डोमिनिक़ स्ट्रॉस काहन ने चेतावनी भी दी है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भी संवेदनशील दौर से गुज़र रही है और इस मंदी के दौर में और मंदी आने का ख़तरा टला नहीं है ।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन की आर्थिक प्रगति वित्तीय संकट आने के पहले के दौर के बराबर होने वाली है ।
लेकिन मुद्रा कोष के मुखिया ने आगाह भी किया कि जापान सहित अनेक विकसित देशों में मंदी से उबरने की रफ़्तार बहुत धीमी है और बहुत नाज़ुक भी ।
डोमिनिक स्ट्रॉस काहन ने अनेक देशों को यह सुझाव भी दिया है कि वे उन नीतियों को ना छोड़ें जो अर्थव्यवस्था में तेज़ी से जान फूंकने के लिए अपनाई गई थीं, मसलन ब्याज़ दरों में कटौती और सरकारी ख़र्च को बढ़ाया जाना ।
मुद्रा कोष के मुखिया ने कहा, “हमें बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है क्योंकि आर्थिक मंदी से उबरने की रफ़्तार बहुत नाज़ुक है। ज़्यादातर देशों में आर्थिक प्रगति सरकारी मदद के सहारे हो रही है। "
उन्होंने साथ ही कहा कि आर्थिक मंदी से उबरने के लिए भारी मात्रा में ख़र्च किए जा रहे सरकारी धन से सरकारों पर क़र्ज़ बढ़े हैं और उसकी अदायगी भी एक भारी चूनौती है जो अनेक सरकारों के लिए प्राथमिकता होगी ।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि उसके अनुमान के अनुसार वर्ष 2010 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रगति की दर 3।1 प्रतिशत रहने की संभावना है ।
इस बीच जर्मनी और फ्रांस ने वर्ष 2010 के लिए अपनी आर्थिक प्रगति के अनुमान बढ़ाए हैं ।
जर्मनी को अब अनुमान है कि उसकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2010 में 1।5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जबकि पहले के अनुमान 1।2 प्रतिशत की दर से लगाए गए थे ।
फ्रांस सरकार ने भी अपनी आर्थिक प्रगति की दर के अनुमान वर्ष 2010 के लिए पहले के अनुमानों से बढ़ाकर लगभग दो गुना कर दिए हैं ।
पहले के अनुमान 0।75 प्रतिशत रहने के लगाए गए थे जो बढ़ाकर 1।4 प्रतिशत कर दिए गए हैं ।