प्रियभांशू पर ऍफ़ आई आर दर्ज, कभी भी हो सकती है गिरफ़्तारी.

दिल्ली की पत्रकार निरुपमा पाठक की संदिग्ध मौत के मामले में अब प्रेमी भी फंस गया है. उसपर कोडरमा की पुलिस और कोर्ट दोनों ने शिकंजा कस दिया है. दिल्ली में पुलिस पूछताछ कर ही रही है. कोडरमा पुलिस स्टेशन में प्रियभांशू के खिलाफ बलात्कार, धोखाधड़ी, धमकी और खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले दर्ज हो गए हैं.

दिल्ली की पत्रकार निरुपमा पाठक की संदिग्ध मौत का मामला पेचीदा होने लगा है. अब उसका प्रेमी प्रियभांशु भी कानून के फंदे में है. झारखंड के कोडरमा में सुधा पाठक की शिकायत पर सुनवाई के बाद प्रियभांशु के खिलाफ 376 यानी बलात्कार, 420 यानी धोखाधड़ी, 306 यानी खुदकुशी के लिए उकसाना और 506 यानी जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज हो गया है.

कोडरमा की अदालत ने सुधा पाठक को अपनी बेटी निरुपमा के क्रियाकर्म में शामिल होने के लिए तीन दिन तक पैरोल पर छोड़ने को कहा है. लेकिन अब निरुपमा के घरवालों ने जल्द से जल्द सच सामने लाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की है.

प्रियभांशु की हकीकत जानने के लिए झारखंड के कोडरमा की पुलिस की टीम ने दिल्ली प्रियभांशु से दो दिनों तक पूछताछ की. मकसद था ये जानना कि निरुपमा के तीन महीने से गर्भवती होने की जानकारी प्रियभांशु को कैसे नहीं थी और किन परिस्थितियों में निरुपमा ने दिल्ली छोड़ा था.

इसके लिए पुलिस प्रियभांशु के ईमेल, एसएमएस खंगाल रही है और निरुपमा की डायरी, लैपटॉप के साथ-साथ प्रियभांशु का मोबाइल जब्त कर लिया गया.

निरुपमा का परिवार दावा कर रहा है कि उसने खुदकुशी की थी, जबकि प्रियभांशु का कहना है कि निरूपमा के घरवालों ने ही उसकी जान ली है. लेकिन पुलिस अभी तक सच का कोई भी सिरा पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाई है.


निरुपमा की मौत के कुछ अनकही पहलु !












निरुपमा की हत्या को लेकर पिछले चार दिनो से जारी मीडिया ट्रायल को देख कर लगता हैं कि मीडिया बीते वारदातो से सबक लेने को तैयार नही हैं।इन्हे लगता ही नही हैं कि देश में एक कानून हैं जिससे उपर कोई नही हैं ।जिस तरीके से मीडिया इन दिनो एक्ट कर रही हैं कोई एक व्यक्ति कोर्ट चला गया तो मीडिया का वो हाल होगा जिसकी कल्पना नही की जा सकती हैं।इन्हे लगता ही नही हैं कि इस देश में जो अधिकार एक व्यक्ति को प्राप्त हैं वह अधिकार भी मीडिया को प्राप्त नही हैं।कब तक जनता के हीत के सहारे गैर कानूनी कार्य करते रहेगे।अब तो सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक प्रावधानो को अहमियत देते हुए पोलोग्राफी,नार्गो टेस्ट और ब्रेन मैंपिंग टेस्ट को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया हैं।


निरुपमा के मामले में आंनर किलिंग तो फिर पिता की पाती जैसे शीर्षक को लेकर पिछले कई दिनो से चैंनल और अखबार वाले खबर लिख रहे हैं।खबर का ऐगिल आरुषि,अलीगंढ के प्रोफेसर मामले और भोपाल के स्कूल शिक्षका से जुड़े मामलो की तरह ही एक ही धर्रा पर चल रहा हैं।जिस तरीके से निरुपमा के तथा कथित प्रेमी को आधुनिक भारत के प्रणेता के रुप में मीडिया दिखा रही हैं और कोई विशेष साक्ष्य आये बगैर पूरे मामलो में जिस तरीके से निरुपमा के परिवार वाले को टारगेट किया जा रहा हैं वह बेहद शर्मनाक हैं।

