समाजवादी पार्टी, आरजेडी और जनता दल यूनाइटेड के सदस्य माँग कर रहे थे कि सोमवार को जिन सात सांसदों को निलंबित किया गया है वो फ़ैसला वापस लिया जाए ।
सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरु होने के बाद ही हंगामा शुरु हो गया। सपा और आरजेडी के सदस्यों ने आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल तानाशाही रवैये से पारित करवाया है ।
प्रश्न काल शुरु होते ही समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने निलंबन का मुद्दा उठाया और आरजेडी सांसदों ने इसका समर्थन किया ।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी निलंबन वापस लेने की माँग का समर्थन किया ।
लेकिन सत्ताधारी दल के सदस्यों का कहना था कि निलंबित सदस्यों को पहले माफ़ी माँगनी चाहिए ।
इस बीच नारेबाज़ी चलती रही और शोरशराबे की बीच स्पीकर ने कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी ।
जब दोपहर को सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तो सपा, आरजेडी, जद यू और लोक जनशक्ति पार्टी के सदस्य सदन के बीचोबीच आकर नारे लगाने पड़े। स्पीकर मीरा कुमार को कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी और बाद में दिन भर के लिए ।
वहीं सरकार ने विश्वास जताया है कि महिला आरक्षण विधेयक जल्द ही क़ानून बन जाएगा ।
मंगलवार को राज्य सभा में एक ऐतिहासिक क़दम के तहत महिला आरक्षण बिल पारित हो गया। जो सदस्य राज्य सभा में मौजूद थे और जिन्होंने वोटिंग की उनमें से 186 ने बिल के पक्ष में मत डाला जबकि एक ने विपक्ष में ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे ऐतिहासिक बिल बताया है और आश्वासन दिया है कि ये अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाती या जनजाती विरोधी विधेयक नही हैं ।
महिला आरक्षण विधेयक को पारित करवाने के दौरान दो दिन तक राज्य सभा में ख़ूब हंगामा हुआ था ।
राज्यसभा में सोमवार को इस विधेयक को लेकर ज़बरदस्त झड़प हुई थीं और फिर मतदान टल गया था। हालात यहाँ तक पहुँच गए थे कि कुछ सांसदों ने उपराष्ट्रपति के टेबल से विधेयक संबंधी कागज़ात छीन कर फेंक दिए थे ।
इसके बाद सात सासंदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबित सदस्यों के नाम हैं - सुभाश यादव (आरजेडी), सबीर अली (लोक जनशक्ति पार्टी), वीरपाल सिंह यादव, नंद किशोर यादव, समाजवादी पार्टी के आमिर आलम ख़ान और कमाल अख़तर, एजाज़ अली ।