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अभियंता सत्येन्द्र दुबे के हत्यारों को आजीवन कारावास !!
त्वरित अदालत संख्या पांच के न्यायाधीश राघवेन्द्र कुमार सिंह ने मामले में सुनवाई के बाद गया जिले के चंदौली थाना क्षेत्र के कटारी गांव निवासी मंटू कुमार उदय कुमार और पिंकू रविदास को लूट के दौरान दुबे की हत्या करने का दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनाई है।
आरोप के अनुसार 27 नवंबर 2003 को तडके गया जिले के रामपुर थाना क्षेत्र में परिसदन के नजदीक दोषियों ने लूटपाट के दौरान अभियंता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने की थी।
परियोजना इंजीनियर दुबे ने निर्माण परियोजना में बड़े स्तर पर नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया था। 27 नवंबर 2003 को तड़के गया गेस्ट हाउस के सामने उन्हें गोली मार दी गयी, जिस समय वह वाराणसी से लौटकर ट्रेन से उतरने के बाद अपने घर जा रहे थे।
सत्येंद्र दुबे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी को सीधे तौर पर पत्र लिखकर निर्माण परियोजना में वित्तीय तथा ठेके संबंधी अनियमितताओं की जानकारी दी थी।
दुबे की हत्या के बाद पूरे देश में प्रदर्शन हुए और इस तरह भ्रष्टाचार उजागर करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए विधेयक लाने की मांग उठी।
मामले में सीबीआई ने 14 दिसंबर 2003 को पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी। सीबीआई ने इस मामले में तीन सितंबर 2004 को आरोपपत्र दाखिल किया।
जांच के दौरान सीबीआई ने गया, बिहार के कटारी गांव में रहने वाले मंटू, उदय, पिंकू और श्रवण कुमार को गिरफ्तार किया था।
सीबीआई ने नयी दिल्ली में एक वक्तव्य में कहा कि वे सभी 26-27 नवंबर 2003 की दरमियानी रात को गेस्ट हाउस, गया के पास इकट्ठे हुए थे। 27 नवंबर को तड़के करीब साढ़े तीन बजे दुबे एक साइकिल रिक्शा में गेस्ट हाउस के सामने से गुजर रहे थे, तभी आरोपियों ने उनसे कीमती सामान लूटा और इस दौरान हुई झड़प में मंटू ने 315 बोर के देसी तमंचे से उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
सीबीआई ने कहा कि दुबे का एक ब्रीफकेस एक सुनसान कुएं से मिला, जिसमें उनके पहचान पत्र समेत अन्य सामान था और जांच के दौरान देसी तमंचा भी मिला।
एजेंसी ने कहा कि श्रवण ने घटना के बारे में स्वेच्छा से पूरी जानकारी दी।
मोदी एस आई टी के समक्ष पेश, राजनीति शुरू !!
दंगे भड़काने के आरोप में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आज विशेष जांच दल यानी एसआईटी के दफ्तर में पेश हुए और 2002 के दंगों के सिलसिले में उनसे पहली बार पूछताछ हुई. शनिवार दोपहर मोदी पूछताछ के लिए पहुंचे.
दोहे और उक्तियाँ !!
पृथ्वी और धनुष मिसाइलों का सफल परीक्षण !!