इस मामले को मैं भी काफी करीब देख रहा हू और पोस्टमार्टम रिपोर्ट और लाश के पंचनामा को लेकर जो सवाल अब मीडिया सामने ला रही हैं उसकी खोज मैने ही किया हैं।इस मामले में मीडिया को पार्टी नही बननी चाहिए कई ऐसे विन्दु हैं जिस पर निरुपमा के दोस्त प्रियभांशु रंजन की भूमिका संदिग्ध जान पर रही हैं।अगर मीडिया अपने को जनता का पंक्षधर मानती हैं तो दोनो पंक्ष को सामने लाना चाहिए।मेरा मानना हैं कि निरुपमा की मां जो आज जेल में हैं इसके लिए पूरी तौर पर मीडिया जबावदेह हैं हो सकता हैं मां और मामा ने मिलकर निरुपमा की हत्या की हो लेकिन पुलिस के पास फिलहाल कोई ऐसा साक्ष्य नही हैं। जिससे पूरी तौर पर मां और मामा के द्वारा कांड किये जाने की बात सिद्द होती हो।मामले के नैतिक पंक्ष पर मेरा कुछ भी नही कहना हैं।

निरुपमा की हत्या हुई हैं या फिर निरुपमा ने आत्महत्या की हैं यह पूरी तौर पर साबित नही हो सका हैं।यू कहे तो जो साक्ष्य उपलब्ध हैं उसके आधार पर सौ प्रतिशत हत्या की बात नही कही जा सकती हैं।जिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर निरुपमा की हत्या की बात कही जा रही हैं उसमें भारी चुक हुई हैं या यू कहे तो पूरा पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही संदेह के घेरे में हैं। मौंत का समय किसी भी पोस्टमार्टम का मुख्य आधार होता हैं लेकिन उस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौंत का समय अंकित नही हैं।दूसरा पहलू हैं शरीर पर कही भी कोई इनजुरी नही हैं जबकि डाक्टर कहते हैं कि दो तीन लोग इसको जबरन पकड़कर तकिया से मुह बंदकर मारा हैं।ऐसे मामलो में भेसरा का रखना जरुरी होता हैं।लेकिन भेसरा सुरक्षित नही रखा गया वही दूसरी और जब पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड कर रही हैं तो पूरे पोस्टमार्टम का वीडियोग्राफी क्यो नही कराया गया।और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह हैं कि जिस पुलिस अधिकारी ने लाश का पंचनामा तैयारी किया था उसने जो लिखा हैं उसमें गर्दन में जो चिन्ह दिखाया हैं वह नीचे से उपर की और दिखाया गया हैं जो आत्महत्या की और इंकित करता हैं।और इससे भी अहम सवाल यह हैं कि जब डाक्टर को पोस्टमार्टम टेबल पर ही हत्या के साक्ष्य मिल गये तो तत्तकाल पुलिस को इसकी सूचना क्यो नही दी ।जब आपने पाया कि निरुपमा गर्भवती हैं तो उस साक्ष्य को क्यो नही रखा।वही आप यह भी लिखते हैं कि हत्या करने के बाद उसे पंखे से लटकाया गया हैं तो ऐसे हलात में हायड बोन को आपने सुरक्षित क्यो नही रखा।हो सकता हैं कि यह महज मानवीय भूल हो लेकिन इसका लाभ किसको मिला।निरुपमा के मा मामा,पिता और भाई तो जांच के दायरे में हैं ही लेकिन इस फाईडिंग से सबसे बड़ा लाभ प्रियभांशु को मिला हैं।जो आज चीख चीखकर न्याय की गुहार लगा रहा हैं।अब जरा आप एक औऱ पहलु के बारे में जान ले।निरुपमा की मौंत 29तारीख के 10बजे तब प्रकाश में आया जब उसके आस परोड़ के लोगो उसे उठाकर अस्पताल ले गये जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।11बजे प्रियभांशु का फोन कोडरमा के एसपी के पास आता हैं कि निरुपमा की हत्या की गयी हैं।उसके घर वालो ने ही हत्या की हैं।इस फोन के बाद पुलिस पहुचती हैं औऱ उसके मां से बयान लेने के बाद चली जाती हैं कि कल तक उसके पिता और भाई पहुंच रहे हैं।लाश निरुपमा के घर पर ही रखा रहा ।इस बीच प्रियभांशु के दोस्त अमित कर्ण और हिमांशु शेखर कोडरमा के पत्रकारो को इस मामले के बारे में फोन पर फोन करने लगा औऱ इन दोनो का एक ही सवाल था कि निरुपमा के परिवार वाले दिल्ली से इस मामले को तो नही जोड़ रहे हैं।इसके बाद मीडिया वाले निरुपमा के घर पहुंच कर प्रेम प्रसंग से लेकर कई तरह के सवाल किये लेकिन उसके परिवार वाले कुछ भी बोलने को तैयार नही था।बात बनती नही देख इन लड़को ने कांलेज संगठन के पैड पर लिखकर एसपी कोडरमा और सिविल सर्जन कोडरमा को फैक्स कर निरुपमा की हत्या की आशंका जताते हुए मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने का आग्रह किया।उसी आधार पर निरुपमा का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से कराया गया।इस पूरे मामले में जो अहम सवाल हैं वह हैं कि प्रियभांशु को निरुपमा की हत्या की जानकारी एक घंटे के अंदर कैसे हो गयी जबकि इसकी खबर स्थानीय मीडिया तक को नही थी।दूसरी बात निरुपमा के दिल्ली स्थित आवास से सारा समान को आनन फानन में उसके दोस्तो ने क्यो हटाया।इन तमाम बिन्दु पर कोडरमा एसपी प्रियभांशु से पिछले तीन दिनो से जाबव मांग रहे हैं लेकिन वह जबाव देने से बचता रहा जिसके कारण पुलिस को पुछताछ के लिए दिल्ली जाना पड़ा हैं।ऐसे कई और विन्दु हैं जिस पर संघन जांच की जरुरत हैं।इस घटना में निरुपमा के परिवार वाले कानून के घेरे में तो हैं ही लेकिन इस पूरे प्रकरण में प्रियभांशु औऱ उसके मित्र के कारगुजारी को भी सामने लाना अहम हैं क्यो कि अभी तक जो इन लड़को के मोबाईल का प्रिंट आउट आया हैं उससे कई राज खुलने वाला हैं क्यो कि कुछ खास नम्बर हैं जिन पर इन लड़को की घंटो बातचीत होती रही हैं।वह नम्बर एक दो नही हैं पाच छह हैं और वे सभी नम्बर लड़कियो के हैं।जब बात बढी हैं तो मीडिया वालो का यह भी दायुत्व हैं कि सिर्फ अधिकार की ही बाते नही होनी चाहिए ।अधिकार के साथ साथ कर्तव्य की भी बात होनी चाहिए क्यो कि जब कोई हाईप्रोफाईल पोस्ट पर तैनात बेटा अपने मा बाप को भूखे मरने छोड़ देता हैं तो आप ही इसे खबर बनाकर हाई तौबा मचाते हैं।दूसरी बात जो काफी गम्भीर बाते हैं समाजिक मूल्यो को तोड़ना ही आधुनिकता की पहचान नही हैं।मीडिया इस मसले पर दोनो पक्षो को मजबूती से रखे तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं

