क्या पी टी आई बलात्कारी का ठिकाना बना रहेगा, या पत्रकारिता का आदर्श प्रस्तुत करेगा ?

पी टी आई भारतीय खबरिया बाजार की अग्रगामी संस्था में से एक है, आपका अपना एक इतिहास है और दर्शन भी। पत्रकारिता के माप दंड पर निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने वाली पी टी आई का प्रियभांशु पर ढुलमुल रवैया जहाँ पी टी आई पर संदेह करवाता है वहीँ पत्रकारिता के उस विभीत्स रूप का वास्तविक दर्शन करवाता है जो बाजारवाद में ख़बरों को बेचने के लिए सामाजिक सरोकार से इतर सिर्फ ख़बरों का व्यवसाय करने पर उतारू हो।

निरुपमा की मौत के बाद के तथ्यों से साफ़ प्रतीत होता है कि प्रियभांशु की इसमें सक्रीय भागीदारी रही है, निरुपमा की मौत के बाद के सिलसिलेवार हवालों पर नजर डालें तो पत्रकारिता के भगोड़ों ने इस मुद्दे को उछाल कर नीरू के शव को बेचने के लिए उसके लाश तक को नहीं छोड़ा है और इस शव के विक्रेता का प्रियभांशु ने साथ दिया और लिया है।

बीते दिनों देश का अग्रिणी मीडिया समूह दैनिक भास्कर ने अपने ही एक समाचार पत्र डी बी स्टार के सम्पादक को इसलिए निकाल बाहर किया क्यूंकि उक्त सम्पादक ने स्थानीय विश्वविद्यालय में छात्रा के साथ बलात्कार करने की कोशिश कर पत्रकारिता के साथ साथ संस्थान को भी धूमिल किया।

क्या पी टी आई पत्रकारिता के मानदंड की सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए प्रियभान्शु को अपनी छत्रछाया प्रदान करता रहेगा या पत्रकारिता के लिए उदाहरण बनेगा।

अनकही अपने प्रश्नों के साथ फिर से हाजिर होगी।