साथ जाते तो वो कभी कभी मेरी गाण्ड सहला देता था। मुझे बड़ा अच्छा लगता था। एक बार तो छत पर उसने मेरे पीछे आ कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में लगा दिया था। मुझे एक झुरझुरी सी आई थी। उसके लण्ड का कड़ापन मेरी गाण्ड को करण्ट मार रहा था। मैंने अपनी गाण्ड हटा ली। बात आई गई हो गई।
रात को सोते समय उसने धीरे से मेरा लण्ड पकड़ लिया, मुझे अच्छा लगा। पर शरम के मारे मैंने उसका हाथ हटा दिया।
एक बार रात को सोते समय अनजाने में मेरा हाथ जाने कैसे उसके लण्ड पर चला गया। रवि ने मेरा हाथ अपने लण्ड पर दबा दिया। शायद उसने ही अपने लण्ड पर मेरा हाथ रख दिया होगा। कुछ देर मैं सोने का बहाना करता रहा, उसका हाथ अब मेरे लण्ड पर आ गया ... मुझे बहुत मजा आया। मैं शान्त ही रहा। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल कर मेरा नंगा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरा लण्ड सहलाने लगा।
मैंने मन ही मन आह भरी और जब सहा नहीं गया तो दूसरी तरफ़ करवट ले ली। उसने लण्ड छोड़ दिया। अब मेरा लण्ड तड़प रहा था कुछ करने को ... पर क्या करने को ... शायद गाण्ड मारने को या मराने को ... वो पीछे से मेरे से चिपक गया और अपना लण्ड मेरे चूतड़ो में घुसाने की कोशिश करने लगा। चूतड़ो की दरार के बीच उसका लण्ड फ़ंसा हुआ अपनी साईज़ का अहसास दिला रहा था।
मैंने अचानक जागने का नाटक किया,"अरे यार सो जा ना ... "
"तुझे प्यार करने को मन कर रहा है ... " उसने अपनी झेंप मिटाने की कोशिश की।
"ओह हो ... ये ले बस ... " मैंने करवट बदल कर उसे पकड़ कर चूम लिया पर उसने मुझे जबरदस्ती होंठ पर चिपका लिया और होंठ चूसने लगा।
मैंने अलग होते हुए कहा,"ऐसे तो लड़किया करती हैं ... साले ... बस हो गया अब सो जा ... "
"अभी आया ... " कह कर वो बाथ रूम गया, शायद अन्दर वो मुठ मार रहा था। कुछ देर में वो आ गया और अब वो शांति से सो रहा था। मुझे भी मुठ मारने की तेज इच्छा होने लगी थी, पर कुछ ही देर मेरा वीर्य बिस्तर पर ही निकल गया। मैंने अपना रूमाल पजामे में घुसा लिया और वीर्य पोन्छ दिया।
हमने सिनेमा देखने का कार्यक्रम बनाया। हॉल लगभग खाली था। बालकनी में बस हम दोनों ही थे। पिक्चर शुरू होते ही रवि ने मेरा हाथ पकड़ लिया ... और फिर धीरे से हाथ छोड़ कर उसने मेरी जांघ पर रख दिया। मुझे पता था कि मुझे ये सिनेमा लाया ही इसीलिये है।
आज मैंने सोचा कि ये अधिक परेशान करेगा तो मैं उठ कर चला जाऊंगा।
पर उसके हाथों में जादू था। मेरी जांघ वो सहलाता रहा। मुझमें करण्ट दौड़ने लगा। धीरे से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मुझे अजीब सा लगने लगा पर आनन्द भी आया। जैसे ही उसने लण्ड दबाया, मैंने उसका हाथ हटा दिया। उसने मुझे देखा फिर कुछ ही देर के बाद उसने हाथ फिर से मेरी जांघ पर रख दिया। कुछ ही देर के बाद उसने फिर कोशिश की और मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और हल्के से सहलाने लगा।
मेरे मन में एक हूक सी उठी ... हाय ... कितना मजा आ रहा है ... । पर दिल नहीं माना ... उसका हाथ मैंने फिर से हटा दिया। उसने भी हिम्मत नही हारी ... और कुछ ही देर में उसने फिर मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और दबाने लगा। पर यहाँ मैंने हिम्मत हार दी और उसे करने दिया।
वो मेरा लण्ड दबाने लगा ... और अपनी अंगुलियां से दोनो ओर से लण्ड को दबा कर सहलाने लगा। मुझे कोई विरोध ना करते देख कर वो खुश हो गया। और मेरी पेन्ट की ज़िप खोल दी ... अब उसका हाथ मेरे अंडरवीयर को ऊंचा करके नंगे लण्ड तक पहुंच गया था। उसने अपने हाथ में उसे पूरा भर लिया। मुझे आनन्द की एक तरावट सी आ गई। मुझे लगने लगा कि काश मेरा मुठ मार दे और मेरा वीर्य निकाल दे।