संतोष कुमार सिंह

2014 तक जाति आधारित जनगणना हो सकती है !!


 जाति आधारित जनगणना शुरू होने के बाद भी इसके प्रामाणिक आंकड़े 2014 से पहले हासिल होना मुश्किल हैं। इनके आकलन और वर्गीकरण में तीन साल का समय लगने के आसार हैं।

गृह मंत्रालय का कहना है कि जनगणना करने वाले जाति प्रमाणित करने में सक्षम नहीं होंगे। जाति के निरीक्षण और सत्यापन के लिए अलग से मशक्कत करनी होगी। राज्यों मंे जातियों को लेकर समस्याएं हैं, जिससे उनका वर्गीकरण करना और कठिन हो जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा,‘देशभर में करीब छह हजार जातियां और करीब 65 हजार से ज्यादा उपजातियां हैं। देश के एक सौ बीस करोड़ से ज्यादा लोगों के डाटा से उनकी जाति का आंकड़ा जुटाना जटिल काम है।’ आंकड़े जुटाने के बाद सत्यापन का काम सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय को दिया जा सकता है। ऐसे में उसे भी इसकी तैयारी जल्द शुरू करनी होगी।

घरों को चिह्न्ति करने के साथ उनकी गिनती। दूसरा चरण : नेशनल पापुलेशन रजिस्टर के लिए आंकड़े जुटाए जाएंगे। 9 से 28 फरवरी के बीच 21 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे।

