प्रेषक : फ़्यूचर शर्मा
दोस्तों मैं अन्तर्वासना का एक पुराना पाठक हूँ।
आज मैंने सोचा कि मैं भी अपनी एक सच्ची कहानी आपके सामने रखूँ !
बात उन दिनों की है जब मैं १२वीं कक्षा में था। मैं अपने दोस्तों से रोजाना मस्ती भरी बातें सुनता और कुछ कह नहीं पाता। मुझे इन सब बातों में उतनी रुचि नहीं थी। मगर उनकी बातें सुन सुन कर मुझे भी चोदने का मन करने लगा।
मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ और घर छोटा होने के कारण उनके ही कमरे में सोता था। एक बार रात में मैंने महसूस किया कि बिस्तर पर कुछ हिल रहा है। तब मैंने देखा कि पापा मम्मी के ऊपर चढ़ कर मम्मी को चोद रहे थे। पहली बार ऐसा कुछ देख कर मैं हैरान था। करीब पंद्रह मिनट तक पापा मम्मी को चोदते रहे और उसके बाद शांत हो गए। उसके बाद मम्मी उठी और पापा का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। यह सब देख कर मैं हैरान था लेकिन मजा आ रहा था।
फिर कुछ देर तक मम्मी ने पापा के लण्ड के साथ खेला और फिर दोनों शायद झड़ गए।
यह सीन मेरे दिमाग में बैठ गया। मेरी माँ थी भी बड़ी मस्त ! इस उम्र में भी उनका बदन गुलाब की फूल की तरह है। आप खुद सोचें कि कितना मजा आया होगा यह सब देखकर।
फिर कुछ दिन बीत गए। एक दिन की बात है, मैं उस दिन स्कूल नहीं गया था। पापा ऑफिस गए थे, घर पर मैं और मम्मी ही थी। मम्मी नहाने चली गई, मुझे पता नहीं क्या हुआ और उस दिन वाला दृश्य मेरे दिमाग में छा गया। आपको यह बता दूँ कि मेरे बाथरूम में छोटा सा छेद है और नीचे से करीब एक उंगली का गैप है। मैं बाथरूम के पास गया तो अन्दर से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी और कुछ छींटे बाहर भी आ रहे थे। मैंने लपक कर नीचे से देखा तो मेरी माँ बिल्कुल नंगी नहा रही थी। उसने अपनी गोरे शरीर पर साबुन लगाया हुआ था। मैं यह सब देख रहा था। कुछ देर बाद उसने अपनी चूत पर साबुन लगाया और फिर उसे मसलने लगी, फिर पानी से साफ़ कर लिया। माँ की गाण्ड भी मस्त थी। पूरा शरीर मेरे सामने था पूरा नंगा !
फिर मैं पीछे हटा और बाहर आकर मुठ मार ली और उसी दिन ठान लिया कि किसी भी तरह मैं अपनी माँ को चोदूंगा जरूर !
कुछ दिनों बाद पापा का ट्रान्सफर कोलकाता हो गया और माँ बैचन रहने लगी। बस मुझे इसी का इन्तज़ार था। मैं उनके साथ रात को सोता था।
एक दिन मैंने जानबूझ कर अपने हाथ को माँ के चूचों पर रख दिया। मैंने देखा कि माँ ने कुछ नहीं किया। शायद इतने दिनों से न चुदने की वजह से वो भी कुछ चाहती थी। कुछ देर बाद मैंने दबाव बढ़ा दिया, उसने कुछ नहीं किया। मैंने सोचा कि यही मौका है और मैंने उनकी चूचियों पर से कपड़े उतारना चालू कर दिया। मैं अभी यह करने ही वाला था कि मैंने महसूस किया कि कोई मेरा लण्ड को हिला रहा है। वो और कोई नहीं मेरी माँ के हाथ थे। बस इसकी देरी थी, मैं समझ गया कि आज मैं जो कुछ भी कर लूँ, सब माँ को स्वीकार है।
फिर मैंने सीधे माँ के चूचों को चूसना चालू किया। माँ तड़प उठी। मैं पहली बार किसी के चूचों को चूस रहा था। माँ भी मेरे लण्ड को जोर जोर से हिला रही थी। फिर माँ ने आखिरकार बोला की चूचों को चूसेगा या कुछ और भी करेगा?
मैं बोला- माँ तुम देखती जाओ बस !
मैंने माँ के सारे कपड़े उतार दिए और फिर अपने भी कपड़े उतारने के बाद माँ के गोरे बदन को चूसने लगा।
माँ ने भी मेरा पूरा साथ दिया। फिर वो मस्त समय आया जब मैंने माँ के चूत को चखा। जैसे स्वर्ग में हूँ ऐसा लग रहा था।
माँ भी तड़प उठी। फिर उसने मेरे लण्ड को अपने चूत पर रगड़ना चालू किया और कुछ देर बाद ही अन्दर डालने को बोला।
मैंने ऐसा ही किया।
अब मैं अपने सपने को सच कर रहा था। मैं उस दिन जैसे पागल सा गया था। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। माँ तड़प रही थी।
माँ बोल पड़ी- बेटा और तेज और तेज। पापा की कमी मत लगने देना बेटा, पापा को हरा दो और जोर से !
माँ के कहने पर मैं और जोश में आ गया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने माँ को उल्टा किया और गांड में डालने को पूछा। माँ ने हामी भर दी। फिर क्या था, गांड की भी लाटरी लग पड़ी।
उस दिन दो बार हमने सेक्स किया।
अगले दिन मैं नहा कर स्कूल जाने की तैयारी करने लगा। जब जाने को हुआ तो माँ ने पास आकर मेरे को किस किया और बोली- कल तो तूने कमाल कर दिया।
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