भारत ने शनिवार को उड़ीसा के तट से कुछ दूर पर चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से परमाणु क्षमता सै लैस पृथ्वी और धनुष मिसाइलों का सफल परीक्षण किया।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि स्वदेश में निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र को एटीआर के परिसर तीन से एक सचल प्रक्षेपक द्वारा सुबह करीब पांच बज कर 48 मिनट पर दागा गया।
संक्षिप्त दूरी का यह प्रायोगिक परीक्षण सेना ने उपयोगी परीक्षण के तौर पर किया था। सतह से सतह पर मार करने वाला यह प्रक्षेपास्त्र सैन्य बलों में शामिल किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि सामरिक बल कमान (स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड) ने इस प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया।
पृथ्वी देश के प्रतिष्ठित एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित पहला बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। यह 500 किग्रा आयुध ले जाने में सक्षम है तथा तरल प्रणोदक दोहरे इंजन से यह संचालित होता है।
पृथ्वी में अत्याधुनिक इनर्शियल गाइडेन्स सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। यह आसानी से लक्ष्य को भेद सकता है। इसकी लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है। सूत्रों ने बताया कि परीक्षण के दौरान अत्याधुनिक रडारों की मदद से इसकी दिशा की गहन निगरानी की गई। प्रक्षेपण के बाद के घटनाक्रम का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न स्थानों पर इलेक्ट्रो ऑप्टिक टेलीमेट्री स्टेशन्स लगाए गए थे।
यह प्रक्षेपास्त्र बंगाल की खाड़ी में गिरा जहां इसके प्रभावों का अध्ययन करने के लिए नौसेना का एक पोत तैयार था। इसके अलावा लंबी दूरी का एक ट्रैकिंग रडार (एलआरटीआर) और बहु आयामी ट्रैकिंग रडार (एमएफटीआर) भी तैनात किए गए थे, ताकि इसके पथ की निगरानी की जा सके।
इसके साथ ही पोत आधारित बैलास्टिक मिसाइल धनुष का भी सफल प्रायोगिक परीक्षण किया गया। उड़ीसा तट से कुछ दूर एक नौसैनिक पोत से दाग कर उसका सफल प्रायोगिक परीक्षण किया गया। इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किमी है।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि मिसाइल पुरी के निकट बंगाल की खाड़ी में आईएनएस सुभद्रा पोत से दागी गई। भारतीय नौसेना के कर्मियों ने अपने एक प्रशिक्षण अभ्यास के एक हिस्से के तौर पर इसे दागा। परमाणु क्षमता संपन्न धनुष पृथ्वी मिसाइल का ही नौसैनिक संस्करण है। इसकापरीक्षण सुबह 5.44 पर किया गया।सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्षेपास्त्र ने लक्ष्य का सटीक तौर पर पीछा किया और इस दौरान इसके पथ की निगरानी की गई। इसके लिए लक्ष्य के समीप नौसेना के दो पोत तैनात किए गए थे। उन्होंने बताया कि 350 किमी की मारक क्षमता वाला प्रक्षेपास्त्र भारतीय नौसेना को दुश्मन के ठिकाने को पूरी स्पष्टता के साथ भेदने की क्षमता मुहैया कराएगा।
सूत्रों के अनुसार, आज प्रक्षेपक वाहन के पूरे पथ पर अत्याधुनिक रडार प्रणाली से निगरानी रखी गई। एक चरण वाला यह प्रक्षेपास्त्र तरल प्रणोदकों से संचालित होता है। यह दस मीटर लंबा है तथा इसका वजन करीब छह टन है। इसका व्यास एक मीटर है और यह 500 किग्रा आयुध ले जाने में सक्षम है।
मोदी विशेष जांच टीम के समक्ष पेश हो सकते हैं !!
समाचार एजेंसी पीटीआई ने एसआईटी के सूत्रों के हवाले से कहा है कि मुख्यमंत्री मोदी शनिवार को आ सकते हैं ।
ख़बरों के अनुसार एसआईटी कार्यालय में शुक्रवार को काफ़ी तैयारियां चल रही थीं और कहा जा रहा है एसआईटी के सभी सदस्य शनिवार को मौजूद रहेंगे ।
इससे पहले मोदी को सलाह दे रहे महेश जेठमलानी ने कहा था कि 27 मार्च की तारीख पर सहमति और इस दिन मोदी एसआईटी के समक्ष पेश हो सकते हैं ।
हालांकि फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि एसआईटी उनसे इस कार्यालय में पूछताछ करेगा क्योंकि यह अत्यधिक सुरक्षित नहीं है ।
एसआईटी ने गुलबर्गा सोसायटी हत्याकांड मामले में जकिया जाफरी की शिकायत पर मोदी को पूछताछ के लिए बुलाया है। 2002 में हुए दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में लोगों ने कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी कई अन्य लोगों के साथ जान से मार दिया था ।
विश्व कप २०-२० के लिए टीम का ऐलान .
