विधयेक के पक्ष में 186 सदस्यों ने वोट दिया जबकि विरोध में केवल एक ही मत पड़े ।
बहुजन समाज पार्टी के सांसद इस विधेयक के मौजूदा स्वरुप का विरोध करते हुए मतदान के समय सदन से बाहर चले गए ।
राज्य सभा के बाद इस विधेयक को लोकसभा और कम से कम राज्यों के 15 विधान सभाओं से पारित किया जाना है ।
महिला आरक्षण विधेयक में महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधान सभाओं की 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है ।
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी ने इस विधेयक का विरोध किया है ।
इस विधेयक के मौजूदा स्वरुप में विरोध करने वालों का कहना है कि इसके पारित हो जाने से देश की दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में कमी आएगी।
उनकी मांग है कि महिला आरक्षण के भीतर ही दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित की जाएं ।
इस विधेयक को लेकर सोमवार और मंगलवार को राज्य सभा और लोक सभा की कार्यवाही अनके पार स्थगित करनी पड़ी ।
जहां सोमवार को इस विधेयक के विरोधियों ने राज्य सभा में सभापति के आसन से विधेयक की कॉपी को छिनने का प्रयास किया वहीं मंगलवार को भी उन सदस्यों ने अपना हंगामा जारी रखा तो सभापति ने एक प्रस्ताव के बाद उन्हें इस बजट सत्र से निलंबित कर दिया ।
जबकि कांग्रेस पार्टि की वरिष्ठ नेता जयंती नटराजन ने बहस में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से महिला आरक्षण के पक्ष में थी ।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा करात के अनुसार इस विधेयक के पारित होने देश का लोकतंत्र और मज़बूत होगा ।
करात का कहना था कि उन्हें ये सुनकर बेहद दुख होता कि आरक्षण से महिलाओं के एक विशेष वर्ग को ही फ़ायदा होगा ।
बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। उनके अनुसार आरक्षण विधेयक में कुछ कमियाँ जिन्हें दूर करना आवश्यक है ।
जनता दल (युनाइटेड) के नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि वो चाहते हैं कि आरक्षण के बीच आरक्षण हो ।
उनका कहना था, "मुसलमानों के मन में ये आशंका है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, उन्हें लगता है कि महिलाओं का आरक्षण होने से मुसलमान सांसदों की संख्या और कम हो जाएगी । "
कम्युनिस्ट नेता डी राजा ने विधेयक के विरोधियों से आग्रह करूंगा कि वे विधयेक को पारित होने दें और बाक़ी मुद्दों को भी सुलझाया जा सकता है ।
मुसलमानों के प्रतिनिधित्व का सवाल निर्दलीय सांसद मोहम्मद अदीब ने भी उठाया। उन्होंने प्रधानमंत्री को मुख़ातिब करते हुए कहा कि वो विधेयक पर कांग्रेस का समर्थन करते हैं लेकिन जानना चाहते हैं कि मुसलमान कब तक वोट माँगने की मशीन बनकर रहेगा ।
इससे पहले महिला आरक्षण विधेयक का विरोध कर रहे नेता लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव ने मंगलवार की सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण की माँग की थी ।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस, भाजपा और वामदलों ने विधयेक का समर्थन किया था और इस बारे में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था ।
ग़ौर करने की बात है कि महिला विधेयक को लेकर विरोध पहली बार नहीं हुआ है। पिछले 13 वर्षों में जब कभी संसद में यह विधेयक आया है तो इसके विरोधियों राजद, सपा और जद (यू) के सांसदों ने काफ़ी उग्र प्रदर्शन किया है और विधेयक की प्रतियां भी फाड़ी हैं ।