"कैसा लगा ... बता ना !" उसने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।
"बस रवि ... अब हाथ हटा ले यार ... "
"अरे नहीं ... देख बहुत मजा आता है ... " कह कर उसने लण्ड पेन्ट से बाहर निकाल लिया। मेरा मन खुशी से भर गया। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढा दिया और बाहर से उसे पकड़ लिया।
"तुझे भी मजा आया क्या ... " मैंने उससे पूछा और उसके पेन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया उसने अन्दर चड्डी नही पहन रखी थी, सीधे लण्ड से हाथ टकरा गया। उसे मसलते हुए मैंने बाहर निकाल लिया। अब वह मेरे लण्ड को हौले हौले घिस रहा था, और मैं उसके लण्ड को घिस रहा था। तभी इन्टरवेल हो गया।
हॉल की लाईटें जल उठी। दोनो के लण्ड बाहर मस्त हो कर लहरा रहे थे। मैंने शरमा कर लण्ड एक दम पेन्ट के अन्दर डाल लिया।
"चल यार ... अब चलें ... कही आराम से मजे करते हैं ... "
"ओके ... चल ... ।" बाहर आकर मैंने स्टैण्ड से अपनी मोटर साईकल निकाली और नेहरू गार्डन चले आये। रात हो चुकी थी, भीड़ भी कम थी। हम दोनों एक एकान्त की ओर बढ़ गये। एक घने झाड़ के नीचे बैठ गये।
"आ जा अब मस्ती करते हैं !" मुझे तो वही मस्ती आ रही थी, मैंने तुरन्त अपना लण्ड निकाल दिया। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अब फ़्री स्टाईल में मुठ मारना चालू कर दिया। मैं झूम उठा ...
"मजा आ रहा है ना ... देख घर पर तबीयत से चुदाना ... "
" चुदाना ? मैं क्या लड़की हूँ ... साले ... आह्ह्ह भोसड़ी के ... मस्त मजा आ रहा है ... तू भी अपना लौड़ा निकाल ना ... ला मसल दूँ ... "
"निकाल तो रखा है यार ... तू तो मस्ती में खोया है ... " मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और मसलने लगा। उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे होंठो को चूमने लगा। मैं भी प्रति-उत्तर में उसे चूमने लगा। हम दोनो मदहोशी में भूल गये कि हम गार्डन में है।
लण्ड मसलने से कुछ ही देर में मेरा वीर्य छुट गया, कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। हमें झड़ने के बाद होश आया। देखा तो पूरा गार्डन सूना था ... हम उठ खड़े हुये, लण्ड को पेण्ट के भीतर डाला और उठ खड़े हुए।
"थेन्क्स यार ... बड़ा मजा आया ... " और हम चल दिये।
घर आ कर मुझे बड़ी घिन आने लगी कि हाय मैं ये क्या कर रहा था? मैंने अलमारी से दारू की बोतल निकाली और दो पेग बना कर पी गया। खाना खा कर हम सोने की तैयारी करने लगे। मुझे नशे में फिर से वासना की खुमारी चढ़ने लगी। इतने में दीदी आ गई।
"रवि, आज लगता है कोई खास बात है ... ।"
"नहीं दीदी ... ऐसा तो कुछ भी नहीं है ... "
"अरे बता दे ना ... आज कितनी मस्ती मारी है हमने ... मजा आ गया !" मैंने नशे में कहा।
"भैया आप ही बता दो ना ... !" दीदी ने मुझसे पूछा।
"अरे दीदी, क्या बताऊँ ... इस साले ने मेरा लण्ड का मुठ मार कर माल ही निकाल दिया" मैंने हिचकी लेते हुये कहा।
‘दीदी ये तो बहक रहा है ... "रवि ने शर्माते हुए कहा।
"अच्छा तो ये बात है ... अकेले अकेले मजे कर रहे हो ... " दीदी मुस्कराई।
और मुड़ कर चली गई। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गया ... रवि ने भी मौका देखा और लाईट बंद कर दी और वो भी नंगा हो कर लेट गया। कुछ ही देर बाद हम दोनो एक दूसरे का लण्ड मसल रहे थे ... मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था। मुझे लग रहा था कि कुछ करना चहिये ... पर क्या ?