लोकसभा में जाति आधारित जनगणना पर अधिकांश दलों को एकमत देखकर केंद्र सरकार इसके लिए तैयार हो गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को सदन में आश्वासन दिया कि जल्द ही कैबिनेट में इस मुद्दे को देखा जाएगा। वहीं, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद परिसर में कहा कि इस बार की जनगणना में जाति को शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम जाति का विश्लेषण नहीं कर रहे हैं, बल्कि संख्या की गिनती की जाएगी।

इससे पहले जब गृह मंत्री पी चिदंबरम ने जाति आधारित जनगणना पर अपना पक्ष रखने की कोशिश की तो विपक्ष उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और सदन में हंगामा होने लगा। शोर-शराबे के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और जद-यू अध्यक्ष शरद यादव, भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे आदि सत्तापक्ष की बंेच पर पहुंचकर प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और मुखर्जी से बात करने लगे। सोनिया ने लालू, मुलायम से अलग से बात की। इसके बाद मुखर्जी ने इन नेताओं को संकेत दे दिया कि सरकार जाति आधारित जनगणना के लिए तैयार है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि चिदंबरम के बयान के बाद जब सोनिया गांधी ने मुलायम और लालू से अलग से बात की, तभी लग गया था कि फैसला हो जाएगा। उनकी बात पर सोनिया मुस्करा दीं और बगल में बैठे मुखर्जी की ओर इशारा करती दिखीं।


प्रधानमंत्री के आश्वासन का सभी दलों के नेताओं ने स्वागत किया। राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा कि आप पर पूरे सदन को भरोसा है। मुलायम ने प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों को धन्यवाद दिया। जद-यू प्रमुख शरद यादव ने कहा कि यह मांग पिछले साठ साल से चली आ रही थी और सरकार ने बड़ा दिल दिखाया है।

केन्द्रीय विद्यालयों में फिर से सांसद कोटा !!


केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय विद्यालयों में छात्रों के लिए संसद सदस्यों का नामांकन कोटा बहाल कर दिया है। संसद सभी सदस्य अब फिर दो-दो छात्रों के नामांकन की सिफारिश कर सकेंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नोत्तर काल में बताया कि अब संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य अब फिर दो-दो छात्रों के नामांकन की सिफारिश कर सकेंगे। सिब्बल ने कांग्रेस के पी जे कुरियन के एक सवाल पर कहा कि दोनों सदनों के सदस्यों की मांगों को देखते हुए उन्होंने गुरुवार को ही केन्द्रीय विद्यालय संगठन की एक बैठक में सांसद कोटा बहाल करने का फैसला किया।

यद्यपि स्वयं उन्होंने मानव संसाधन मंत्री तथा सांसद के तौर पर भी छात्रों के प्रवेश के लिए नामांकन का अपना कोटा छोड़ने का निर्णय लिया है। हाल ही में समाप्त किए गए इस कोटे की बहाली की घोषणा का सभी दलों के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया।

मानव संसाधन मंत्री ने माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के लिए प्रोत्साहन की योजना के बारे में भारतीय जनता पार्टी के कप्तान सिंह तथा कांग्रेस के कर्ण सिंह के सवालों पर माना कि छात्राओं के नकद प्रोत्साहन देने की योजना के क्रियान्वयन में काफी समय लग रहा है और कई मुश्किलें भी आ रही हैं। लेकिन उनका कहना था कि योजना के लिए लाभार्थियों की पहचान राज्य सरकारों को करना होता है, लेकिन पूरी योजना के क्रियान्वयन का दायित्व लेने से राज्यों के इनकार के कारण यह जिम्मेदारी केंद्र उठा रहा है। लिहाजा इसमें समय बहुत लग रहा है।

सिब्बल ने कहा कि क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए सरकार एक नई व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है। योजना में मध्यप्रदेश तथा आंध्र प्रदेश के साथ भेदभाव के कप्तान सिंह एवं तेलुगू देशम पार्टी के मैसूरा रेड्डी के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने पूछा कि दोनों राज्यों ने दरअसल कोई प्रस्ताव भेजा ही नहीं, फिर उसे योजना में कैसे शामिल किया जाता या धनराशि कैसे दी जाती।

लड़कियों की शिक्षा प्रोत्साहित करने के लिए भी स्कूलों में उनके लिए अलग शौचालय तथा विश्राम कक्ष बनाने के डा. कर्ण सिंह के सुझाव पर उन्होंने कहा कि हाल ही में पारित शिक्षा का अधिकार कानून में आधारभूत संरचना खंड में इसकी अनिवार्यता का प्रावधान किया गया है।

प्रियभांशु पर बलात्कार और धोखाघडी के केस दर्ज करने का आदेश :- कोडरमा कोर्ट

पत्रकार निरूपमा पाठक की मौत के मामले में अब उसका प्रेमी प्रियभांशु भी कानून के शिकंजे में फंस गया है. झारखंड के कोडरमा में निरुपमा की मां की शिकायत के बाद जिला अदालत ने प्रियभांशु के खिलाफ भी केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.