अगले महीने होने वाले ट्वेन्टी 20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का एलान कर दिया गया है. धोनी की अगुवाई वाली टीम में विनय कुमार और रवींद्र जडेजा को जगह मिली है, जबकि इशांत शर्मा को टीम से बाहर कर दिया गया है.
भारतीय पत्रकारिता का एक और कमाल, ओबामा ने अमेरिका को दी धमकी।
ये संभव हो या ना हो मगर हमारे देश कि मीडिया कुछ भी करने और करवाने में सक्षम है। लापरवाही और जवाबदेही से इतर मारामारी की व्यावसायिकता ने मानो पत्रकारिता को सरेआम चौक पर खड़ा कर नंगा कर दिया हो।
तस्वीर पर क्लिक कर के उसे बड़ा करें। सहारा समय ने अपने वेब साईट पर ओबामा और ओसामा के फर्क को चुटकी में ख़तम कर हमारे देसज पत्रकारिता को शर्मशार कर दिया। ये कल की लगी खबर आज तक साईट पर चमक रही है, ना ही लिखने वाले ने देखा ना ही सम्पादन और ना ही सम्पादक की नजर।
चेत जाओ क्यूँकी कभी ऎसी खबर हमारे देश के बारे में भी हो सकती है कि "मनमोहन ने लश्कर से हाथ मिलाया" या फिर "राहुल ने मायावती को धमकाया" या फिर "भारतीय रक्षा मंत्री ने संसद में बम रखा"। और इस तरह कि खबर हमारी मीडिया कभी भी दे सकती है।
उफ्फ्फ अनकही आम की अनकही के बजे कहाँ जा रही है ??
दोहे और उक्तियाँ !!
सेना के विशालतम शस्त्र डिपो में आग !!
इस्टर्न कमांड के विंग कमांडर एम उपासनी ने बताया कि डिपो में आग तड़के एक बज कर तीस मिनट के आसपास शेड संख्या 16 में लगी। पांच मिनट के अंदर ही सेना की दमकल व्यवस्था सक्रिय हो गई।
उन्होंने बताया कि आग पर करीब तीन बज कर तीस मिनट के आसपास काबू पाया जा सकता लेकिन तब तक शेड जल कर पूरी तरह खाक हो गया था। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि आग से किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है।
सेना का संकट प्रबंधन दल कर्नल एडी सेठी की अगुवाई में मौके पर पहुंचा आग बुझाने में मदद की। आग से बड़ी संख्या में छोटे हथियार और गोलाबारूद नष्ट हो गए। विंग कमांडर ने बताया कि पूर्वी कमान के मेजर जनरल चौधरी तत्काल जांच के लिए मौके पर पहुंच गए। आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। पानागढ़ कोलकाता से करीब 120 किमी की दूरी पर है। यह न केवल सेना के विशालतम शस्त्र डिपो में से एक है, बल्कि वायुसेना का एक महत्वपूर्ण बेस भी है।
पाकिस्तान और अमेरिका आतंकवाद से लड़ाई में साथ साथ !!
