शिबू सोरेन को मुख्यमंत्रियों की होने वाली बैठक में नहीं बुलाने का निश्चय !!


केंद्रीय गृह मंत्रालय नवगठित झारखंड सरकार की नक्सलियों के प्रति उदासीनता को लेकर खासा नाराज है। यह नाराजगी इस कदर है कि केंद्र ने राज्य के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को शुक्रवार को रायपुर में नक्सल समस्या ग्रस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों की होने वाली बैठक में नहीं बुलाने का निश्चय किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस विषय पर राज्य सरकार के ढुलमुल नीति को लेकर अपनी भावना को बिना किसी लागलपेट के जाहिर भी किया है। उन्होंने बीते शुक्रवार को झारखंड में हुए एक नक्सली हमले, जिसमें सात पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक की जान गई, का हवाला देते हुए कहा ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि झारखंड की नई सरकार जल्द ही पूरी तरह कार्यशील हो जाएगी और पुलिस-प्रशासन को नक्सल समस्या से निपटने के लिए स्पष्ट निर्देश देगी।’ सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अलावा महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल हिस्सा लेंगे। पाटिल के लिए यह बैठक इस मायने मंे महत्वपूर्ण होगी कि उन्हें इसके बाद कुछ कर दिखाने के दबाव से जूझना होगा।


वह 9-11 के बाद लगातार आरोपों के घेरे में रहे हैं। ऐसे में नक्सल समस्या पर उनके कदम संभवत: उन्हें मुंबई हमले को लेकर बनी उनकी छवि से मुक्ति दिलाने वाली भी साबित होगी। सूत्रों के मुताबिक नक्सल समस्या को गंभीर मानते हुए उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पहले से ज्यादा गंभीर नजर रहे हैं। झारखंड को लेकर मंत्रालय में उपजे असंतोष पर हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों का तर्क अलग है। उनका कहना है कि यह विशुद्ध सुरक्षा से जुड़ा मामला है, जिसकी वजह से चिदंबरम राज्य सरकार से थोड़े नाराज हैं। एक वरिष्ठ अधिकरी ने भास्कर को कहा किशिबू सोरेन को लेकर यह शंका अभी तक बनी हुई है कि वह नक्सलियों के प्रति नरम रहने के आरोपों के बीच कितनी गोपनीयता रखेंगे। इस बैठक में कई गोपनीय चर्चा होंगी।

ऐसे में मंत्रालय नहीं चाहता कि अंदर की बातें किसी भी रूप में बाहर आएं।’ एक अधिकारी के मुताबिक ‘आने वाले समय में राज्य सरकार के कदम तय करेंगे कि वह नक्सल अभियान में कितना और किस कदम तक का सहभागी हो सकता है।’ एक अधिकारी के मुताबिक ‘अगर पार्टी लाइन की बात होती तो ना उनकी ट्यूनिंग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ होती और न ही वह उड़ीसा के मुख्यमंत्री से इस मसले पर आगे वार्ता करते। यह सुरक्षा जैसा संवदेनशील मसला ही है जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम लगातार साझा कदम बढ़ा रहे हैं। ’ अधिकारियों के मुताबिक दोनों के बीच पार्टी लाइन से ऊपर इस मसले पर आपसी विश्वास का माहौल ही एक वजह है जिसकी वजह से रमन सिंह लगातार नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज कर रहे हैं।


जबकि पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के समय केंद्र-राज्य के बीच ऐसी जुगलबंदी नहीं हो पा रही थी। केंद्र और राज्य सरकार की यह दूरी पिछले शुक्रवार को गुमला में हुए एक नक्सली हमले से और बढ़ी है। केंद्र सरकार का मानना है कि नवगठित झारखंड सरकार को यह नक्सलियों की चुनौती है जिससे निपटने के लिए उसे पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश देने की जरूरत है। गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय और झारखंड सरकार के बीच इस मसले पर खाई किस तरह चौड़ी हो रही है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सबसे अधिक नक्सल प्रभावित राज्य के मुख्यमंत्री बनने के बावजूद शिबू सोरेन और केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। जबकि केंद्र सरकार राच्य के चुनाव के बाद से ही यह कह रही थी कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान राज्य में मुख्यमंत्री के चुनाव के बाद आक्रामक किया जाएगा।