अदालत ने जिन धाराओं में मामला दर्ज करने को कहा है उनमें 376 यानी बलात्कार, 420 यानी धोखाधड़ी, 306 यानी खुदकुशी के लिए उकसाने और 506 का मामला दर्ज किया जा रहा है.

इस मामले में निरुपमा की मां को पुलिस ने गिरफ्तार जरूर किया था, मगर अब तक की जांच में पुलिस को कुछ खास हाथ नहीं लगा है.

निरुपमा का परिवार दावा कर रहा है कि उसने खुदकुशी की थी, जबकि प्रियभांशु का कहना है कि निरूपमा के घरवालों ने ही उसकी जान ली है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी गला दबाकर कत्ल करने की बात सामने आई है, मगर सवाल पोर्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम पर भी उठे जिन्होंने निरुपमा का विसरा और भ्रूण संभालकर नहीं रखा.

इधर झारखंड पुलिस की एक टीम दिल्ली में प्रियभांशु से पूछताछ कर रही है, क्योंकि प्रियभांशु ने जान को खतरे का हवाला देकर कोड़रमा जाने से इंकार कर दिया था.


निरुपमा कि लाश को नोच कर पत्रकारिता की दलाली करने वालों के लिए बुरी खबर !!

देशी मछली देशी मुर्गा और विदेशी वियर के सहारे निरुपमा मामले में आँनर किलिंग प्रमाणित करने को लेकर कोडरमा के सेन्ट्रल एसक्वायर होटल में ठहरे मीडियाकर्मीयो के लिए बुरी खबर हैं।


प्रियभांशु और मीडिया के टारगेट नम्बर एक निरुपमा के मामा और चाचा के विरुध कोडरमा पुलिस को कोई साक्ष्य नही मिला हैं।यू कहे तो इन लोगो के पास ऐसे अकाट्य साक्ष्य हैं जिसको पुलिस नजरअंदाज नही कर सकती।पिछले 24घंटे से निरुपमा के माम और चाचा के साथ पुछताछ में जो तथ्य सामने आये हैं उसके अनुसार दोनो को सूचना निरुपमा की माँ ने मोबाईल पर दी थी।कोडरमा पुलिस को उम्मीद थी की मोबाईल के टावर लोकेसन से पूरे मामले को उदभेदन हो जायेगा।

लेकिन मोबाईल के टावर का लोकेसन बिहार के बाढ से मामा का शुरु होता हैं और निरुपमा के दोनो भाई के मोबाईल का टावर लोकेसन मुबंई और बगलुरु दिखा रहा हैं।इसी तरह चाचा के मोबाईल का लोकेसन बिहार का गया दिखा रहा हैं।कोडरमा पुलिस की एक टीम मुबंई गयी थी और एक टीम उत्तर प्रदेश के गोंडा गयी हुई थी जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया हैं कि निरुपमा के पिता और भाई दोनो अपने आफिस में घटना के दिन मौंजूद थे।

अब सवाल यह उठता हैं कि निरुपमा के घर में सारे रिश्तेदार को जोड़े तो पाच पुरुष उसके परिवार में हैं जो सभी के सभी घटना के दिन कोडरमा में नही हैं।तो फिर किसने निरुपमा की हत्या की, क्या 55वर्ष की बिमार मां अकेले निरुपमा की हत्या कर दी।इस सवाल के सामने आने के बाद कोडरमा पुलिस की नींद हराम हैं कि अगर निरुपमा की हत्या हुई तो इसको अंजाम किसने दिया।

