मधुबनी रेलवे स्टेशन, मिथिला दर्शन ! विकाश यहाँ भी है !!!!

बस मधुबनी से लौट कर आ ही रहा हूँ, लेखक दार्शनिक, आंकड़े के महाग्याता या फिर हमारे लोकतंत्र के नासूर स्वयंभू बुद्धिजीवी पत्रकारों का हुजूम से बिहार विकास की बात को सुन सुन कर सच में लगता है कि बिहार विकास के बयार में बह रहा है।

अभी विस्फोट पर पुष्यमित्र ने विकास के सन्दर्भ में लिखा जिस पर विकास कि बयार बहाने वाले किसी पत्रकारिता कि नजर नहीं गयी। नि:संदेह आगामी चुनाव पत्रकारिता के लिए नितीश दुधारू गाय बनने वाले हैं और चाटुकारिता पत्रकारिता इस चुनाव के अवसर को अपने दलाली से किसी कीमत पर भुनाना चाहती है सो नितीश का दरबार लगा हुआ है। खैर विकास से इतर यहाँ मधुबनी स्टेशन की एक झलक जो कि नितीश के साथ साथ लालू के द्वारा किये गये विकास को बस बयाँ भर कर जाता है।

स्टेशन पर स्टेट बैंक का ए टी एम् जो अक्सर बंद ही रहता है, २४ घंटे की सेवा का दावा है, रेलवे आरक्षण जो अक्सर विभागीय अकर्मण्यता के करण बंद रहता है बहाना लिंक फ़ैल होने का और स्टेशन पर मौजूद रिक्शे वाले यात्री के लिए नहीं अपितु टी एम् और आरक्षण कराने आये लोगों के लिए मौजूद रहते हैं।

अपने स्टेशन पर लम्बी दूरी की रेलगाड़ी को देखना सुखद अहसास देता है, वो भी तब जब हमने बचपन छोटी लाइन की गाड़ियों को आते जाते देख बिताया हो।

रेलवे के सुरक्षा का जिम्मा इन गरीब मजदूरों के हवाले, रेलवे सुरक्षा चौकी पर ताला।


अनकही की अनदेखी देख कहने की प्रक्रिया बस यूँ ही चलती रहे।