अमेरिका और पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ाई में अपनी कोशिशों को दोगुना करने का संकल्प किया है। लेकिन वक्तव्य में असैन्य परमाणु करार का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि वाशिंगटन ने इस्लामाबाद से यह वादा किया है कि वह उसकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा।
पाकिस्तानी अधिकारियों की तमाम कोशिशों के बावजूद सामरिक वार्ता में कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की मध्यस्थता के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई।
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अब तक की पहली कैबिनेट स्तरीय सामरिक वार्ता गुरुवार को वाशिंगटन में समाप्त हुई। वार्ता के दौरान दोनों देशों ने अफगानिस्तान सहित पूरे क्षेत्र में शांति एवं स्थायित्व की अहमियत को एक बार फिर से स्वीकारा।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के तार तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े होने के संदेह के बावजूद अमेरिका ने पाकिस्तान पर भरोसा जताया और आतंकवाद से लड़ाई में उसके साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया।
सामरिक वार्ता की समाप्ति के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ ने वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय सुरक्षा के सामने जो खतरा पेश किया है उसे दोनों पक्षों ने महसूस किया है।
पाकिस्तान ने अमेरिकी सुरक्षा मदद को सराहा और दोनों सरकारों ने आतंकवाद से मुकाबले की अपनी कोशिशों को दोगुना करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। दोनों देशों ने लोकतंत्र, सहिष्णुता, खुलापन और आजादी तथा मानवाधिकारों के प्रति आदर के भाव की रक्षा करने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
बहरहाल, वार्ता से पहले पाकिस्तान के एजेंडे में शामिल दो अहम मुद्दों का इस पूरी वार्ता में कहीं जिक्र नहीं किया गया। इसमें पहला तो कश्मीर मसले पर अमेरिका का हस्तक्षेप संबंधी मुद्दा था, जबकि दूसरा अमेरिका और पाकिस्तान के बीच असैन्य परमाणु करार रहा।
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में अन्य अधिकारियों के साथ सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी भी शामिल थे। पाकिस्तान के सामने ओबामा प्रशासन की ओर से की गई अन्य पेशकश में कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित करने और सड़क निर्माण के लिए दी जाने वाली राशि भी थी।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा। अमेरिका ने ऊर्जा क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता जाहिर की है, जिसमें सिग्नेचर एनर्जी प्रोग्राम के माध्यम से भी आपसी सहयोग में इजाफा करना शामिल है।
पाकिस्तान के पांच प्रमुख शहरी इलाकों में कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित करने के लिए अमेरिका ने उसे चार लाख अमेरिकी डॉलर की राशि भी मुहैया कराई है। पाकिस्तान में कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं सामरिक तौर पर अहम जगहों पर स्थापित की जाएंगी।
मलकंद इलाके के पुनर्निर्माण में मदद के मकसद से पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में सड़क निर्माण कार्य के लिए भी पाकिस्तान को चार करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि मुहैया कराई गई है। बयान में कहा गया है कि मानव जीवन और विकास के लिए पानी की अहमियत को स्वीकार करते हुए दोनों पक्षों ने सामरिक वार्ता के दौरान जल-संरक्षण और वाटरशेड मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान देने के मकसद से अलग क्षेत्रीय मार्ग जोड़ने का फैसला किया। इसमें जल परियोजनाओं में अमेरिकी सहायता पर भी विचार किया गया।
पाकिस्तान के मित्र देशों को प्रशिक्षण शिविरों को बंद करने के लिए दवाब डालना चाहिए :-गृह मंत्री
बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में चिदंबरम ने यह भी कहा पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने आईएसआई और आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा तथा अल कायदा आदि पर अंकुश लगाने के लिए कदम नहीं उठाया है।