लेकिन इस मामले का जो सबसे मजबूत पहलु हैं वह हैं डाक्टरो का विरोधाभासी बयान। जब डांक्टर यहा तक कह रहे हैं कि मुझे पोस्टमार्टम करने के बारे में जानकारी नही थी और पहली बार पोस्टमार्टम कर रहा था और मामला हाई प्रोफाईल होने के कारण जल्दी से जल्दी पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के हरबरी में कई साक्ष्यो छुट कहे।जब डांक्टर यहां तक स्वीकार कर रहे हैं तो ये भी तो हो सकता हैं कि इन्होने आत्महत्या और हत्या को लेकर जो साक्ष्य बर्डी में रहता हैं उसका आकलन सही नही कर पाये।

जिसके कारण इन्होने आत्महत्या को हत्या करार कर दिया जिसकी सम्भावना अब अधिक दिख रही हैं।मामला जो भी हो लेकिन कोडरमा पुलिस को पूरी सावधानी से मामले की जांच करनी होगी। क्यो कि एक पंक्ष जो मामले को हत्या साबित करने में लगा हैं औऱ उसमें कुछ हद तक कामयाब भी रहा हैं उसके प्रभाव से कोडरमा पुलिस को मुक्त होने की जरुरत हैं।

इस पूरे प्रकरण का सबसे दुखद पहलु यह हैं कि कोडरमा में जुटे मीडिया के कर्णधार यह सब जानने के बाद भी खामोस हैं क्यो कि इन तथ्यो को दिखाने के बाद उनकी आँनर किलिंग की थियूरी फलोप कर जायेगी।

इस मामले में जैसे जैसे जानकारी सामने आती रहेगी मेरा प्रयास होगा कि उसे आपके पास शीघ्र से शीघ्र से पहुंचाये।मेरी पूरी कोशिश हैं कि इस मामले का पूरी तौर पर उदभेदन हो औऱ इसमें शामिल अपराधी चाहे वो कितना भी बड़ा क्यो न हो उसे सजा जरुर मिलनी चाहिए.

संतोष कुमार सिंह

कुछ ही मिनटों के अन्दर डॉव जोंस में करीब ६०० अंकों की गिरावट !!


अमेरिकी बाजार में गुरुवार को अचानक आयी तीखी गिरावट ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि कहीं किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से तो ऐसा नहीं हो गया। यह अंदेशा इसलिए बना कि केवल 7 मिनटों के अंदर डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेजेज ने करीब 600 अंक गँवा दिये। उस दौरान बाजार में कोई ऐसी नकारात्मक खबर नहीं आयी थी, जिसे इस गिरावट का कारण माना जा सके।
कल अमेरिकी बाजार ने लगभग सपाट शुरुआत ही की थी, लेकिन ग्रीस के कर्ज संकट पर चिंता बढ़ने के चलते बाजार फिसलने लगा। डॉव जोंस 10,700 के नीचे जाने के बाद इसके फिसलने की रफ्तार बढ़ गयी। और फिर जब 10,600 का स्तर टूटा तो यह अगले 7 मिनटों के अंदर ही टूट कर 9870 के निचले स्तर पर आ गया, जहाँ यह पिछले दिन से 999 अंक नीचे था। यह गिरावट करीब 9.2% की थी। इसी तरह की तीखी गिरावट नैस्डैक कंपोजिट और एसएंडपी 500 में भी आयी।
लोगों ने अचानक इतनी बड़ी गिरावट के पीछे किसी कंप्यूटरी गलती या "प्रोग्राम एरर" का अंदेशा जताया। हालाँकि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) ने उस समय यह साफ किया कि यह गिरावट ऐसी किसी कंप्यूटरी गलती के चलते नहीं आयी। लेकिन निवेशकों में यही धारणा बनी रही कि बाजार का नियंत्रण इंसानों के हाथों से हट कर कंप्यूटरों के पास चला गया है और पहले से कंप्यूटर में डाल कर रखे गये स्वचालित (ऑटोमेटेड) सौदों के चलते इतनी तीखी गिरावट आयी।
यह आशंका जतायी गयी कि कोई बड़ा सौदा गलत डल जाने से ही अचानक बाजार टूटा। ऐसी किसी संदिग्ध तकनीकी गड़बड़ी से प्रॉक्टर एंड गैंबल के शेयर में एक समय 37% की गिरावट दिखने लगी। इसके साथ ही बाजार में तेज बिकवाली शुरू हो गयी। हालाँकि बाद में प्रॉक्टर एंड गैंबल के शेयर ने तकरीबन पूरी वापसी कर ली और केवल 2% नीचे बंद हुआ।
ऐसी किसी गड़बड़ी की बात तब पुख्ता हो गयी, जब नैस्डैक ने बयान दिया कि यह (अमेरिकी समय के मुताबिक) दोपहर 2.40 से 3 बजे के बीच किये गये कुछ ऐसे सौदों को रद्द करेगा जो साफ तौर पर गलती से हो गये थे। एनवाईएसई ने अपनी कारोबारी प्रणाली में कोई गड़बड़ी नहीं होने का दावा भले ही किया, लेकिन बाद में इसने कहा कि इसके इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर किये गये कुछ सौदों को रद्द किया जायेगा।
स्टॉक एक्सचेंजों के इन बयानों के बाद यह कहानी ज्यादा भरोसेमंद लगी कि किसी बड़ी ब्रोकिंग फर्म के एक डीलर ने 16 मिलियन (1.6 करोड़) डॉलर की बिकवाली के बदले 16 बिलियन (16 अरब) डॉलर की बिकवाली का ऑर्डर डाल दिया। तो क्या गलती से एक हजार गुना ज्यादा बड़ी हो गयी इस बिकवाली ने डॉव जोंस को एक झटके में करीब 1000 अंक तोड़ दिया? मुमकिन है! (© शेयर मंथन, 07 मई 2010)

