दोहे और उक्तियाँ !!


ईश्वर-भक्ति

भक्त सदा यह सोचता है कि वह भगवान् के हाथों का उपकरण  मात्र है।

जब कभी उसके जीवन में अच्छी या बुरी घटना घटती है तो वह कहता है,

"ईश्वर ही सब कुछ हैं।

वह मेरे अच्छे के लिए ही सब कुछ करते हैं।

 ईश्वर न्यायी हैं।"

इस अभ्यास से वह जीवन की सभी परिस्थितियों और दशाओं में प्रसन्नचित रहता है।

अपने अन्दर यह भाव जगाने से वह कर्तापन और भोक्तापन का विचार त्याग देता है

और इस प्रकार कर्म के जटिल बन्धनों से अपने को मुक्त करता है।

 इस तरह वह पूर्ण और विकार-रहित शान्ति, परमानन्द, ज्ञान और अमरत्व को प्राप्त 

होता है।
                                                        

(स्वामी शिवानन्द)


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