आधिकारिक दौरे पर यहां आए चिदंबरम ने कहा कि अगर पाकिस्तान में वास्तविक असैन्य सरकार होती जो आईएसआई पर लगाम कस सकती और सेना तथा आईएसआई को आतंकवादी ढांचा नष्ट करने का आदेश दे सकती तो आज हालात कुछ और होते।
उन्होंने कहा शिविरों को बंद किया जाना चाहिए और आतंकवाद का प्रशिक्षण खत्म होना चाहिए। गृह मंत्री से जब पूछा गया कि क्या वे पाकिस्तान में इस दिशा में कोई पहल देखते हैं तो उन्होंने कहा, अभी तक नहीं।
पूछे जाने पर कि क्या वह पाकिस्तान को इसके लिए समझाना चाहेंगे। उन्होंने कहा इस सवाल का जवाब अमेरिका और ब्रिटेन अच्छी तरह जानते हैं। निश्चित रूप से, हम पाकिस्तान को समझाने की स्थिति में नहीं हैं। यह काम पाकिस्तान के दोस्तों का है। पाकिस्तान के मित्र देशों को इसके लिए इस्लामाबाद पर दबाव बनाना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि पश्चिमी देशों का यह विचार सही नहीं है कि केवल भारत ही पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खतरे का सामना कर रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि एक बार अगर इन आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षण देने, भर्ती करने की अनुमति दी जाती है तो वह हमला करने की क्षमता विकसित कर सकते हैं, भारत पर हमला कर सकते हैं, ब्रिटेन और डेनमार्क को अपना निशाना बना सकते हैं, क्योंकि वे कराची प्रोजेक्ट की योजना बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी देश वास्तव में सुरक्षित नहीं है। यह मत सोचिए कि भारत अकेले ही खतरे का सामना कर रहा है। हर देश इन समूहों के खतरे से दो चार हो रहा है और लश्कर-ए-तैयबा अलकायदा की तरह ही कई देशों में फैला समूह है।
पुणे के बारे में उन्होंने कहा पुणे ऐसा मामला है जहां चूक हुई। पुणे निशाना था। उसके बारे में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र पुलिस और वहां की सरकार को खुफिया सूचना दी थी। वह इलाका, कोरेगांव पार्क आदि सुरक्षा के दायरे में हैं।
चिदंबरम ने कहा कि तीन बार जर्मन बेकरी को परामर्श दिया गया। उसके मैनेजर की जानकारी में है कि परामर्श दिया गया। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने न्यूनतम सुरक्षा ऐहतियात भी नहीं बरती। इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जिसके बारे में मैं कहूंगा कि चूक हुई।
चिदंबरम ने कहा कि जैसा कि मैंने संसद में कहा है कि यह एक धब्बा है। इससे यह सबक भी मिला है कि जब खुफिया सूचना मिले और परामर्श जारी किए जाएं तो लोगों को सहयोग करना चाहिए। ऐसे में दुकानों, प्रतिष्ठानों, होटलों और मॉल्स आदि में न्यूनतम सुरक्षा उपाय अवश्य किए जाने चाहिए।
गृह मंत्री से पूछा गया कि क्या उन्हें पुणे की घटना का पाकिस्तान से कोई संबंध लगता है। उन्होंने कहा अब तक तो ऐसा मेरी जानकारी में नहीं लाया गया है। पुणे मामले की साजिश कहां रची गई। इस सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि जांच जारी है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।
दोहे और उक्तियाँ !!
गूगल के बाद अब गो डैडी की बारी !!
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार 'गोडैडी डॉट कॉम' ने बुधवार को कहा कि चीन के कड़े कानून और कथित तौर पर वहां की सरकार द्वारा वेबसाइटों पर निगरानी रखे जाने की वजह से वह यह कदम उठा रही है।
कंपनी के वकील क्रिस्टन जोन्स ने कहा, ''चीन में वेबसाइटों पर सरकार की निगरानी बढ़ी है और वहां पर इंटरनेट की गतिविधियों पर विशेष नजर रखा जा रहा है।'' उन्होंने कहा कि चीन की नई नीति के तहत सभी वेबसाइट्स को फोटोग्राफ, व्यापारिक सूचना, हस्ताक्षर किए गए फार्म, पता, ईमेल और टेलीफोन नंबर सरकार को मुहैया कराने होंगे।
जोन्स ने कहा, ''हम चीनी सरकार के एजेंट के तौर पर काम करना नहीं चाहेंगे। हम चीनी बाजार से हाथ खींचने जा रहे हैं।''
हेडली भारतीय अधिकारियों की पूछ ताछ में सहयोग करेगा !!
