विक्रम संवत २०६७ !!

पूरा जगत बदलाव से अछूता नहीं है यह बदलाव अच्छे भी होते हैं और बुरे भी। बदलाव ही व्यक्ति के जीवन के मूल्यांकन का सही मौका होते हैं। किंतु अनेक अवसरों पर व्यक्ति अनिश्चय और कुछ खोने के भय से बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाते। किंतु बदली हुई स्थितियों में स्वयं को ढालने पर ही कोई भी बदलाव अंतत: खुशी का कारण ही नहीं बनता बल्कि व्यक्ति को ऊर्जा और विश्वास से भरकर जीवन में आगे बढ़ने का अवसर देते हैं। सनातन धर्म में ऐसे ही सुखद परिवर्तन का अवसर चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को माना जाता है।

आज से विक्रम संवत का नया साल शुरू हो गया है। इसे हिंदू पंचांग का नया साल कहा जाता है। आज से विक्रम संवत २०६७ शुरू हो जाएगा। भारतीय कालगणना के आधार प्राकृतिक परिवर्तन और खगोलशास्त्रीय सिद्धांत है। इसलिए इस दिन से नववर्ष की शुरुआत वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टि से श्रेष्ठ है। इसे नव संवत्सर भी कहते हैं। जिसका अर्थ है ऐसा विशेष काल जिसमें बारह माह होते हैं।


हिंदू पंचांग में एक मास में दो पक्ष होते हैं। पहला, कृष्णपक्ष इसमें चंद्रमा निरंतर घटता जाता है, एवं अमावस्या पर पूर्ण अंधकार हो जाता है। दूसरा, शुक्ल पक्ष जिसमें चंद्रमा बढ़ता है व पूर्णिमा पर पूर्ण प्रकाशित हो जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष के आरंभ होने का भी यही भाव है कि जीवन का अंधकार अर्थात् सारे कष्ट, दुख, दर्द, कठिनाइयां दूर हो और आनंद, सुख, प्रसन्नता और समृद्धि के रूप में उजाले को प्राप्त करें ।