दोनों भाई बातचीत करके खुद समस्या को सुलझाएं :- मुख्य न्यायाधीश


सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णनन की खंडपीठ वाली बेंच ने कहा कि दोनों भाई आपस में बातचीत करके समस्या का समाधान निकालें।

जज ने कहा कि 6 हफ्ते के अंदर दोनों भाई बातचीत करके खुद समस्या को सुलझाएं। पहले ऐसा माना जा रहा था कि किसी एक भाई के पक्ष में फैसला आ सकता है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अनिल अंबानी के मुकेश अंबानी नियंत्रित केजी बेसिन गैस में हिस्सेदारी के दावे पर फैसला बताएगी। मुख्य न्यायधीश के. जी बालकृष्णन की अध्यक्षता में तीन जजों की खंडपीठ इस मामले में दो फैसले सुनाएगी। इस फैसले का असर न सिर्फ मुकेश और अनिल अंबानी बल्कि देश की कई बड़ी गैस कंपनियों पर भी पड़ेगा।

गौरतलब है कि कृष्णा गोदावरी बेसिन में डी 6 ब्लॉक से गैस आपूर्ति को लेकर छिड़े इस विवाद में मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 26 दिन तक चली सुनवाई के बाद 18 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सबसे बड़ी बात इस मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णनन 11 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अंबानी बंधुओं के बीच विवाद का असर आज सुबह से ही शेयर मार्केट में काफी गिरवाट देखी गई। शेयर बाजार जब सुबह खुला तो सेंसेक्स में लगभग 250 की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी में भी गिरावट देखी गई।

अंबानी परिवार में बंटवारे के समय हुए समझौते के आधार पर अनिल अंबानी की कंपनी को के जी बेसिन के डी 6 क्षेत्र से गैस की आपूर्ति की जानी थी। आरएनआरएल इस गैस क्षेत्र से होने वाले उत्पादन में से रोजाना 2.8 करोड़ घन मीटर गैस पर 2.34 डॉलर प्रति इकाई की दर से दावा कर रही है जबकि आरआईएल का कहना है कि वह सरकार द्वारा तय की गई 4.2 डॉलर प्रति इकाई के हिसाब से ही गैस की आपूर्ति करेगी।

बंटवारे के समय यह तय हुआ था कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अनिल अंबानी की कंपनी को 17 साल तक प्रतिदिन 2.8 करोड़ घन मीटर गैस सरकारी मूल्य से 44 प्रतिशत कम पर मुहैया कराएगी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज सुनाए जाने वाले फैसले यह तो  यह माना जा रहा है कि भविष्य में गैस के मूल्य निर्धारण का आधार भी तय हो सकेगा और साथ ही ये भी सुनिश्चित हो जाएगा कि गैस की बिक्री से करोड़ों डॉलर कमाने वाली मुकेश अंबानी की कंपनी को फायदा होता है या फिर नुकसान।

Emma Watson - See Through/Bra heading to the airport in New York 5/4/10

Emma Watson - Met Ball 2010 Metropolitan Museum of Art's Costume Institute Gala










Natalie Portman @ 2010 New York City Ballet Spring Gala 4/29/10

Megan Fox - Elle Quebec - May 2010 (x5)