अब कैपिटेशन फीस लेना महँगा पड़ सकता है !!

शिक्षा सुधारों से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधयेकों को शुक्रवार को कैबिनेट की मंजूरी के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों का कैपिटेशन फीस वसूलना अब 50 लाख रूपये के जुर्माने या तीन साल की कैद सहित आपराधिक मामला बनेगा।

सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े विवादों के निपटान के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शिक्षा न्यायाधिकरण स्थापित होंगे। साथ ही, उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मान्यता प्राधिकरण का गठन होगा, जो स्वतंत्र निकाय होगा, जबकि एनएएसी बतौर मान्यता एजेंसी के रूप में कार्य करता रहेगा। तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में अनुचित आचरण रोकथाम विधेयक, उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मान्यता नियमन प्राधिकरण विधेयक और शैक्षणिक न्यायाधिकरण स्थापना विधेयक को अब संसद में पेश किया जाएगा।

सिब्बल ने कहा कि अनुचित आचरण रोकथाम संबंधी विधेयक के कानून बन जाने के बाद संस्थानों या विश्वविद्यालयों का कैपिटेशन फीस वसूलना संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आएगा। ऐसे संस्थानों पर अभियोजन चलाया जाएगा।

सिब्बल ने कहा कि जो संस्थान ऐसे किसी शुल्क को वसूलेंगे, जिसका खुलासा उसके प्रॉस्पेक्टस में नहीं किया गया हो तो इसे कैपिटीशन फीस माना जाएगा और ऐसे संस्थानों पर मुकदमा चलाया जाएगा। विधेयक में ऐसे अनुचित आचरण को आपराधिक या दीवानी मामले की श्रेणी में रखने की बात कही गई है।

सूत्रों का कहना है कि हालांकि यदि केवल एक या दो छात्रों से कैपिटेशन फीस वसूलने के इक्का दुक्का मामले प्रकाश में आते हैं तो यह दीवानी मामला बनेगा। ऐसे मामलों में संस्थान पर जुर्माना लगाया जाएगा।

सिब्बल ने कहा कि अब सिर्फ उच्च शिक्षा और शोध के लिए राष्ट्रीय परिषद संबंधी विधेयक ही लंबित है, जिस पर जल्द काम पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्थानों की संबद्धता या मान्यता से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय शिक्षा न्यायाधिकरण विधेयक में प्रावधान किया गया है।

सिब्बल ने कहा कि इसके तहत हर राज्य में शिक्षा न्यायाधिकरण स्थापित किए जाएंगे। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इंजीनियरिंग कॉलेजों का ही उदाहरण लें तो इस तरह के तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में मौजूद 80 प्रतिशत से अधिक संस्थान निजी हैं और उनसे जुड़े विवाद भी सामने आते रहते हैं।

सिब्बल ने कहा कि मान्यता प्राधिकरण में सरकार के अफसर नहीं होंगे। इसे पूरी तरह से विशेषज्ञों का एक दल चलाएगा। यह एक स्वतंत्र निकाय होगा और सरकार की इसमें कोई दखलंदाजी नहीं होगी।