हेडली के वकील जॉन थीस के अनुसार हेडली के याचिका समझौते के अनुसार अमेरिका ने भारत को उससे पूछताछ की अनुमति दे दी है। हेडली के वकील अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे रोमर के उस बयान का जवाब दे रहे थे जिसमें ये कहा गया था कि हेडली से भारतीय अधिकारियों से सीधे बातचीत को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।
हेडली ने 18 मार्च को मुंबई हमलों में अपने गुनाहों को कबूल करते हुए अमेरिकी कोर्ट में याचिका दी थी। फिलहाल वह अमेरिका की हिरासत में है, हेडली के वकील के अनुसार पूछताछ को लेकर सुरक्षा से जुड़े कुछ समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
वकील जॉन थीस के अनुसार भारतीय अधिकारियों के अमेरिका जाने पर उन्हें हेडली से मिलने दिया जाएगा या नहीं औऱ वह उससे पूछताछ कर सकेंगे कि नहीं इस पर केवल अमेरिकी सरकार ही जवाब दे सकती है। थीस के अनुसार हेडली और भारतीय अधिकारियों की मुलाकात को लेकर सारे फैसले अमेरिकी सरकार को ही करने हैं।
इसी बीच अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के प्रवक्ता ने ये बयान दिया है कि, यदि हेडली की याचिका के अनुसार वह भारत से पूछताछ में सहयोग करने को तैयार है तो ऐसा जरूर होगा। हेडली से मुलाकात कहां होगी और कब इस पर फैसला बाद में होगा।
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि भारतीय अधिकारियों की हेडली से पूछताछ को लेकर अमेरिकी के साथ किसी तरह का असमंजस नहीं है। अमेरिकी राजदूत टीमोथी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गृहमंत्री चिदंबरम ने कहा कि अमेरिका ने फिलहाल हेडली की भारतीय अधिकारियों से पूछताछ को लेकर निर्णय में कोई बदलाव नहीं किया है।
आधिकारिक यात्रा पर लंदन गए चिदंबरम ने कहा कि अमेरिकी राजदूत के बयान पर ठीक तरह से ध्यान देने की जरूरत है। वहीं गृह सचिव पिल्लई ने भी अमेरिकी राजदूत के बयान पर ध्यान न देते हुए अपने अधिकारियों को अमेरिका भेजने का फैसला किया है। भारत अप्रेल में अपने अधिकारियों की टीम हेडली से पूछताछ के लिए अमेरिका भेज सकता है।
दोहे और उक्तियाँ !!
साधारण और प्राकृतिक जीवन जियो।
अपने व्यवहार में ईमानदार बनो।
अच्छे गुणों का विकास करो।
बुद्धिमान व्यक्तियों की सभा में आश्रय लो।
भगवान को याद रखो, उसके नाम का गुणगान करो, उसकी उपस्थिति को महसूस करो।
अच्छा सोचो, सत्य बोलो और न्यायसंगत कार्य करो।
संसार में रहते हुए पवित्र जीवन जीना सीखो।
तब हर समस्या का समाधान हो जाता है।
सभी दुःखों का अन्त हो जाएगा।
तुम्हें जीवन के हर क्षेत्र और उपक्रम में सफलता मिलेगी।
अपने हाथ में सफलता की कुंजी रखो और परम-सुख के द्वार खोलते जाओ।
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कोलकता के बहुमंजिली इमारत में लगी आग !!