"गाण्ड मरवाओगे क्या ... "
"क्या ... क्या मरवाओगे ... "
"मेरा मन, तेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ने को कर रहा है ... देख मजा आयेगा राजू ... "
"पर यार छेद तो छोटा सा है ... " मुझे पता था कि लण्ड गाण्ड में घुसेड़ कर उसे चोदी जाती है ... पर मैं मसूम ही बना रहा।
"लौड़ा घुस जायेगा ... देख उल्टा लेट जा ... ये तकिया भी नीचे लगा ले ... "
मैं नीचे तकिया लगा कर लेट गया, मेरी गाण्ड और ऊंची हो गई। उसने मेरी गाण्ड ने थूक लगाया और वो मेरी पीठ पर चिपक गया और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ने लगा। उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में ठोकर मारी। मुझे गुदगुदी सी हुई। मैंने अपनी गाण्ड खोल दी उसने जोर लगा कर लण्ड का सुपाड़ा गाण्ड में घुसेड़ दिया और आगे हाथ बढा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया। उसने जोर मार कर लण्ड अन्दर घुसा मारा ...
मेरी गाण्ड नरम थी, जवान थी ... पूरा लण्ड निगल गई। अब उसने धक्के मारने शुरू कर दिये ... मुझे थोड़ी सी जलन हुई, पर मजा अधिक आया। पहली बार लण्ड से गाण्ड मरा रहा था। वो मुझे चूमने चाटने लगा ... मेरा लण्ड तकिये से दबा हुआ सिसक रहा था ... और जोर मार रहा था।
रवि तो मस्ती में चूर था ... पूरे जोश के साथ मेरी गाण्ड चोद रहा था और कुछ ही देर में वीर्य निकाल दिया। रवि निढाल सा एक तरफ़ लुढ़क गया।
"राजू, तेरी बहन को चोद डाले क्या?" रवि ने गहरी सांस भरते हुए कहा।
"साले मरवायेगा क्या ... ?"
"नहीं यार ... बड़ी सेक्सी है ... चल यार कोशिश करते हैं ... अपना लण्ड का माल उसी से निकाल लेना !"
"अच्छा, चल कोशिश करते हैं ... देख बात बिगड़े तो सम्हाल लेना !"
रवि ने हामी भर दी। मेरी दीदी की नजर तो मुझ पर थी ही ... मुझे लगता था कि काम हो ही जायेगा ... । हम दोनों बिस्तर से उठे और तोलिया लपेट लिया और दबे पांव दीदी के कमरे में सामने चले आये। कमरे में बाहर की लाईट का खासा उजाला था ... दीदी दोनों पांव चौड़े करके और स्कर्ट ऊंची करके लेटी हुई थी। मैं दीदी के बिस्तर पर उसके पास बैठ गया।
दीदी ने धीरे से आंखे खोली,"राजू ... क्या हुआ ... ये सिर्फ़ तोलिया लपेटे क्यूँ घूम रहे हो ... ?"
मैं थोड़ा नर्वस हो गया। पर रवि बोल उठा,"दीदी ... आप लेटी रहो ... राजू ... चल कर ना ... "
मैंने दीदी की चूंचियों की तरफ़ हाथ बढ़ाया। दीदी सब समझ चुकी थी। मुस्करा उठी ...
मेरे हाथ उसके बोबे तक आ चुके थे ...
"राजू ... घबरा मत ... पकड़ ले और दबा दे ... !"
मेरी हिम्मत खुल गई," दीदी ... थेन्क्स ... " और मैंने धीरे से दीदी के बोबे पकड़ कर दबा दिये।
"अरे, शरमा मत ... मसल दे ... मजा ले ले दीदी का ... और मजा दे दे दीदी को ... " दीदी सिसक उठी, जाने कब से बेचारी चुदासी थी ...
