इस नए उपकरण से लोग ख़ामोश गुफ़्तगू कर सकेंगे ।
इस तकनीक में एक इलेक्ट्रिकल सिग्नल का प्रयोग किया गया है जो उन मांसपेशियों का जायज़ा लेता है जिनका प्रयोग बोलते समय होता है ।
यह उपकरण मांसपेशियों की हरकतों को ऐसी स्थिति में भी रिकार्ड कर सकता है जब कोई शब्द इतनी ज़ोर से भी नही बोला गया हो कि सुना जा सके और वह उसे रिकार्ड करके उसका सम्मिश्रण करने के बाद दूसरे फ़ोन तक पहुंचाता है ।
कालस्रुहे इंस्टिच्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी की प्रोफ़ेसर टैंजा शूल्ज़ ने कहा, "एक बार मैं रेल से यात्रा कर रही थी और मेरे पास बैठा हुआ आदमी लगातार फ़ोन पर बातें किए जा रहा था, मैंने सोचा कि यह सब बदलना चाहिए । "
उन्होंने कहा, "हम इसे ख़ामोश वार्ता कहते हैं।"
जर्मनी के सेबिट एलेक्ट्रॉनिक्स मेले में जो मोबाइल फ़ोन उपकरण दिखाया जा रहा है वह ऐसी तकनीक पर आधारित है जिसे विज्ञान की भाषा में इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी कहते हैं और यह बोलते समय मांसपेशियों में पैदा होने वाले इलेक्ट्रीकल सिगनल को पकड़ता है ।
आम तौर पर यह ख़ास बीमारियों के लक्षण की पहचान के लिए किया जाता है। नसों और स्नायु को होने वाली क्षति की जांच के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
इस फ़ोन के नमूने का जर्मनी में प्रदर्शन किया जा रहा है उसमें नौ इलेक्ट्रोड्स लगे हुए हैं जो उसके इस्तेमाल करने वाले के साथ जुड़े होते हैं ।
प्रोफ़ेसर शूल्ज़ ने कहा, "ये बोलने के लिए इस्तेमाल होने वाली मांसपेशियों और उनकी हरकत को क़ैद कर लेता है। उसके बाद ये इलेक्ट्रिकल स्पंदन या पल्सेज़ एक उपकरण में से गुज़रती हैं जहां उन्हें रिकार्ड किया जाता है और आवाज़ को ब्लूटूथ के ज़रिए लैपटॉप में भेजने से पहले बढ़ा देता है । "
उन्होंने कहा कि उन सिग्नलों को सॉफ़्टवेयर टेक्स्ट में तबदील कर देता है जिसे सिंथेसाइज़र के ज़रिए बोला जा सकता है।
प्रोफ़ेसर शूल्ज़ का मानना है कि भविष्य में इस तकनीक को मोबाइल फ़ोन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है ।उन्होंने कहा "हम जानते हैं कि यह बात अभी बाज़ार में उपभोक्ताओं को भली न लगे लेकिन इनका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जा सकता है जो किसी बीमारी या दुर्घटना में अपनी आवाज़ खो चुके हैं ।
उन्होंन यह भी कहा कि इस तकनीक से तत्काल अनुवाद का सिस्टम तैयार किया जा सकता है ।
उन्होंने कहा, "ऐसा भी संभव है कि आप अपनी मातृभाषा में बोलें और वह किसी दूसरी भाषा में अनुदित हो जाए। और आप जिस आदमी से बात कर रहे हैं वह अपनी भाषा में उसे सुने । "
यह पहला मौक़ा नहीं है जब इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी को ख़ामोश बात-चीत के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अमरीकी संस्था नासा ने अंतरिक्ष के शोर भरे माहौल में संवाद के लिए इसकी जांच की है ।
उनका कहना है कि नासा ने आसान कमांड को समझने के लिए इस तकनीक की खोज की थी ।