दमकल सूत्रों ने बताया कि स्टीफन कोर्ट इमारत से कूदने के कारण छह लोगों की मौत हो गयी, जबकि 10 लोगों के शव झुलसी हुई अवस्था में मिले हैं।
इस दुर्घटना में अधिकतर लोगों की मौत धुएं के कारण दम घुटने और घबराहट में इमारत की पहली व दूसरी मंजिल से कूदने के कारण हुई। आग पर काबू पाने के लिए 41 दमकल गाड़ियां लगाई गईं।
दमकल कíमयों ने हाइड्रोलिक सीढ़ियों की मदद से इमारत में फंसे करीब 40 लोगों को बचाया। इमारत में आग दोपहर करीब दो बजे पांचवीं और छठी मंजिल के बीच स्थित लिफ्ट में लगी जो बाद में अधिकतर हिस्से में फैल गई। दमकल मंत्री प्रतिम चटर्जी ने कहा कि आग पर लगभग काबू पा लिया गया है। आग के कारण इमारत का एक हिस्सा धराशायी हो गया है।
आग का जैसे ही पता चला, वैसे ही केन्द्रीय रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। ममता इस बात पर काफी गुस्से में हैं, आग को समय रहते क्यों नहीं काबू पाया जा सकता है। ममता ने घटना में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। ममता ने घटनास्थल पर सेना को बुलाने की मांग की है।
इस इमारत में फंसे पचास से अधिक लोगों को आग से बचा लिया गया है। लेकिन दो लोगों की मौत की खबर आ रही है। स्थानीय लोगों की मदद से दमकल के कर्मचारियों ने करीब पचास लोगों को इस इमारत से सुरक्षित बाहर निकाला। जान बचाने के लिए कई लोग इमारत से कूद गए, जिसके कारण उन्हें गंभीर चोट आई हैं।
स्टीफन हाउस बिल्डिंग में लगी भीषण आग के चलते जान बचाने के लिए जद्दोजहद में लगे 5 लोगों की बिल्डिंग से कूदने पर मौत हो गई। वहीं तीन ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
हिंसा के माध्यम से बदलाव का रास्ता अंततः आत्मछलना !!
यह आंदोलन राजनीतिक परिवर्तन के लिए हिंसा के प्रयोग की वकालत करता था और उस दौर में युवाओं के वर्ग को इसने खासा आकर्षित किया था। अहिंसा को बदलाव के अस्त्र के रूप में इस्तेमाल और प्रतिष्ठित करने के लिए जिस देश ने मोहनदास गांधी को महात्मा का दर्जा दिया, उसमें नक्सल आंदोलन की सफलता संदिग्ध ही थी।
यही कारण है कि कई इतिहासकार नक्सल आंदोलन को भारतीय राजनीति में एक भटकाव मानते हैं। बाद में इस आंदोलन में ही कई उतार-चढ़ाव आए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) नामक जिस पार्टी का उन्होंने गठन किया था, उसमें भी कई धाराएं सामने आईं जिनमें से एक ने बाद में चुनावी राजनीति को स्वीकार किया। यह भी कम विडंबना नहीं कि जीवन के आखिरी दिनों में निराश कानू सान्याल का शव उनके कच्चे मकान की छत से लटका पाया गया।
उन्होंने उन दिनों प्राण त्यागे, जब माओवादी कुछ राज्यों में बंद को सफल बनाने के लिए रेल की पटरियां उखाड़ रहे हैं। वह न इस माओवादी हिंसा के समर्थक थे और न ही इसे अंजाम देने वाले संगठन के। कानू सान्याल की राजनीतिक त्रासदी में सबक यह है कि हिंसा के माध्यम से बदलाव का रास्ता अंतत: आत्मछलना ही है, लेकिन लगता नहीं कि जिस मौजूदा माओवादी राजनीति के लिए कानू सान्याल पहले ही अप्रासंगिक हो चुके थे, वह उनकी त्रासदी से कुछ सीखने को तैयार होगी।
आज देश प्रगति की नई इबारतें लिख रहा है। आर्थिक विकास ने युवाओं में नए वैश्विक सपनों को जन्म दिया है। फिर भी हिंसक आंदोलन कायम है तो इसीलिए कि समाज के कुछ हिस्सों में विकास की लहर नहीं पहुंच सकी है।
प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि गरीबी और बेरोजगारी से निजात पाने के लिए दस फीसदी से ऊपर की विकास दर हासिल करना जरूरी है। हिंसा के रास्ते से विश्वास तभी खत्म होगा, जब समाज के पिछड़े हिस्सों तक न्याय और विकास की रोशनी पहुंचाई जा सके।
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