शिकागो स्थित संघीय अदालत में उसने आतंकवाद से जुड़े सभी 12 आरोपों को कबूल किया। उसके खिलाफ ये आरोप बीते साल दिसंबर माह में लगाए गए थे। अभियोजन पक्ष का कहना है कि वर्ष 2005 में लश्कर के तीन प्रमुख आतंकवादियों ने हेडली से भारत का दौरा कर वहां के प्रमुख ठिकानों की टोह लेने के लिए कहा था।
हेडली ने कबूल किया कि वह वर्ष 2002 से 2005 के बीच वह पाकिस्तान में लश्कर के प्रशिक्षण शिविर में पांच बार शामिल हुआ था, जहां उसने आतंकवाद का प्रशिक्षण लिया था। उसने कहा कि उसे पहले तीन महीने की का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद उसे भारत जाने के लिए कहा गया।
उसने कहा कि इसके बाद उसे अगस्त 2002, अप्रैल 2003, अगस्त 2003 और दिसंबर 2003 में भी चार बार तीन-तीन महीने का प्रशिक्षण लश्कर की ओर से दिया गया। इस दौरान उसे हथियार चलाने और हथगोलों का इस्तेमाल करने के अलावा आतंकवाद के सभी अत्याधुनिक तरीके सिखाए गए।
दाऊद से बना डेविड
लश्कर से प्रशिक्षण लेने के बाद भारत दौरे पर आने के लिए उसने वर्ष 2006 में अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर डेविड कोलमैन हेडली कर लिया। उसके इस कदम के पीछे का मकसद यह था कि उसे अपनी पाकिस्तानी और मुस्लिम होने की पहचान छिपानी थी। उल्लेखनीय है कि उसके पिता पाकिस्तानी और मां अमेरिकी थी।
वर्ष 2006 में उसने लश्कर के अपने दो साथियों के साथ मुंबई में आव्रजन दफ्तर खोलने की योजना बनाई ताकि वह अपनी गतिविधियों को यहां से आरंभ कर सके। इसके बाद उसने सितंबर, 2006, फरवरी और सितंबर, 2007 एवं अप्रैल व जुलाई, 2008 में पांच बार मुंबई का दौरा किया। हर दौरे पर वह प्रमुख ठिकानों की वाडियो बनाकर और तस्वीरें लेकर अपने साथ ले जाता था।
मुंबई हमले का मास्टर माइंड
अप्रैल, 2008 में हेडली ने लश्कर के आतंकवादियों से मुंबई के प्रमुख ठिकानों के बारे में चर्चा की और इसके बाद समुद्र के रास्ते हमले की योजना बनी। इसके बाद हेडली मुंबई अत्याधुनिक उपकरणों के साथ लौटा और मुंबई के चारो ओर नौका के जरिए टोह ली। पूरी योजना बनने के बाद आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के प्रमुख ठिकानों पर हमला कर दिया, जिसमें लगभग 167 लोग मारे गए।
हेडली ने पैगम्बर का विवादास्पद कार्टून बनाने वाले डेनमार्क के एक समाचार पत्र पर भी हमले योजना बनाने का आरोप स्वीकार किया है। उसे और लश्कर के एक अन्य संदिग्ध आतंकवादी तहव्वुर राणा को बीते साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था।
हेडली अप्रैल, 2008 में नाव से मुंबई बंदरगाह आया था और उन संभावित प्रवेश स्थलों के बारे में जानकारी एक जीपीएस उपकरण में संग्रहित की थी, जिनका बाद में 26 नवंबर को हमला करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा ने उपयोग किया था। मार्च, 2008 में षड़यंत्रकारियों की पाकिस्तान में हुई बैठक में हेडली ने हमलावरों के दल के लिए मुंबई में प्रवेश के संभावित स्थलों के बारे में चर्चा की। इस दल को समुद्र से मुंबई के उन संभावित स्थलों पर पहुंचना था।
विचार-विमर्श के बाद हेडली एक ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपकरण के सथ मुंबई आया और नौका से मुंबई बंदरगाह के आसपास घूम कर वहां की जानकारी ली। यह जानकारी और प्रवेश स्थलों के बारे में जानकारी एकत्र कर उसने उसे जीपीएस उपकरण में संग्रहित किया।