उसने मेरा तौलिया उतार दिया और रवि ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया ...
"बस बस ... चढ़े ही जा रहे हो ... " वो उठ कर बैठ गई ... और भाग कर अपना दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। रवि ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसका एक चूतड़ दबा लिया।
"दीदी, आपकी बाटिया यानी चूतड़ सोलिड हैं ... बॉल भी बड़े कसे हुए हैं ...! "
"तू भी तो रवि सोलिड है ... भैया की अभी गाण्ड मारी है ना ... उसकी बाटिया मेरी जैसी ही तो है ... !"
"दीदी ... आपने सब देखा है क्या ... " मैं चौंक गया। दीदी मुस्कुरा उठी।
"राजू जवानी लगी है अभी ... इसमें सब चलता है ... देख मैं भी अभी चूत मरवाऊंगी और इसकी प्यास बुझाउंगी, रवि से गाण्ड मरवाउंगी ... साला हरामी मस्त गाण्ड चोदता है !" और खिलखिला कर हंस पड़ी।
रवि से हट कर दीदी मेरे पास आई,"भैया ... पहले आपका हक बनता है ... देखो प्यार से चोदना ... तेरी मस्त चूतड़ो की तो मैं भी दीवानी हूँ !"
"और मैं भी दीदी ... तेरी चूतड़ो की गहराई देख कर तो मेरा लण्ड कब से चोदने को बेताब हो रहा था।"
"हाय रे भैया, तो देरी किस बात की है ... चोद दे ना ... " और वो मेरे से लिपट पड़ी।
मैंने उसे तुरन्त घोड़ी बनाया और और उसे अपने से चिपका लिया। रवि लपक कर आया और नीचे से मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया।
"मार राजू ... चोद दे दीदी को ... पर देख प्यार से ... दीदी अपनी ही है ... " रवि के स्वर में प्यार झलक रहा था।
मैंने धीरे से लण्ड दीदी की चूत में ठेल दिया।
लण्ड का प्रवेश होते ही उसके मुख से प्यारी सी सिसकारी निकली और उसने प्यार भरी निगाहों से मुझे देखा,"भैया ... रहम मत करना ... साले लौड़े को जोर से ठोक दे ... बहुत महीनों बाद लौड़ा खा रही हूं !"
"हाय दीदी ... ये लो ... मुझे भी मत रोकना ... मेरा तो रोम रोम सुलग रहा है ... पहली बार मुझे भी कोई चूत मिली है ... !"
मैंने जोर लगा कर लण्ड चूत की जड़ तक बैठा दिया। रवि ने मेरी गाण्ड सहलानी चालू कर दी। उसका लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। मैंने दीदी की चूंचिया दबा कर पकड़ ली और मसलते हुए पूरी ताकत से लौड़ा खींच कर दे मारा।
"आह राजू ... ये हुई ना बात ... अब ढेर सारे जोर की ठोकरे दे मार ... साली चूत को मजा आ जाये ... "
मैं जैसे ये सुनते ही पगला गया ... जोर जोर से उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ कर चोदने लगा ... पर जवानी तो दीदी पर पूरी तरह से छाई हुई थी ... उसकी चूत लपक लपक कर लौड़ा ले रही थी। तभी मुझे लगा रवि भी अपना संयम खो बैठा और उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।
"राजू प्लीज ... तेरे गोल गोल चूतड़ मारने को कर रहा है ... !" रवि ने कहा।
"अरे रुक जा साले ... दीदी की गाण्ड और भी मस्त है ... ठहर जरा ... दीदी, आप दोनो छेद से मजा लो ना ... "
दीदी तो वासना की आग में जली जा रही थी ...
"हाय आगे से और पीछे से ... दोनो तरफ़ से चोदोगे ... माँ मेरी ... चल पोजिशन ले ... आज तो तुम दोनों मुझे मस्त करके ही छोड़ोगे !"
मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया और दीदी ने ऊपर आ कर मेरा लण्ड चूत में डाल लिया और पूरा घुसेड़ कर जड़ तक बैठा लिया ... और दोनों पांव से अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये। रवि तुरन्त लपक कर बिस्तर पर चढ़ गया और उसकी खुले हुये चूतड़ो के पट में लण्ड रख दिया। दीदी ने रवि को देखा और मुस्कुरा दी और लण्ड गाण्ड में सरक गया।
"हाय रवि ... भारी है ... पर हां, कस के गाण्ड मारना ... ये जवान लड़की की गाण्ड है ... खूब लेती है और भरपूर लेती है !"
