नौकरानी के पति से तन की आग बुझाई-2

प्रेषिका : रीना
पिछली भाग में आपने पढ़ा किस तरह से उसने मुझे मेरे पति के सामने नंगी कर दिया था !
अब आगे की कहानी :
मेर पति उससे बोले- रामप्रकाश चलो शुरू हो जाओ !
उसने बिना झिझक मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए ! मुझे बेड पे लिटा दिया ! एक एक करके मेरे मम्मों को चूसने लगा !
मेरे पति यह सब नज़ारा देख रहे थे ! पहले मैं बहुत शर्म कर रही थी पर अब धीरे धीरे मैं भी गर्म होने लगी थी, मेरे चुचूक तन गए !
मैंने अपने पति से कहा- आप मुन्ने के पास जाकर सो जाइये, मुन्ना जाग गया तो?
वो बोले- कोई बात नहीं, जब जागेगा तो चला जाऊंगा।
मैं उन्हें वहाँ से हटाना चाहती थी ताकि मैं खुल कर करवा सकूँ, पर जब वो नहीं जा रहे थे तो मैंने कहा- मुझे आपसे शर्म आ रही है, आप जा कर सो जाइये न !
फिर उन्होंने कहा- तुम यह समझो कि मैं यहाँ पर हूँ ही नहीं !
मैंने कहा- आपको देख के क्या मिलेगा, सुबह आपने ड्यूटी भी जाना है !
वो बोले- आज मैं भी तुम्हारी लूँगा पर पहले तुम इससे करवा लो, मुझे भी जोश आ जायेगा !
मैंने रामप्रकाश की तरफ देखा, फिर वो मेरे पति को धीरे से समझाने लगा- बाबूजी आपके सामने इसे मज़ा नहीं आएगा, इसलिए आप बाहर से ही चुपचाप देख लीजियेगा !
मेरे पति मान गए और बाहर चले गए। मैंने रामप्रकाश से पूछा- तुमने उनको क्या कहा?
वो बोला- बस समझा दिया !
उसने फिर मुझे लिटा कर मेरे एक मम्मे को मुंह में भर लिया और दूसरे मम्मे को हाथ में पकड़ लिया। मुझे नहीं पता था कि बाहर मेरे पति यह सबकुछ देख रहे हैं !
मैंने कहा- रामू आज तो पकड़े गए ! पर वो कितने अच्छे हैं, कुछ भी नहीं कहा !
रामू अब भी मेरे दूध पीये जा रहा था, धीरे से वो उठा और अपना लिंग मेरे मुंह की ओर बढ़ा दिया। मैंने बिना आनाकानी के उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया और चूस चूस के उसको तैयार कर लिया। एकदम तन चूका था उसका, जिसकी मैं दीवानी हो गई थी। फिर उसने मेरी योनि को चाट-चाट के उसका लिंग लेने को तैयार कर लिया। मैं अपने बेचारे पति के बारे में सोच रही थी, तभी उसने मेरे योनि में अपना लिंग प्रवेश कर दिया।
एक घण्टे तक वो मर्द मेरी लेता रहा, मैं तीन बार झड़ चुकी थी, लेकिन वो रुकने का नाम ही नहीं लेता था। मेरी तो हड्डी पसली उसने एक कर दी थी।
मैं उससे बस यही कहे जा रही थी- बस आआआआअह्ह्ह्ह रामू बस ! अब छोड़ दो ! ऊह्ह !
पर वो कहाँ मानने वाला था, वो जोर जोर से मेरी लिए जा रहा था। जब मैं चौथी बार झड़ी तब जा के उसने उसने अपना वीर्य मुझ पे उड़ेला। मैं थक के टूट चुकी थी, यही मैं चाहती थी। उसी वक़्त मेरे पति अंदर आ गए, बोले- वाह ! मेरी जान को बहुत मज़ा आया !
मैंने पूछा- आप कहाँ थे?
तो उन्होंने कहा- मैं बाहर सब कुछ देख रहा था ! फिर बोले- मेरी जान मुझे भी जोश आ गया है, अब मैं भी तुम्हारी लूँगा !
मैंने कहा- नहीं डीयर राज़ ! आज नहीं, आज मैं बहुत थक गई हूँ !
वो बेचारे कुछ नहीं बोले, पर मैं क्या करती ! बस उनकी बाहों में जा के लिपट के सो गई।