बीबीसी हिंदी से बातचीत में मुख्यमंत्री सोरेन ने एक सवाल के जवाब में कहा, "सरकार से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है। केंद्र वाले अपने तरीके से काम कर रहे हैं । "
ये पूछे जाने पर कि उनके क्षेत्र में चल रहे ऑपरेशन ग्रीन हंट की सफलता की उन्हें कितनी उम्मीद है, इस पर शिबू सोरेन का कहना था कि जहाँ भी ज़रुरत है वो केंद्रीय बलों को अपना सहयोग दे रहे हैं ।
उनका कहना था कि सभी को समझना चाहिए कि केंद्रीय सुरक्षा बल या उनके रणनीतिकार स्थानीय भौगोलिक और सामाजिक स्थिति को उतने बेहतर तरीके से नहीं समझते जितना कि स्थानीय जनता समझती है ।
ग़ौरतलब है कि राज्य में कानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है ।
इसके अलावा ऑपरेशन ग्रीन हंट इसी आशय से शुरू किया गया था कि ये केंद्र और राज्य सरकारों का साझा माओवादी विरोधी कार्यक्रम होगा ।
हालाँकि केंद्र सरकार आपरेशन ग्रीन हंट नाम के किसी कार्यक्रम से इनकार कर रही है ।
लेकिन सुरक्षा बलों की कार्रवाई इन दिनों एक साथ छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल में जारी है ।
झारखंड के पूर्वी सिंह भूम ज़िला जो पश्चिम बंगाल के लालगढ़ इलाके से सटा है, उसमें इन दिनों नक्सलवादी विरोधी अभियान जारी है ।
इसके बावजूद शिबू सोरेन मानते हैं कि नक्सल समस्या का समाधान बंदूक के बल पर नहीं किया जा सकता ।
उनका कहना था, "किसी भी मामले का समाधान वार्ता से ही हो सकता है और इस तरह की बातचीत में स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए । "
उन्होंने नक्सलियों की हिंसा को भी ग़लत बताया और कहा कि विरोध और संघर्ष तो उन्होंने भी किए हैं लेकिन उसमें मारधाड़ ठीक नहीं है ।
ये पूछे जाने पर कि ऐसी ख़बरें आईं थीं कि वो माओवादियों के प्रति नरम हैं और इसी वजह से उन्होंने नक्सलवादियों को लेकर कोलकाता में आयोजित बैठक में हिस्सा नहीं लिया था, इस पर शिबू सोरेन का कहना था कि वो बैठक में व्यक्तिगत कारण से शामिल नहीं हो पाए थे ।
स्थानीय जनता समझती है ।