रवि तो सुनते ही जोश में आ गया और पहले धीरे धीरे और फिर जो जोर पकड़ा तो दीदी को भी मजा आ गया। अपनी गाण्ड उभार कर चुदाने लगी।
"वाकई, राजू ... दीदी की गाण्ड तो मस्त है ... जबरदस्त चोदने लायक है ...! " मैं नीचे उसके बोबे मसल मसल कर लण्ड उछाल उछाल कर दीदी को चोद रहा था। दीदी दोनों तरफ़ से चुद कर मस्त हो चली थी।
अब मुझे लगा कि मेरी नसें खिंचने लगी हैं ... सारा कुछ लण्ड के रास्ते निकलने वाला है ... मैं सिसक उठा,"दीदी ... प्यारी दीदी ... मेरा तो निकला ... हाय ... "
दीदी मुझसे चिपक गई ... "राजू ... निकाल दे ... मस्त हो जा ... रवि है ना, वो चोद देगा ... तू झड़ जा ... आराम से ... हां"
"दीदी ... तेरी तो ... हाय ... भेन की चूत ... मैं गया ... अरे रे रे रे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह हा हाऽऽऽऽऽ।" और मेरा वीर्य छुट पड़ा ... दीदी ने मेरा लौड़ा बाहर निकाल दिया ... सारा वीर्य उसकी चूत के आस पास निकलता रहा। इतने में रवि ने गाण्ड से लण्ड निकाल कर दीदी की चूत में घुसेड़ दिया।
"आह्ह्ह साला हरामी रवि ... मेरी चूत मार रहा है ... "
"दीदी, अब आपकी बारी है माल निकालने की ... "
"तेरे को कैसे पता ... मैया री ... अह्ह्ह् ... साला ... रवि ... चोद दे रे ... जोर से ... मार और मार... भैया "
और मेरे से से जोर से लिपट गई ... और दीदी का पानी छुट गया ... दीदी मेरे से लिपट कर बल खाती हुई झड़ने लगी।
"दीदी ... मेरा लण्ड ... गया रे ... निकला मेरा भी ... ओये रे ... चल निकल ... हाऽऽऽऽऽऽ ... " और रवि ने लण्ड चूत से बाहर निकाला और दीदी की गाण्ड पर फ़ुहारें छोड़ दी ... दीदी मुझे दबाये लेटी रही ... रवि उठ कर बैठ गया।
"अब हो गया ... सबका माल निकल गया ... चलो उठो" रवि ने हांक लगाई।
दीदी ने मेरे ऊपर से सर उठाया और मुझे आंखो से जी भर कर देखा, और मुस्कराने लगी।
मुझे चूमते हुये बोली,"आप बहुत प्यारे हैं भैया ... दीदी की प्यास बुझा दी और एक रवि जैसा गाण्ड की प्यास बुझाने वाला दोस्त भी दे दिया ... क्यो रवि ... है ना !"
"दीदी ... आप के तो हम दास है ... बस आप तो आदेश दे दे ना ... लण्ड हाजिर है ... "
दीदी हंस पड़ी और मुझे फिर से चूम लिया। वो मेरे ऊपर से हट गई और रवि को लिपट कर प्यार करने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों को अलग किया।
"चल साले तौलिया लपेट और निकल यहाँ से ... अब तो रोज का प्रोग्राम रहेगा ... उतावाला मत हो !"
रवि बड़ी आसक्ति भरी नजरों से दीदी को देखता हुआ कमरे से बाहर आ गया।
हम बिस्तर पर जा कर जैसे लुढ़क पड़े, और नींद की आगोश में चले गये ... अचानक मेरी नींद रात को खुल गई ... देखा तो रवि पास में नहीं था ... मैंने जल्दी से उसे तलाशा ... तभी दीदी के कमरे से सिसकियाँ सुनाई दी ... अन्दर देखा तो मस्त चुदाई चल रही थी ... मैं उनके पास गया"शश्श्श्श्श्श्श ... चुप ... ।"
"भैया ... प्लीज करने दो ... रहा नहीं गया ना ... "
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